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- सुजान। विरहानल छाती दहै, प्रान लगे पिलखान॥ सोरठा। कैसे रहिहैं प्रान, प्रिया तिहारे दरम बिन। सूनो लगत जहान, इक तो बिन मनभावती॥ (विरहनाट्य करता हुआ गाता...३१३ B (१,७३० शब्द) - ०५:२९, २७ जुलाई २०२३
- छिन आगो लैहै? और उद्धव से कहती हैं— सँदेसो देवकी सों कहियो। हौं तो धाय तिहारे सुत की कृपा करत ही रहियो॥ उबटन, तेल और तातो जल देखत ही भजि जाते। जोइ जोइ...४०७ B (३,७९१ शब्द) - १६:३७, १७ अगस्त २०२१
- छिन छिन आगो लैहै ? और उद्धव से कहती है- सँदेसा देवकी से कहियो। हैं तो धाय तिहारे सुत की कृपा करत ही रहियो।। तेल औ तातो जल देखत ही भजि जाते। जोइ जोइ माँगत...७६८ B (३,८६५ शब्द) - १३:१२, १८ मार्च २०२१
- अवनीसा॥ साहस बल इन सम कोउ नाहीं। तबै रह्यौ महिमंडल माहीं॥ कहा करी तकसीर तिहारी। रे बिधि रुष्ट याहि की बारी॥ सबै सुखी जग के नर-नारी। रे बिधना भारत हि...४७० B (१,३६८ शब्द) - ०४:२३, १९ मई २०२१
- गुन युत रूप सरूप। सो क्यो निर्गुन होय निरूप॥ जौ तन में प्रिय प्रान हमारे। तौ को सुनिहै बचन तिहारे॥ एक सखी उठि कहै विचारि। ऊधों की फीजे मनुहारि॥ इन सो सखी...४४९ B (१,८४३ शब्द) - १५:५७, ४ दिसम्बर २०२१
- को लाओ ना?" "हम कहा मूरख हैं जो पंडित को ढूँढने के लिये झष मारते फिरैं। तिहारे बाप दादा ऐसे ही संकल्प करते करते मर गए और हमारे बाप दादा ऐसे ही सुफल बोलते...४७१ B (२,९०३ शब्द) - १७:०९, १३ दिसम्बर २०२१
- कलाम । यासो कैसे कहैं हहा हम अहो पितामह तृप्यन्ताम ।। (१०) रावन रहे तिहारो नाती शिव पद रत धन बल बुधि धाम । उनके गुन एकौ नहिं हममें हां औगुन हैं भरे...७३६ B (१,७६६ शब्द) - १०:३६, ११ जनवरी २०२०
- शृंगार-रस के कवित्त सवैए बड़े ही सरस और मर्मस्पर्शी होते थे। "पिय प्यारे तिहारे निहारे बिना दुखिया अँखियाँ नहिं मानति है", "मरेहू पै आँखै ये खुली ही रहि...६९७ B (२,८३३ शब्द) - ०१:५४, २१ मई २०२४
- मोसों कहत तोहिं बिनु देखें रहत न मेरो प्रान। छोह लगत मोकों सुनि बानी; महरि! तिहारी आन"॥ कहने का सारांश यह कि प्रेम नाम की मनोवृत्ति का जैसा विस्तृत और पूर्ण...४१७ B (१८,९०८ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
- देव दार तीन, पूर्जे देवदार तीन पूजैं देवदार हैं। नीलकंठ दारुन दलेल खां तिहारी धाक, नाकती न द्वार ते वै नाकती पहार हैं। आँधरेन कर गहे, बहरे न संग रहे,...७२० B (३,६१८ शब्द) - २१:५४, २४ जुलाई २०२१
- प्रकट भई तिहि काल॥ सिलसिलात अति प्रिया सीस तें, लटकति बेनी भाल। जन प्रिय-मुकुट-बरहि-भ्रम तहँ व्याल विकल विहाल॥ मल्लीमाल प्रिया के उर की, पिय तुलसीदल माल। जनु...७५७ B (११,६७९ शब्द) - ०१:३३, २० मई २०२४
- बारी सिला ही विपतिवारी। करी सो विपत्तिवारी तोसो और कौन है॥१४॥ कवित्त रीझन तिहारी न्यारी अजब निहारी नाथ। हारी मति व्यास हू की पावत न ठौर है। नाम लियो सुत...३६४ B (५,६१६ शब्द) - २२:४८, २२ अप्रैल २०२१
- औध तजी मगबास के रूख ज्यौं पंथ के साथी ज्यौं लोग लुगाई॥ संग सुबंधु, पुनीत प्रिया मानो धर्म क्रिया धरि देह सुहाई। राजिवलोचन राम चले तजि बाप को राज बटाऊ की...३२७ B (४,०९७ शब्द) - ०८:३१, ५ अगस्त २०२१
- को बोलि न यह कबहूँ टरौ॥ आलम नेवाज सिरताज पातसाहन के गाज ते दराज कोव नजर तिहारी है। जाके डर डिगत अडोल गढ़धारी, डग- मगत पहार और डुलति महि सारी है॥ रंक जैसो...७१६ B (२१,५३० शब्द) - ०२:२२, २० मई २०२४
- दवि। जाहि लखैं बिलखैं यह भाँति, परै मनु सौति सरोजन पै पबि॥ याही तें प्यारी तिहारी मुखद्युति, चन्दसमान बखानत हैं कबि। आनन ओप मलीन न होति, पै छीनि कै जाति छपाकर...२५८ B (४,०९६ शब्द) - ०४:३७, २२ सितम्बर २०२२
- वृत्तों में पर ब्रजभाषा में ही लिखी गई थीं। जैसे–– श्रीयुक्त नागरि निहारि दशा तिहारी। होवै विषाद मैंने माहिं अतीव भारी॥ प्रकार जानु नभ-मंडल में समाने। प्राचीर...६२७ B (३९,८११ शब्द) - ०२:१२, २१ मई २०२४
- तारिबो हमारो गिनो, कठिन परेमी पाप पांति पढ़ि जायगी। यातें जो न तारिहों तिहारी सौंह रघुनाथ, अधम उघारिबे की साख घटि जायगी। भक्ति की अनन्यता और तल्लीनता...३०३ B (६,७०५ शब्द) - २०:५०, २२ अप्रैल २०२१
- हैं । बातें चबाव भरा सुनि कै रिसिआवत पै चुप है रहती हैं। कान्ह पियारे तिहारे लिये सिगरे व्रज को हँसियो सहती हैं। (२) आगे तो कीन्हीं लगा लगी लोयन कैसे...५२७ B (४,५३८ शब्द) - २०:००, ३ अगस्त २०२३
- सब अपनी बात। कैसे कटी आज की रात॥ मोसों कपट करै जिन प्यारी। पुजवोगी सब आस तिहारी॥ महाराज, इतनी बात के सुनतेही ऊषा अति सकुचाय सिर नाय चित्ररेखा के निकट आय...४४७ B (५,०३९ शब्द) - १७:०४, ४ दिसम्बर २०२१
- ऐसी स्याम मिलैं धौं कैसे। २-प्रभु मोरे औगुन चित न धरो। समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो। एक नदिया एक नार कहावत मैलो नीर भरो। जब दोनों मिलि एक...७९२ B (६,०३० शब्द) - १९:०६, १० जुलाई २०२१