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- उसमें कितनी मधु-धारा हो ढाल रही। सब बाहर होता जाता है स्वगत उसे मैं कर न सका, बुद्धि-तर्क के छिद्र हुए थे हृदय हमारा भर न सका। यह कुमार--"मेरे जीवन का...२२७ B (२,०१२ शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
- देखिए--- इनको ऊँचो सीस है, वाको उच्च करार। श्याम दोऊ, वह जल स्त्रवत, ये गंडन मधु-धार॥ उतै भँवर को शब्द, इत भँवर करत गुंजार। निज सम तेहि लखि नासिहैं, दंतन...४८९ B (२,६१४ शब्द) - ०५:४०, २५ जुलाई २०२२
- खिला। हँसती-सी सुरभि सुधार रही, अलकों की मृदुल अनी। सखे! वह प्रेममयी रजनी। मधु मन्दिर-सा यह विश्व बना, मीठी झनकार उठी। केवल तुमको थी देख रही— स्मृतियों...४८८ B (९१६ शब्द) - १७:३२, १७ सितम्बर २०२१
- मीठी- मीठी बोलो बोलती और बिरह में विप घोलती थी। मधुर मधु- मयी माधवी-लता पर मंडराते हुए मकरन्द-मत मधुकर, उस- चराचर मात्र में नूतन शक्ति सञ्चालन करने वाले–जगदाधारका...५४० B (२,९८२ शब्द) - ०६:१६, २९ जनवरी २०२२
- अवहेलना नहीं होती ? अब तक पी हुई शराब को और भी तीखी करती हुई, उस लड़की की मधु- मधुर कंठ-ध्वनि उसके कानों में शहद उड़ेल रही थी! "माफ़ कीजिये । आप..." अपने...३४२ B (२,५७८ शब्द) - १२:३६, २५ अप्रैल २०२१
- वहाँ सावधानी से रहें। आगे खस अफ मगध चले जयध्वजहि उड़ाए। यवन और गंधार रहें मधि सैन जमाए॥ चेदि - हून - सकराज लोग पीछे सो धावहिं। कौलूतादिक नृपति कुमारहि...४९५ B (३,७३६ शब्द) - ०५:४४, २५ जुलाई २०२२
- राज्य-कल्पना से जिनकी मानसिक शुभेच्छा एक बार ही दब गई है। जिन पर कल्याण की मधु-वर्षा नहीं होती, उन अपनी प्रनाओ से पूछो, और पूछो अपने मन से। कामना-जाओ सन्तोष...२४१ B (१,५३७ शब्द) - २३:२८, १२ अप्रैल २०२१
- पथिक पहचाने-से उस सुख का आलिङ्गन करने कभी भूलकर आ जाना मिलन-क्षितिज-तट मधु-जलनिधि में मृदु हिलकोर उठा जाना कुमारदास--(प्रवेश करके) साधु! मातृगुप्त--(अपनी...२७० B (७,५८९ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
- जा तू, अमृत-झड़ी सुख से झिल जा तू। इस अनन्त स्वर से मिल जा तू वाणी में मधु घोल। जिससे जाना जाता सब यह, उसे जानने का प्रयत्न! अह! भूल अरे अपने को मत...२७२ B (७,१९३ शब्द) - ०८:०२, १९ जुलाई २०२०
- आलोक पुरुष! मंगल चेतन! केवल प्रकाश का था कलोल, मधु किरणों की थी लहर लोल। बन गया तमस था अलक जाल, सर्वांग...२३४ B (१,८३० शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
- ।।६२।। द्रुतविलम्बित छन्द नव निकेतन कान्त - हरीतिमा । जनयिता मुरली - मधु - सिक्त का । सरसता लसता वन मध्य था । भरित- भावुकता तर वेणुका ॥६३।। बहु-प्रलुब्ध...३४५ B (३,०५८ शब्द) - ००:५५, १३ अक्टूबर २०२०
- है ) राक्षस---( पत्र पढ़ता है ) सकल कुसुम-रस पान करि मधुप रसिक-सिरताज। जो मधु त्यागत ताहि लै होत सबै जगकाज॥ ( आप ही आप ) अरे!!---"मैं कुसुमपुर का वृत्तांत...५१६ B (३,८९४ शब्द) - ०५:३६, २५ जुलाई २०२२
- सुगंधित मदिरा, भाँति-भाँति के सुस्वादु फल-फूलवाले वृक्षों के झुरमुट, दूध और मधु की नहरों के किनारे गुलाबी बादलों का क्षणिक विश्राम। चाँदनी का निभृत रंगमंच...३७४ B (४,१३० शब्द) - १९:००, १९ जुलाई २०२०
- विचित्र टटके बेल-बूटे बना दिये हों । इन पेड़ों ने भाँरों को अपने फूलों का मधु दे डालने की ठानी। अतएव सैकड़ों भौंरे उनके पास पहुँच गये और बड़े प्रेम से...४८३ B (६,२५६ शब्द) - ०६:२४, १८ सितम्बर २०२१
- वृंद जापै लखौ गँजि गँजि रस लेत॥ बसन चॉदनी, चंद मुख, उडुगन मोती माल। कास फूल मधु हास, यह सरद किधौं नव बाल॥ ( चारों ओर देखकर ) कंचुको! यह क्या? नगर में "चंद्रिकोत्सव"...५१३ B (३,७५० शब्द) - ०५:३९, २५ जुलाई २०२२
- कुछ हो लेकिन स्त्री- पुरुष दोनों की ब्रजभाषा की रचना ऐसी मधुर और सरस है जो मधु-वर्षण करती ही रहती है । ब्रजभाषा-देवी के चरणों पर इस युगल जोड़ी को कान्त...५२७ B (४,५३८ शब्द) - २०:००, ३ अगस्त २०२३
- हो नहीं, पर क्या कोई सम्बल बाड गबहने का साहस कर सकते हैं कि तुलसीदास और मधु- सुदनदास में कोई अंतर हो नहीं ! इस प्रकार का प्रयत्न हमने पहले ________________...३६३ B (१,९५८ शब्द) - ०९:२९, २८ अप्रैल २०२१
- लगा पिघलने मानिनियों का हृदय मृदु-प्रणय-रोष भरा। वे हँसती हुई दुलार-भरी मधु लहर उठाने वाली है। भरने निकले हैं प्यार-भरे जोड़े कुंजों की झुरमुट से। इस...६६२ B (३,४७६ शब्द) - १७:२०, ३१ अगस्त २०२०
- मिलेंगे लोक - लावण्य - वाले ॥९०।। कव कुसुमित - कुंजो मे बजेगी बता दो । वह मधु - मय - प्यारी - बॉसुरी लाडिले की । कब कल - यमुना के कूल वृन्दाटवी मे । चित...३७५ B (२,५७६ शब्द) - ०५:०९, १६ अक्टूबर २०२०
- का अंचल डोल रहा, लो, यह लतिका भी भर लाई मधु मुकुल नवल-रस नागरी॥ कहीं उस यौवन-काल की स्मृतियाँ हैं जिसमें मधु का आदान-प्रदान चलता था, कहीं प्रेम का शुद्ध...६२७ B (३९,८११ शब्द) - ०२:१२, २१ मई २०२४