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रीति मानस हेतु खोज परिणाम निम्न हैं। रीतेश माधव हेतु खोज खोजें।
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  • तें कछु घाटि। जानइ ब्रह्म सो विप्रवर आँखि देखावहिं डाँटि॥ ——'मानस' जैसे तुलसी के 'मानस' में यह लोकविरोधो धारा खटकी वैसे ही सूर की आँखों में भी। तुलसी...
    ३२४ B (१,४७४ शब्द) - ०४:३९, १ अक्टूबर २०२०
  • साहित्य-वधू बोलती गई वहाँ वैसी ही बोली बोली जाने लगी। उसी बोल चाल की रीति का नाम हुआ ‘गौडी रीति––जिसमें समास तथा अनुप्रास का प्रयोग अधिक होता है। वहाँ जो कुछ...
    ३१५ B (१,४४२ शब्द) - १८:४३, २० जुलाई २०२३
  • प्रतिमा समान खड़ा रह जाता, जैसे किसी बड़ी घटना को सोच रहा हो, और फिर इस रीति से झपट कर आगे बढ़ना मानो कमर कसकर उसे सम्पादन करने चला। अन्त को एक उत्तुङ्ग...
    ४७४ B (१,२३२ शब्द) - १४:४४, २१ नवम्बर २०२१
  • ग्रन्थ को इतनी सर्व-प्रियता नहीं प्राप्त हुई जितनी "बिहारी सतसई को"। रामचरित मानस के अतिरिक्त और कोई ग्रन्थ ऐसा नहीं है कि उसकी उतनी टीकायें बनी हों जितनी...
    ७२० B (३,६४० शब्द) - २१:५४, २४ जुलाई २०२१
  • बाबा नानक की सुधा-सूक्तियों के लिये तृषित आत्माओं की तृप्ति क्या राम-चरित-मानस अथवा सूरसागर कर सकेगा? ऐसी आशा करना अस्वाभाविक है। हिन्दुस्तानी भारत की 'राजभाषा'...
    ६७६ B (३,९९१ शब्द) - १३:२६, २१ नवम्बर २०१९
  • करते हुए भी उसने दोनो को एक ही अज्ञेय सत्ता के दो पक्ष या रूप कहा है। पर इस रीति से अद्वैतपक्ष पर आने पर भी द्रव्य और मन ( या आत्मा ) की पृथक् भावना द्वारा...
    ३३६ B (३,३६३ शब्द) - ०५:५४, ७ नवम्बर २०२१
  • होता वह सावधान सै सावधान मनुष्यों को भी ठगती है. उस्का एक, एक शब्द भले मानसों की इज्जत लूटता है कल्पद्रुम मैं कहा है "होत चुगल संसर्ग ते सज्जन मनहुं विकार॥...
    ५८५ B (२,१९५ शब्द) - १७:०५, २९ जुलाई २०२३
  • पड़ती हो। फिर ठहर कर बोली तथापि कामिला ठीक कहती है, परन्तु उसके साथ ही इस रीति से नाक भौं चढ़ाई जैसे उसने कहा हो कि कामिला का कहना ठीक नहीं। अब इस ठौर यह...
    ५०३ B (२,६२७ शब्द) - ०९:४८, २४ नवम्बर २०२१
  • में थे कि घड़ियालीने ठनाठन पाँच का घण्टा बजाया, और प्रत्येक व्यक्ति एकाग्र मानस से उसको गिनने लगा। एक बड़े कठिन कार्य्य के पूरा करने का [ १३४ ]बीड़ा उठाने...
    ५३८ B (१,६८० शब्द) - ०९:४४, २४ नवम्बर २०२१
  • उपयुक्त नहीं है। इस प्रकार का निरूपण प्रशांत मानव में ही ठीक है, मोदतरंगाकुल मानस में नहीं। पर कवि अपनी चिंतनशील प्रकृति के अनुसार अवसर अनवसर का विचार न करके...
    ४५३ B (१,९०३ शब्द) - २३:४९, १३ मई २०२४
  • ही न था कि पृथ्वी खागई, अथवा अकाश निगल गया, [ १४१ ]उसके आते ही सब लोग इस रीति से चिल्ला उठे कि सम्पूर्ण आयतन गूँज उठा। रोजाबिला अबिलाइनों के पद सन्निकट...
    ५४२ B (२,०८४ शब्द) - ०९:४४, २४ नवम्बर २०२१
  • आर्षि-पुत्रक । ‘स्वयम्भू’ हैं ब्रह्मा--उनके वचन 'ब्राह्म’ हैं । ब्रह्म के सात मानस-पुत्र-भृगु (अथवा वसिष्ठ), मरीचि, अंगिरस्, अत्रि, पुलस्त्य, पुलह,ऋतु--का नाम...
    ४३६ B (१,८३४ शब्द) - १४:३०, ८ मई २०२१
  • रीतियाँ प्रचलित हैं—एक पुरानी, दूसरी नयी। पुराने विचार के लोगों को पुरानी रीति से और नये विचार-वालो को नयी रीति से पत्र लिखना चाहिये । दोनो रीतियों का...
    ५८६ B (९,१५४ शब्द) - १८:५५, १२ दिसम्बर २०२०
  • रोचकता और काव्यगुण में कमी हुई है। छंदों का विधान इन्होंने ठीक उसी रीति से किया है, जिस रीति से इतने बड़े ग्रंथ में होना चाहिए। जो छंद उठाया है उसका कुछ दूर...
    ७१६ B (२१,६१४ शब्द) - ०२:२२, २० मई २०२४
  • मानने को जी नहीं चाहता। यह ठीक है, पर याद रक्खो कि हमारी बातें मानने का मानस करोगे तो समझ में भी आने लगेंगी, और प्रत्यक्ष फल भी देंगी। अच्छा साहब मानते...
    ६९९ B (२,१०३ शब्द) - १७:३३, १२ फ़रवरी २०२४
  • हुआ नही द्रवित ॥ - कथा वाजियों की सुन कर करुणा भरी। नही हो गया क्या मेरा मानस व्यथित ।।५०।। [ १३८ ] १३८ वैदेही-वनवास किन्तु प्रश्न यह है, है धार्मिक -...
    ३८२ B (२,३५४ शब्द) - १६:१५, १ अगस्त २०२३
  • वास्तविक रीति से हमें मालूम नहीं हो सकते; फिर ये भेद कौन-कौन से हैं और किस प्रकार के हैं, इसका तो जानना बड़ी दूर की बात है। जब तक प्रस्तुत विषय मानस-शास्त्र...
    ४२१ B (१८,७०० शब्द) - ११:३५, ४ नवम्बर २०२०
  • में भोजन छादन का विधान और [ ३७ ]मनुस्मृति में स्त्री पुरुष की प्रसन्नता की रीति लिखी है उसी प्रकार करें और वर्त्तें गर्भाधान के पश्चात् स्त्री को बहुत सावधानी...
    ७३६ B (३,३३२ शब्द) - ०३:२६, ४ अगस्त २०२३
  • सरग कै डीठी॥ मंतर लेहु होहु सँग लाग। गुदर जाइ सब होइहि आगू।॥ का निचिंत रे मानस, आपन चीते आछु। लेहि सजग होइ अगमन, मन पछिताव न पाछु॥३॥ विनवै रत्नसेन कै माया।...
    ४५५ B (१,६२४ शब्द) - २२:१६, १५ मई २०२४
  • सुकविः काव्ये स्वतन्त्रतया। ऐसे ही कुछ सिद्धान्त पिछले काल के अलंकार और रीति-ग्रन्थों के अस्पष्ट अध्ययन के द्वारा और भी बन रहे हैं। कभी यह सुना जाता है...
    ५२७ B (५,१६६ शब्द) - १२:५१, १९ नवम्बर २०२१
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