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  • क्योंकि इसमें भी एक प्रेम-कथा ग्रंथित की गई है। अनुवाद बहुतही उत्तम हुआ है। तृतीयावृत्ति। मू॰ १॥″) मैनेजर, हिन्दी-ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय,⁠ हीराबाग, पो॰...
    ५१३ B (६९३ शब्द) - १७:०६, २५ नवम्बर २०२१
  • संस्कृत कथाओं; और दूसरा, फ़ारसी की कहानियों का (हिन्दी साहित्य कोश : भाग २, पृ॰ २३७)। एक स्रोत और था लोककथाओं का। 'नवशेरवाँ का इंसाफ़' की जो कथा है, वैसी...
    ५३० B (३,०७१ शब्द) - १२:०८, २३ जुलाई २०२०
  • देव-असुरों ने ⁠समझकर रत्न का आकर, पिया विष विष्णु के ही अर्थ ⁠शंकर ने अमरता-भर, जहाँ से आय है निश्चित ⁠जहाँ से बुद्धि है व्यय की। कथा के स्रोत का उत्थान...
    ३९९ B (१०२ शब्द) - १४:३३, २५ मई २०२३
  • में चक्र है एक रुपया दूंगा तो चार इक्टठे होगे। इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी बोले कि राजा, अब आगे कथा सुनिये। श्रीकृष्णचंद के पधारते ही राजा युधिष्ठिर ने सब...
    ४१३ B (५१३ शब्द) - ०८:४०, ५ दिसम्बर २०२१
  • दिया है। सप्रेजी द्वारा कहानी को सुभाषित-रत्न कहने का आधार भी यही है। सुभाषित की धातु 'भाष्' कहानी की धातु 'कथ्' का ही तो पर्याय है। सुभाषित कहने से कहानी...
    ४९८ B (२,०८५ शब्द) - १२:०८, २३ जुलाई २०२०
  • जिधर-तिधर पुरबासी कुतूहल करें, ठौर ठौर ब्राह्मन बेद उच्चरे घर घर में लोग कथा पुरान सुने सुनावे, साध संत आठो जाम हरिजस गावें। सारथी रथ घुड़ बहल जोत जोत...
    २९९ B (६०८ शब्द) - ०८:३४, ५ दिसम्बर २०२१
  • जिसमें राजा रत्नसेन और पद्मिनी की कथा का राजस्थानी मिली भाषा में वर्णन है। जायसी ने कथा का जो रूप रखा है। उससे इसकी कथा में बहुत जगह भेद है––जैसे, जायसी...
    ६१३ B (२,००३ शब्द) - १७:४४, २७ जुलाई २०२३
  • 49229कर्मभूमि1932प्रेमचंद [ १९९ ] ३ एक महीने से ठाकुरद्वारे में कथा हो रही है। पं० मधुसूदनजी इस कला में प्रवीण हैं। उनकी कथा में श्रव्य और दृश्य, दोनों ही काव्यों का आनन्द...
    २८० B (१,३६३ शब्द) - १८:१५, २१ जुलाई २०२३
  • उनमें भारतीय नीतिशास्त्र का निचोड़ है। प्रत्येक कथा नीति के किसी भाग का अवश्य प्रतिपादन करती है। प्रत्येक कथा का निश्चित् उद्देश्य है। ये कथायें संसार भर...
    ४७२ B (१,०१४ शब्द) - ०१:४५, १ दिसम्बर २०२३
  • श्रीशुकदेवजी बोले कि महाराज, अब मैं सब ऋषियो के आने की औ बासुदेवजी के यज्ञ करने की कथा कहता हूँ तुम चित दे सुनौ। महाराज, एक दिन राजा उग्रसेन, सूरसेन, बसुदेव, श्रीकृष्ण...
    ६०९ B (८०० शब्द) - ०८:३७, ५ दिसम्बर २०२१
  • देकर केवल प्रचार के उद्देश्य से हो इस माला के रत्न निकाले गये हैं। 'आनन्द-मठ' को इस माला का प्रथम रत्न बनाने का यही कारण है। इस पुस्तक की उपयोगिता सर्वविदित...
    ५५६ B (८३७ शब्द) - १५:४९, ५ अक्टूबर २०२३
  • जी [ ३८४ ]अस्सीवाँ अध्याय श्रीशुकदेवजी बोले कि महाराज, अब मैं सुदामा की कथा कहती हूँ कि जैसे वह प्रभु के पास गया औ उसका दरिद्र कटा, सो तुम मन दे सुनौ।...
    ५९३ B (८१४ शब्द) - ०८:३८, ५ दिसम्बर २०२१
  • से उतरे। रतन पत्रों में जालपा को तो ढांढस देती रहती थी पर अपने विषय में कुछ न लिखती थी। जो आप ही व्यथित हो रही हो, उसे अपनी व्यथाओं की कथा क्या सुनाती ...
    ४१६ B (२,५९५ शब्द) - २०:३७, २९ जुलाई २०२३
  • मेरे स्नेह में मगन रहता है और उसके आगे संसार के सुख को तृनवत समझता है। इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी ने राजा परीक्षित से कहा कि महाराज, ऐसे अनेक अनेक प्रकार की...
    ५४७ B (७४५ शब्द) - ०८:३८, ५ दिसम्बर २०२१
  • चरित्र रत्नखान ९० ४७६ रत्नचंद्रिका ३१५ यूसुफजुलेवा ११५ । रत्नाकर ५८४ यो चितामणि १२२ रत्नाकर जोपम कथा १३ योग वासिष्ठ भापा ३ १५, ४३६. रत्नावली नाटिका ( बालमुकुंद...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३
  • स्वास्थ्य प्रदान करती है। इन सब महोदारचरिता महिलाओं के पवित्र जीवन की पुण्य कथा भारत की रमणियों को धर्म में, कर्तव्य और पातिव्रत में सदा उत्साहित करे---यही...
    ३७५ B (१,७८९ शब्द) - ०१:११, ३ अगस्त २०२३
  • सकेंगे। स्वप्न में दान देने की कथा भारतेन्दुजी की निज की उपज है। चंडकौशिक तथा सत्यहरिश्चन्द्रम् में प्रत्यक्ष ही दान देने की कथा है। सत्यहरिश्चन्द्रम् में...
    ५७१ B (४,४०७ शब्द) - १५:२६, १७ जुलाई २०२२
  • उसी समय में हुआ, जब आदमी ने बोलना सीखा; लेकिन प्राचीन कथा-साहित्य का हमें जो कुछ ज्ञान है, वह 'कथा- सरित्सागर,' 'ईसप की कहानियाँ' और 'अलिफ़-लैला' आदि पुस्तकों...
    २८७ B (१,८०६ शब्द) - ००:४८, ४ अगस्त २०२३
  • उसी समय से हुआ, जब आदमी ने बोलना सीखा; लेकिन प्राचीन कथा-साहित्य का हमें जो कुछ ज्ञान है, वह 'कथा सरित-सागर', 'ईसप की कहानियाँ' और 'अलिफ़-लैला' आदि पुस्तकों...
    ३४४ B (१,७९८ शब्द) - १०:२८, २६ जून २०२१
  • चञ्चल प्रकृति का था, रतन गाम्भीर। बिहारी प्रेम दिखाने के सौ-सौ उपाय करता। रतन दिल की बात कहते हुए भी हिचकता, शरमाता, घबराता। रतन का गाम्भीर्य उसके हक़...
    ३५४ B (६,५२१ शब्द) - ०६:०७, २९ जनवरी २०२२
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