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नांदी प्रकाश हेतु खोज परिणाम निम्न हैं। नालंदा प्रकाशन हेतु खोज खोजें।
  • नाटकशास्त्र में नांदी कहते हैं। किसी का मत है कि नांदी पहले ब्राह्मण पढ़ता है, कोई कहता है सूत्रधार ही और किसी का मत है कि परदे के भीतर से नांदी पढ़ी या गाई...
    ५०५ B (१,७२७ शब्द) - ०५:००, २५ जुलाई २०२२
  • सत्यासक्त दयाल द्विज प्रिय अघहर सुखकद। जनहित कमलातजन जय शिव नृप कवि हरिचन्द*॥ ( नांदी के पीछे सूत्रधार+ आता है ) सूत्र०---अहा! आज की संध्या भी धन्य है कि इतने...
    ५१७ B (६२५ शब्द) - १६:३८, १८ जुलाई २०२२
  • जब मैं नंदवंश-वध की बड़ी प्रतिज्ञारूपी नदी से पार उतर चुका, तब यह बात प्रकाश होने ही से क्या मैं इसको न पूरा कर सकूँगा? क्योंकि--- दिसि सरिस रिपु-रमनी...
    ५२८ B (३,७२४ शब्द) - ०५:२६, २५ जुलाई २०२२
  • अपने तोते का पिंजड़ा लिये, कोई भजन गाता हुआ तालाब की ओर जाता था। उस धुंधले प्रकाश में उसका जर्जर शरीर, पोपला मुंह और झुकी हुई कमर देखकर किमी अपरिचित मनुष्य...
    ५६९ B (२,५६४ शब्द) - २२:१५, १३ जुलाई २०२०
  • अपने तोते का पिंजड़ा लिये कोई भजन गाता हुआ तालाब की ओर जाता था। उस धुँधले प्रकाश में उसका जर्जर शरीर, पोपला मुँह और झुकी हुई कमर देखकर किसी अपरिचित मनुष्य...
    ४५० B (२,५७७ शब्द) - २३:५९, २२ अगस्त २०२१
  • अपने तोते का पिंजरा लिये कोई भजन गाता हुआ तालाब की ओर जाता था। उस धुंधले प्रकाश में उसका जर्जर शरीर, पोपला मुँह और झुकी हुई कमर देखकर किसी अपरिचित मनुष्य...
    ५४२ B (२,५७३ शब्द) - ०६:१३, २९ जनवरी २०२२
  • घण्टियाँ कभी-कभी बज उठती थीं। दस कदम पर मृतक गाय पड़ी हुई थी और होरी घोर पश्चाताप में करवटें वदल रहा था। अन्धकार में प्रकाश की रेखा कहीं नजर न आती थी।...
    २५५ B (२,९५२ शब्द) - २१:०२, १३ जुलाई २०२१
  • लिख नहीं सकती। [ ११२ ]भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (६५) शोक प्रकाश भारतवष के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक हाहाकार मच गया। काशी का तो कहना ही...
    ४९१ B (३,८१६ शब्द) - १५:५४, ३० जुलाई २०२३
  • से आई है। बच्चे उसके सींगों से खेलते रहते थे। सिर तक न हिलाती थी। जो कुछ नांद में डाल दो, चाट-पोंछकर साफ कर देती थी। लच्छमी थी, अभागों के घर क्या रहती...
    ३८० B (३,४२० शब्द) - ०५:२८, २१ मई २०२१
  • से ही बँगला की देखा-देखी हमारे हिंदी नाटकों के ढाँचे पाश्चात्य होने लगे। नांदी, मंगलाचरण तथा प्रस्तावना हटाई जाने लगी। भारतेंदु ने ही 'नीलदेवी' और 'सती-प्रताप'...
    ५३८ B (३,४०९ शब्द) - १७:४०, २७ जुलाई २०२३
  • अपने तोते का पिंजड़ा लिये, कोई भजन गाता हुआ तालाब की ओर जाता था। उस धुंधले प्रकाश में उसका जर्जर शरीर, पोपला मुंह और झुकी हुई कमर देखकर किमी अपरिचित मनुष्य...
    ६०७ B (२,६८९ शब्द) - २१:४२, ११ जुलाई २०२०
  • चार घड़ा पानी नांद में डाल दें। मजूर रखा है, वह भी तोन को ही का। खाने को डेढ़ से काम फरते नानी मरतो है। आज आते हैं तो पूछती हूँ, नांद में पानी क्यों...
    २८२ B (५,७४५ शब्द) - २१:१८, ३० जुलाई २०२३
  • प्रेम के दर्शन पाये, जो आत्मा के विकारों को शान्त कर देता है, उसे सत्य प्रकाश से भर देता है। उसमें लालसा की जगह उत्सर्ग, भोग की जगह तप का संस्कार कर देता...
    २०७ B (५,२२५ शब्द) - १८:१८, २१ जुलाई २०२३
  • न थी। वह उस गाय की तरह थी, जो एक पतली सी पगहिया के बंधन में पड़कर, अपनी नांद के भूसे-खली में मग्न रहती है। सामने हरे-हरे मैदान है, उसमें सुगन्धमय घासें...
    २१९ B (७,६०५ शब्द) - १९:०८, २४ जनवरी २०२०
  • श्रीराम. ११९२ मामन का प्लेट ५ जैन मंदिर में मर्नियों में गाय पाल में राज हुए नांदी गई गाल प्राकृतिक गन। जिनपर गोकार मंत्र' (नमा अग्हिंनाणं , श्रार बल करल पार...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१