खोज परिणाम

कहीं आपका मतलब भारत तो नहीं था?
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)
  • चतुरसेन शास्त्री 122455वैशाली की नगरवधू1949आचार्य चतुरसेन शास्त्री [ १६७ ] 44. भारी सौदा अम्बपाली ने अपने कक्ष में सम्राट को आमन्त्रित किया। सम्राट के आने पर...
    ४३६ B (९९३ शब्द) - ०७:५१, ७ अगस्त २०२०
  • भारतदुर्दशा न देखी जाई॥ लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी। करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी॥ तिन नासी बुधि बल विद्या धन बहु बारी। छाई अब आलस-कुमति-कलह-अँधियारी॥ भए अंध...
    ५०३ B (२१९ शब्द) - ०३:४६, १९ मई २०२१
  • व्यक्तिसे कराया जाय। यह निर्णय होते ही मैंने भूखे भिखारीकी तरह, झपट कर, अनुवादका भार अपने सिरपर ले लिया। सचमुच, वह दिन मेरे बड़े सद्भाग्यका दिन था। अनुवाद मैंने...
    ५४६ B (९०७ शब्द) - २२:५१, १ अक्टूबर २०२०
  • सिराति न कबहूँ, बहुत जतन करि हारी॥ एकटक रहति, निमेष न लावति, बिथा बिकल भइ भारी। भरि गइँ विरह-बाय-बिनु दरसन, चितवति रहति उघारी॥ रे रे अलि! गुरु ज्ञान-सलाकहि...
    ५६१ B (६८ शब्द) - १८:०६, २० सितम्बर २०२०
  • हरि सों ज्यों भई बिरह-जुर-जारी॥ मनो पलिका पै परी धरनि धँसि तरँग तलफ तनु भारी। [ १८७ ] तटबारू उपचार-चूर मनो, स्वेद-प्रवाह पनारी॥ बिगलित कच कुस कास पुलिन...
    ५६७ B (११३ शब्द) - ०९:०६, १५ सितम्बर २०२०
  • उपयोग करके मिश्रबंधुओं (श्रीयुत पं० श्यामबिहारी मिश्र आदि) ने अपना बड़ा भारी कवि-वृत्त-संग्रह 'मिश्रबंधु-विनोद' जिसमें वर्त्तमान काल के कवियों और लेखको...
    ५९७ B (२,९१६ शब्द) - ०९:२६, १२ सितम्बर २०२०
  • चम्पा का पतन 41. वादरायण व्यास 42. सम्मान्य अतिथि 43. गर्भ–गृह में 44. भारी सौदा 45. भविष्य–कथन 46. साम्राज्य 47. दास नहीं, अभिभावक 48. सोम की भाव–धारा...
    ४६८ B (९५३ शब्द) - २१:२६, ३० नवम्बर २०२३
  • श्रीकृष्ण बाल बालों से कहने लगे कि भैया, अब तो सुखदाई सरद ऋतु आई । सबको सुख भारी अब जान्यो, स्वाद सुगंध रूप पहिचान्यो । निसि नक्षत्र उज्जल आकाश, मानहु निर्गुन...
    ४०७ B (३०९ शब्द) - १५:४०, २ दिसम्बर २०२१
  • वापस लाये गये। ५०,००० जर्मन सैनिक मारे गये। पऱन्तु इसमे फ्रांस की शक्ति का भारी नाश हुआ। जिस मैजिनो क़िलेबन्दी पर फ्रांस को अपार गर्व था, वह व्यर्थ सिद्ध...
    ५०४ B (३२१ शब्द) - १७:१६, २७ जुलाई २०२१
  • दै कर हाटक माँगत भोरै निपट सु धारी। धुर ही तें खोटो खायो है लये फिरत सिर भारी॥ इनके कहे कौन डहकावै ऐसी कौन अजानी? [ ९८ ] अपनो दूध छांडि को पीवै खार कूप...
    ४८१ B (१०७ शब्द) - १९:१८, ३० जुलाई २०२०
  • लेखकों की नामावली में लिख "दैवी श्री अहिल्या बाई के जीवन चरित्र" के लिखने का भार सन् १९१४ ईसवी के जून मास में मुझे सौंपा— यद्यपि मैंने आप से विनय पूर्वक इस...
    ५४६ B (१,०२४ शब्द) - ०२:४९, २५ जुलाई २०२३
  • द्वारा प्राप्त होता है परंतु ऐसा नहीं है। जो ऐसा ख्याल करते हैं यह उनकी बड़ी भारी भूल है। जैसे मनुष्य अपने विचार प्रकट करता है उसी के अनुसार उसकी उन्नति या...
    ४९२ B (९०५ शब्द) - १३:३२, २८ फ़रवरी २०२२
  • के क़दमों पर चल कर जस कमाया। उन्नीस्वीं सदी में योरुप की जातियों में बड़ी भारी तब्दीली हुई जिसका गहरा असर उनके समाज, रहन सहन के ढंग, कला और व्यापार के तरीक़े...
    ४२६ B (९६३ शब्द) - १८:५९, १७ सितम्बर २०२१
  • श्रीकृष्ण के गले मिल मिस पूछने लगे कि भैया, तूने इस कोमल कमल से हाथ पर कैसे ऐसे भारी पर्वत का बोझ सँभाला, औ नन्द जसोदा करुना कर पुत्र को हृदय लगाय हाथ दाब उँगली...
    ३८१ B (१६५ शब्द) - १६:२२, २ दिसम्बर २०२१
  • के कदमों पर चल कर जस कमाया। उन्नीस्वीं सदी में योरुप की जातियों में बड़ी भारी तब्दीली हुई जिसका गहरा असर उनके समाज, रहन सहन के ढंग, कला और व्यापार के तरीक़े...
    ४६८ B (९३८ शब्द) - ०७:३५, १८ सितम्बर २०२१
  • के क़दमों पर चल कर जस कमाया। उन्नीसवीं सदी में योरुप की जातियों में बड़ी भारी तब्दीली हुई जिसका गहरा असर उनके समाज, रहन सहन के ढंग, कला और व्यापार के तरीक़े...
    ५७७ B (९१३ शब्द) - ०३:५८, २४ अगस्त २०२१
  • कमला भई दासी॥ जन के हेत लेत औतार। तब तब हरत भूमि कौ भार॥ दूर करौ सब चूक हमारी। अभिमानी मूरख हौ भारी॥ जब ऐसे दीन हो इन्द्र ने स्तुति करी तब श्रीकृष्णचंद...
    ३९३ B (३८७ शब्द) - १६:२८, २ दिसम्बर २०२१
  • थीं, सब आनंद में ऐसे मगन थे कि कृष्ण की सुरत किसू को भी न थी। और कृष्ण एक भारी छकड़े के नीचे पालने में अचेत सोते थे कि इसमें भूखे। हो जगे, पॉव के अँँगुठे...
    ३५३ B (५२५ शब्द) - ०७:४८, ३० नवम्बर २०२१
  • द्वारा देशकी अधिक-से-अधिक सेवा कर सकेंगा । अहमदाबाद पहले हाथ-बुनाईका बड़ा भारी केंद्र था, इससे चरखेका काम यहां अच्छी तरह हो सकेगा; और गुजरातका प्रधान नगर...
    ३२६ B (७२२ शब्द) - ०४:०६, ४ अगस्त २०२३
  • से किसीकी कुछ सुध बुद्धि ठिकाने नहीं रहती। करत कर्म सब सुख के हेत। ताते भारी दुख सहि लेत॥ चुभे हाड़ ज्यौं स्वान मुख, रुधिर चचोरे आप। जानत ताही से चुवत...
    ४९९ B (१,४०३ शब्द) - १६:०१, ४ दिसम्बर २०२१
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)