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कहीं आपका मतलब आनन्द राजपूत तो नहीं था?
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  • रोशनी में चमक रहे थे। एक राजपूत सिपाही ने आकर, धरती पर भाला टेककर भील सरदार का अभिवादन किया। भील सरदार ने खड़े होकर राजपूत से संदेश पूछा। तुरन्त ढोल...
    ४२८ B (१,४१९ शब्द) - १८:११, ११ अप्रैल २०२२
  • आया और बोला- मैंने। पिताजी-तुम क्षत्रिय हो ? राजपूत-हाँ ! पिताजी-तो किसी क्षत्रिय से हाथ मिलाते ? राजपूत का चेहरा तमतमा गया। बोला-कोई क्षत्रिय सामने आ...
    ३८५ B (३,६३४ शब्द) - १८:२५, २३ जुलाई २०२०
  • कातर न हुआ था, कभी आँखों में आँसू ने आये थे। मरना-मारना तो राजपूत का धर्म है। इस पर कोई राजपूत क्यों आँसू बहाये। पर आज इस बालिका के विलाप ने उसे विवश कर...
    ४१४ B (५,५०६ शब्द) - ०६:१७, २९ जुलाई २०२०
  • लिया था। वे तड़पकर बोले -- प्रभा, तू राजपूत की कन्या है ? प्रभा की आँखें सजल हो गई। बोली -- राणा भी तो राजपूतों के कुल-तिलक हैं। रावसाहब ने आकर कहा --...
    ३९५ B (५,६१९ शब्द) - १८:२२, २३ जुलाई २०२०
  • थोड़े दिन होय।" -- यह उनका मोटो था। बस इसलिये वह इस दुःख को भी सुख मानकर आनंद से घर रहे। इनके माता पिता का देहांत हो ही चुका था। घर में दोनों भाई और दोनों...
    ३८३ B (२,०२६ शब्द) - १२:०२, १७ दिसम्बर २०२१
  • अंतर्हित हो गई थी और खंड खंड होकर जो गहरवार, चौहान, चंदेल और परिहार आदि राजपूत-राज्य पश्चिम की ओर प्रतिष्ठित थे, वे अपने प्रभाव की वृद्धि के लिये परस्पर...
    ७४४ B (६,९३७ शब्द) - १०:००, ८ जुलाई २०२३
  • में महात्मा कबीर के चौरे के निकट मुंशी वज्रधरसिंह का मकान है। आप हैं तो राजपूत, पर अपने को 'मुंशी' लिखते और कहते हैं। 'मुन्शी' की उपाधि से आपको बहुत प्रेम...
    २९८ B (९८५ शब्द) - ०२:२७, १६ फ़रवरी २०२२
  • मारे रंज के उनका सिर दुखने लगा था ! बख्तावर सिंह राजपूत थे। उन्होंने टॉड का राजस्थान पढ़ा था! राजपूतों की वीरता की फड़काने वाली कहानियाँ उन्हें याद थीं।...
    ३११ B (२,१३१ शब्द) - २३:५९, ९ अगस्त २०२१
  • जाऊँ ? नैपाल कब हमारा मित्र रहा है ? सिपाही--राणा जंगबहादुर दृढ़प्रतिज्ञ राजपूत हैं। रानी--किन्तु वही जंगबहादुर तो हैं जो अभी-अभी हमारे विरुद्ध लार्ड डलहौज़ी...
    ३५१ B (३,५९८ शब्द) - १८:२८, २३ जुलाई २०२०
  • ओर सघन वनवृक्ष प्रहरीरूप में खड़े थे; उन पर विहग-वृंद का कलरव एक अपूर्व आनंद का संचार कर रहा था। पाठक-वृंद, कदाचित् आपको नगरवासी होने से वन- वर्णन ऊभट...
    ६६४ B (३,८२७ शब्द) - १३:१३, १८ मार्च २०२१
  • भेद इतना ही है कि रायसे में पृथ्वीराज के पिता का नाम सोमेश्वर और दादा का आनंद लिखा है। मैं यह अनुमान करता हूँ कि सामंत वटेश्वर इतने बड़े नाम को कोई शीघ्रता...
    ४८६ B (३,४७७ शब्द) - ०५:५८, २५ जुलाई २०२२
  • रचे जाकर रामानंदजी के नाम से प्रसिद्ध किए गए हैं––जैसे, ब्रह्मसूत्रों पर आनंद भाष्य और भगवद्गीताभाष्य––जिनके संबंध में सावधान रहने की आवश्यकता है। बात...
    ६५३ B (३,१०७ शब्द) - १७:४३, २७ जुलाई २०२३
  • भी, बहुत संभव है कि, यह घटना ली गई होगी। [ ३५४ ]प्राचीन वीरकाल के अंतिम-राजपूत वीर का चरित जिस रूप में और जिस प्रकार की भाषा में अंकित होना चाहिए था उसी...
    ६९१ B (२,२१७ शब्द) - ०७:४७, ५ नवम्बर २०२०
  • मुर्दा है, वह राजपूताना की एक महानगरी का श्मशान है। पर सदा ही ऐसा न था। एक समय था जबकि अजमेर में ढड्डा परिवार प्रोज पर था। सारे राजपूताने में इसकी तूती...
    ४१७ B (५,७१२ शब्द) - १६:२०, ११ अप्रैल २०२२
  • गबन का मुकदमा दायर हो गया। २ बम्बई के किले के मैदान में बैंड बज रहा था और राजपूत रेजिमेंट के सजीले सुन्दर जवान क़वायद कर रहे थे। जिस प्रकार हवा बादलों को...
    ६०३ B (२,८९९ शब्द) - ०८:३८, १० मार्च २०२०
  • में अग्रसर रहती थीं और तुकोजी को इस पद पर नियुक्त करने से बाई को अत्यंत आनंद हुआ था । बाई का प्रेम और विश्वास तुकोजीराव पर उनके मरण पर्यंत एक सा बना रहा...
    ३७३ B (१,६५१ शब्द) - ०९:३३, १५ अक्टूबर २०१९
  • आदेश का पालन करना चाहिए। अतः वह पहाड़ से उतरे और बंगाल, संयुक्तप्रांत, राजपूताना, बंबई आदि में रेल से और अकसर पैदल भी भ्रमण करते, किन्तु जो जिज्ञासु जन...
    ४५० B (६,१९६ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • 'सावद्द', 'वादित्र' को 'बाजित्र', 'मुख' को 'मुष्प', 'जम्बुक' को 'जम्बक्क', 'राजपूत' को 'रजंपुत्त', 'पचास' को 'पच्चास', 'नाद' को 'नई', 'सब' या 'सब्ब' को 'सब्बय'...
    ९४४ B (३,७१६ शब्द) - ००:४३, २७ जून २०२१
  • का ब्याह एक राजपूत राजकुमारी से किया था। वह नहीं चाहता था कि शाहज़ादे की इस नवीन आयु में ही राजपूत बाला के प्रेम पर डाका पड़े। उसने राजपूत बाला को सलीम...
    ४९८ B (५,७०० शब्द) - १७:१२, ११ अप्रैल २०२२
  • किसी विद्रोह का भी पदार्पण न हुआ। यह उसका सौभाग्य था। अनिरुद्धसिंह वीर राजपूत था। वह जमाना ही ऐसा था जब मनुष्यमात्र को अपने बाहु-बल और पराक्रम ही का भरोसा...
    ३७१ B (५,५५७ शब्द) - १८:२०, २३ जुलाई २०२०
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