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- [ १३७ ] (११) कवि और कविता यह बात सिद्ध समझी गई है कि कविता अभ्यास से नहीं आती। जिसमें कविता करने का स्वाभाविक माद्दा होता है वही कविता कर सकता है। देखा...६४२ B (३,६४४ शब्द) - १३:१२, १८ मार्च २०२१
- हुये है। इस बात के प्रमाण मौजूद है। अच्छी कविता सुनकर कविता-गत रस के अनुसार दुःख, शोक, क्रोध, करुणा और जोश आदि भाव पैदा हुये बिना नही रहते। जैसा भाव मन...४८० B (५,५१४ शब्द) - १४:०५, ४ अप्रैल २०२४
- अनुगामी। रीतिकाल की शृंगारी कविता की ओर लक्ष्य करके उन्होंने लिखा–– इस तरह की कविता सैकड़ों वर्ष से होती आ रही है। अनेक कवि हो चुके जिन्होंने इस विषय पर...६५८ B (१,६४८ शब्द) - १७:३८, २७ जुलाई २०२३
- है। [ ५११ ]"कविता यदि यथार्थ में कविता है तो संभव नहीं कि इसे सुनकर कुछ असर न हो। कविता से दुनिया में आज तक बड़े बड़े काम हुए हैं। x x x कविता में कुछ न...६८७ B (२,५३८ शब्द) - १७:४२, २७ जुलाई २०२३
- लेनेवालों को भी मालूम होती थी और बँगला या अँगरेजी की कविता का परिचय रखनेवालों को भी। अत: खड़ी बोली की कविता में पदलालित्य, कल्पना की उड़ान, भाव की वेगवती व्यंजना...७०८ B (२,२६५ शब्द) - १७:३७, २७ जुलाई २०२३
- तुम्हीं को है शुकदेव (निज कल्पित अक्षर मे) नारायण राव मुहर | तदसीय। माणिक्यलाल जोशी शर्मा समाज - - - . - - - लोक-हितकर सभा आदि इस समाज के अतिरिक्त "हिदी डिबेटिङ्ग...४९० B (६,०६९ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
- लेकर १८८१ तक बहाउद्दीन की कविता, अरबी का व्याकरण, कुरान का अनुवाद, फारसी का कोश, फ़ारसी-अँगरेज़ी-कोश, हाफ़िज़ शीराज़ो की कविता, ख़लीफ़ा हारूनुर्रशीद की...४६८ B (३,७९० शब्द) - १५:५२, ३१ अक्टूबर २०२१
- डॉ॰ जगदीश गुप्त ने सनातन "सूर्योदयी कविता" से "आँख कविता" तक ४५ काव्य-विधाओं की चर्चा की है जो अपने समय की कविताओं से अलग थीं, इस कारण अलग नाम से आईं।...५३० B (३,०७१ शब्द) - १२:०८, २३ जुलाई २०२०
- करने वाले अख़बार 'जनसत्ता' की जब योजना बन रही थी तो रामनाथ गोयनका और प्रभाष जोशी की बहुत इच्छा थी कि अनुपम मिश्र 'जनसत्ता' में आ जाएं, क्योंकि बिहार आंदोलन...४१९ B (२,७५८ शब्द) - ०६:५९, २० नवम्बर २०२०
- की सराहना करता। दरबार के कवि राणा की बड़ाई में पद्य रचने लगे। अब्दुर्रहीम खान-खानाँ ने, जो हिन्दी-भाषा में बड़ी सुन्दर कविता करते थे, मेवाड़ी भाषा में...४१४ B (५,५०६ शब्द) - ०६:१७, २९ जुलाई २०२०
- की मॉग के अनुसार, कविता को भी नए-नए विषयों की ओर झुकाया। देश प्रेम, मातृ-भाषा-भक्ति, समाज-सुधार आदि लोक-हितकर विषयों को लेकर कविता करने और नाटक, निबन्धादि...४८९ B (५,२८४ शब्द) - १४:५८, १७ जुलाई २०२२
- में बाहर आ जाते। यह रचनाएँ जिन मित्रों के हाथ लगीं वह ले गये। इस समय की कविता अब उपलब्ध नहीं, हाँ 'मआरिफ' 'जमींदार',‘मुसलिम गजट' की फाइलों में उसका कुछ...५२५ B (२,९९० शब्द) - ०३:३१, २९ जुलाई २०२०
- आदि कविता अब हम सक्षेपत इनके उन कामो का वर्णन करते हैं जिन्होने इन्हें लोकप्रिय बनाया। यह हम ऊपर कह ही पाए हैं कि इन्होने अत्यन्त वाल्यावस्था से कविता करनी...४८९ B (५,३१६ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
- है,जिसके वर्णन में कालिदास,भवभूति,श्रीहर्ष,मतिराम,बिहारी आदि अपनी-अपनी कविता का सर्वस्व लुटाए बैठे हैं,आज हम भी उसी के गुन-ऐगुन दिखाने के अवसर की प्रार्थना...३८१ B (१,०१६ शब्द) - ०३:२७, ४ अक्टूबर २०२१
- भारती-भण्डार, लीडर प्रेस, प्रयाग दूसरा संस्करण सं॰ २००४ मूल्य १) मुद्रक–– महादेव जोशी लीडर प्रेस, इलाहाबाद [ परिचय ] परिचय अरुणाचल आश्रम अरुणाचल पहाड़ी के समीप...२७२ B (७,२३९ शब्द) - ०८:०२, १९ जुलाई २०२०
- श्रेष्ठ कहा है। रहस्यात्मकता की अपेक्षा कवि में दार्शनिकता अधिक पाई जाती है। 'विहँग के प्रति' नाम की कविता में कवि ने अव्यक्त प्रकृति के बीच चैतन्य के सान्निध्य...६९४ B (५,९३४ शब्द) - १७:३८, २७ जुलाई २०२३
- संघर्ष के भाव प्रत्येक छंद से टपकते थे। उसने 'नौका' नाम की एक ऐसी कविता लिखी, जिसे कविता-सागर का अनुपम रत्न कहना अनुचित न होगा। लोग पढ़ते थे और सिर धुनते...२१२ B (२,७७४ शब्द) - १९:२७, ३१ जुलाई २०२३
- ही कोई पागल कवि होगा, जो निर्जनता मे बैठकर अपनी कविता का आनन्द ले । कभी-कभी वह निर्जनता मे भी अपनी कविता का आनन्द लेता है, इममे सन्देह नहीं; पर इससे उसकी...२९१ B (६,८२९ शब्द) - ००:४६, ४ अगस्त २०२३
- संस्कृत-साहित्य में उसका बहुत प्रवेश था। वह राजकुमारियों को प्रतिदिन रोचक कविता पढ़कर सुनाती थी। उसके रंग,रूप और विद्या ने धीरे-धीरे राजकुमारियों के मन...३८५ B (३,६३४ शब्द) - १८:२५, २३ जुलाई २०२०
- करते; छोटे मौकों को ही बड़ा बना देते हैं। जब किसी का भाग्योदय हुआ और उसे जोश आया तब जान लो कि संसार में एक तूफान आ गया। उसकी चाल के सामने फिर कोई रुकावट...५०२ B (४,५४८ शब्द) - १३:११, १८ मार्च २०२१