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  • जिसका सम्बन्ध अखिल विश्व की स्थितिरक्षा से हैं, वस्तुतः पूर्ण पुरुष या पुरुषोत्तम में ही रहता है, जिसकी मार्मिक अनुभूति सच्चे भक्तों को ही हुआ करती है।...
    ५५० B (१,७५६ शब्द) - १०:४६, २२ अगस्त २०२१
  • महाप्रभु 'राम' के समान सर्वत्र रमणशोल अन्य कौन हो सकता है ? मनुष्य ही कैसा पुरुषोत्तम क्यों न हो वह अंत को मनुष्य है। इस- लिये आर्यवंश में राम ही का जयजयकार...
    ७४२ B (२,५९१ शब्द) - १६:४५, १६ मार्च २०२१
  • स्तुति ५६. मूक प्रश्न ५९. अपवर्ग पंचक ६०. पुरुषोत्तम पंचक ६१. भारत बीरत्व ६२. श्रीसीता बल्लम स्तोत्र ६३. श्री राम लीला ६४. भीमस्तवराज ६५. मान लीला फूल बुझौअल...
    ३८५ B (९२१ शब्द) - १७:४६, ११ अप्रैल २०२१
  • कृपाकारी औ कटैया भवफंद हो। तोरि डारि मैंने तो मरजादा वादा बिन। तुम तो मरजादा पुरुषोत्तम सु छेद हो। ग्वाल कवि परम पतित प्रन पार यो में तो। पावन पतित तुव नाम सुखकंद...
    ३९६ B (१,८१७ शब्द) - २१:५०, २२ अप्रैल २०२१
  • केसरी वीर शिवाजी का चित्र था। दूसरे भाग में कर्मयोगी कृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम राम विराबते थे। चतुर चित्रकारों ने चित्र-निर्माण में पूर्व कौशल दिखलाया...
    ४०३ B (२,९६३ शब्द) - १८:४९, २३ जुलाई २०२०
  • हरि करि पान। मद्यहि पी कै नाश सब करत शंभु भगवान॥ विष्णु बारुणी, पोर्ट पुरुषोत्तम, मद्य मुरारि। शांपिन शिव गौड़ी गिरिश, ब्रांडी ब्रह्म बिचारी॥ मेरी तो धन...
    ५०९ B (२,०६३ शब्द) - ०३:५९, १९ मई २०२१
  • पद्य नीचे दिया जाता है:- "भई अब गिरिधर सों पहचान। कपट रूप छलबे आये हो पुरुषोत्तम नहिं जान। छोटो बड़ो कछू नहिं जान्यो छाय रह्यो अज्ञान। छीत स्वामि देखत...
    ७८२ B (१,६२५ शब्द) - ००:२१, १८ जुलाई २०२१
  • कहाँ चली गई। सम्पदाओं का सर्वत्र राज्य हो गया । पृथ्वी पर आये हुए भगवान् पुरुषोत्तम के पीछे वर्ग भी पृथ्वी पर उतर सा आया। रावण के भय से दिशाओं के स्वामी,...
    ५२७ B (४,२२३ शब्द) - ०६:२४, १८ सितम्बर २०२१
  • आवश्यकताओं और न्यूनताओं की पूर्ति करते हैं। भगवान रामचन्द्र का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम है। उनकी लीलायें आचार-व्यवहार और नीति भी मर्यादित है। इसलिये रामचरित मानस...
    ७९० B (५,७३१ शब्द) - ०५:४२, १२ जुलाई २०२१
  • अकाज सुधारन को॥ वृद्धा जो पिये गृद्धा सी लगै श्रद्धा विश्वास विगारन को। पुरुषोत्तम † हरि नाम बड़ो भवसागर पार उतारन को॥ जब ऐसे ऐसे अनेक भजन वह गा चुका तब...
    ४६२ B (२,३७९ शब्द) - १७:०९, १३ दिसम्बर २०२१
  • इन्द्र के आधार पर पौराणिक कृष्ण की कल्पना खड़ी की गयी। कृष्ण अपने युग के पुरुषोत्तम थे; उन का व्यक्तित्व बुद्धिवाद और आनन्द का समन्वय था। इन्द्र की ही तरह...
    ४९७ B (५,६४५ शब्द) - १२:५१, १९ नवम्बर २०२१
  • [गद्य] ११ परिहासिनी (गद्य) ५ माघ स्नान बिधि [गद्य] १२ फूल बुझौवल ( पद्य) ६ पुरुषोत्तम मास बिधि [गद्य] १३ मुशाइरा (गद्य-पद्य) ७ माग शीष महिमा [पद्य ] १४ स्त्री...
    ३५८ B (४,७३९ शब्द) - १५:५४, ३० जुलाई २०२३
  • दृष्टि व्यक्तिगत साधना के अतिरिक्त लोक-पक्ष पर भी थी; इसी से वे मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित को लेकर चले और उसमें लोकरक्षा के अनुकूल जीवन की ओर और वृत्तियों...
    ४१७ B (१८,९८५ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
  • विधि', 'कातिक नैमित्तिक कर्म बिधि', 'मागशीष महिमा' "वैशाख माहात्म्य' 'पुरुषोत्तम मास विधान', 'भक्ति सूत्र वजयन्ती', 'तदीय सवस्व' प्रादि ग्रन्थ प्रमाण है।...
    ४९० B (६,०६९ शब्द) - १५:५३, ३० जुलाई २०२३
  • विद्वज्जनों और हिन्दी-संसार के सामने उपस्थित है। महाराज रामचन्द्र मर्य्यादा पुरुषोत्तम, लोकोत्तर-चरित और आदर्श नरेन्द्र अथच महिपाल हैं, श्रीमती जनक-नन्दिनी सती-शिरोमणि...
    ३११ B (५,४३२ शब्द) - १८:१२, २० दिसम्बर २०२१
  • सतसई को विना किसी विशेष क्रम है। के छोड़ जाना सिद्ध होता है, और यही वात पुरुषोत्तम जी के इस दोहे से भी व्यजित होती है [ ३१ ]________________ बिहारी-रत्नाकर...
    २७२ B (११,७२५ शब्द) - ०५:५५, ६ जुलाई २०२३
  • बाहर कुटी बनाकर रहे और वहीं से राज-काज देखा। ६४ श्रीरामचन्द्र—मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान के सब से बड़े अवतार, आदर्श राजा माने जाते हैं। इनकी कथा ऐसी प्रसिद्ध...
    ४६५ B (११,४७५ शब्द) - ०९:२५, ४ जुलाई २०२३
  • लिपिपत्र हस्राकोल से मिले हुए बौद्ध तांत्रिक शिलालम्व तथा उड़ीसा के राजा पुरुषोत्तम- देव के दानपत्र से तय्यार किया गया है. हस्राकोल के लेग्य में प्रत्येक...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१