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  • शरच्चन्द्र की कौमुदी में निर्मल पुष्करिणी में खिली कुमुदिनी की भांति स्निग्ध-शीतल सुषमा बिखरने वाली अम्बपाली की यवनी दासी मदलेखा के निकट आई, उसकी लज्जा से...
    ४१८ B (४,३५७ शब्द) - १७:५२, २४ जुलाई २०२०
  • शरीर में वेदना होने लगी और ज्वर सा चढ़ आया। खिड़की के पास जा कर खड़े हुए। शीतल वायु मस्तक में लगी। अंधेरी रात बदली छायी हुई थी तारागण मन्द २ चमकते थे और...
    ६३४ B (१,००६ शब्द) - १६:४४, २६ अक्टूबर २०१९
  • शरीर के ताप को शीतल करती थी। इन्द्रिय के सुख देनेबाली सामग्री सब उस स्थान पर एकत्र थी।गृह में प्रवेश करतेही मन्द सुगन्ध वारि से शरीर शीतल हो जाता था।अनेक...
    ६५८ B (१,२९१ शब्द) - १६:५०, २६ अक्टूबर २०१९
  • मछली शीतल निर्मल जल में क्रीडा करके और मृग-शावक विस्तृत हरियालियों में छलाँँगें भरकर इतने प्रसन्न नहीं होते, जितना मंगला के आभू- षणों को पहनकर शीतला प्रसन्न...
    ४०० B (७,१०३ शब्द) - १४:११, २१ सितम्बर २०२१
  • चुहचुहाते थे और काननागत सुगन्धमय मंद वायु जल स्पर्श पूर्वक शरीर को छू कर शीतल करता था, उसके बेग से केश और अंचल के उड़ने की कुछ और ही शोभा थी। तिलोत्तमा...
    ५३३ B (८१५ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • कर रहे थे। आज उनकी मिहनत ठिकाने लगी है। बाबू भालचन्द्र सिन्हा के ज्येष्ठ पुत्र भुवनमोहन सिन्हा से बात पक्की हो गई है। वर के पिता ने कह दिया है कि आप की...
    २३३ B (१,७५६ शब्द) - ०७:४६, १९ सितम्बर २०२१
  • मात्र 1.S.B.N. 81-7711-049-7 लेजर टाईपसैटिंग साहित्यागार कम्प्यूटर्स मुद्रक शीतल ऑफसेट, जयपुर [ ५ ]राजस्थान का इतिहास अध्याय-1 21-22 अध्याय-2 23-25 अध्याय-3...
    ३५३ B (७१३ शब्द) - १५:०१, १५ दिसम्बर २०२०
  • यत्न नहीं कर सकता? हे प्राणनाथ एक बेर तो आ-मिलो! एक बेर तो इस दग्ध हृदय को शीतल करों। तिलोत्तमा इस प्रकार विलाप कर रही थी कि एक परिचारिका आई। [ ५५ ] तिलोत्तमा...
    ६४० B (१,२५१ शब्द) - १६:४७, २६ अक्टूबर २०१९
  • अपना कार्य करता जा रहा है। अभी रात्रि के जाने के लिए पहर-भर है। शीतल वायु उस कानन को शीतल कर रही है। अकस्मात् 'तरुण-कुक्कुट-कंठनाद' सुनाई पड़ा, फिर कुछ...
    ५७५ B (१,८६७ शब्द) - ०६:४२, ११ मई २०२१
  • अभिराम स्वामी ने कहा 'जिस दिन बिमला ने यवन को बध करके अपने हृदय की हुताशन शीतल की, उस दिन से मैं कन्या दौहित्री को लिये मुसलमानों के भय से नाना स्थान में...
    ६६४ B (१,०१४ शब्द) - १६:५३, २६ अक्टूबर २०१९
  • वेनिस के राजमार्गों पर उद्विग्न और ब्यग्रभमण किया करता था और प्रत्येक परग पर शीतल-उच्छवास मुखसे बाहर निकालता था। उसने नगरके सम्पूर्ण मुख्य मुख्य प्रासादों...
    ४६९ B (१,१३१ शब्द) - १४:३९, २१ नवम्बर २०२१
  • बिमला गाने लगी उस सूनसान मैदान में रात्रि के समय जो उस कोकिल कण्ठी ने टीप ली शीतल समीर ने झट पट उसको इन्द्र के अखाड़े तक पहुंचा दिया और अप्सरा सब कान लगा कर...
    ५२६ B (१,१७३ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • धूप उसे सता रही है । अतएव पर्वतों पर बहने वाले झरनों के कणों के स्पर्श से शीतल और वृक्षों के हिलते हुए फूलों के सुवास से सुगन्धित होकर उसने भी उस सदाचार-शुद्ध...
    ६८५ B (५,३०२ शब्द) - ०५:२८, १८ सितम्बर २०२१
  • बुंदेला था। शीतला अपने किसी हथियार से उसे परास्त न कर सकी। [ १९ ]  २ अँधेरी रात थी। सारी दुनिया सोती थी, मगर तारे आकाश में जागते थे। शीतला देवी पलंग पर...
    ३७१ B (५,५५७ शब्द) - १८:२०, २३ जुलाई २०२०
  • विहग - वृन्द की केलि - कला कमनीय थी। उनका स्वागत - गान बडा ही था सरस ॥६॥ शीतल - मंद - समीर वर - सुरभि कर वहन । शान्त - तपोवन - आश्रम में था बह रहा ।। बहु...
    ३२८ B (१,७७८ शब्द) - १६:१५, १ अगस्त २०२३
  • में आंसू पोंछ कर कहने लगा" नहीं २ मेरी आँखों में आँसू न थे यह निशीथ काल की शीतल और तीव्र वायु का प्रमाद है कि उनमें पानी भर आया, नहीं तो आँसू कैसे, रोने...
    ५११ B (१,३३३ शब्द) - १४:४४, २१ नवम्बर २०२१
  • व्यजनों को देखता हो और उनसे बञ्चित रहे, जो तृषा से कण्ठ गत प्राण हो परन्तु शीतल जल का पानपात्र जो सम्मुख [ ६४ ]भरा दिखाई देता है उसे न छू सके।" रोजाबिला―"और...
    ४८५ B (२,५१२ शब्द) - १४:३५, २१ नवम्बर २०२१
  • मणि निकले, किरण ने नवल ज्योति जगाई। मुक्त-मालिका विटप तृणावलि तक ने पाई॥ शीतल वहा समीर कुसुम-कुल खिले दिखाये। तरु-पल्लव जगमगा उठे नव आभा पाये ॥३॥ सर-सरिता...
    ३८९ B (२,५०२ शब्द) - १८:१९, २० दिसम्बर २०२१
  • गयी थी। वस्त्र उतार कर खिड़की के सामने खड़ी होकर शरीर को शीमल पवन द्वारा शीतल करने लगी। नील वर्ण गगन मण्डल में फोटियों तारे चमक रहे थे भौर पवन संचारित...
    ४७१ B (१,३५१ शब्द) - १६:१५, २६ अक्टूबर २०१९
  • दिखलाता था विपुल-विकच भवका बदन ॥१॥ प्रकृति वहाँ थी रुचिर दिखाती सर्वदा । शीतल - मंद - समीर सतत हो सोरभित ।। वहता था बहु-ललित दिशाओं को बना। यावन - सात्विक...
    ४१३ B (२,०५९ शब्द) - १७:५५, २१ दिसम्बर २०२१
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