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  • तेईसवाँ अध्याय भारतवर्ष––वैभव का घर* मदर इंडिया की लेखिका के लिए यह देश न केवल वर्तमान समय में बल्कि सदा से ही 'दरिद्रता का घर' रहा है। इस बात को वह पूरी...
    ५०५ B (४,८६४ शब्द) - ०५:१८, २३ नवम्बर २०२०
  • कुण्डनी के साथ राजगृह के अन्तरायण के अभूतपूर्व वैभव को देखते हुए महामात्य के सौध के सम्मुख आकर वहां का विराट् रूप देखा तो वह समझ ही न सका कि वह जाग्रत्...
    ४८८ B (१,२२४ शब्द) - १७:२६, २४ जुलाई २०२०
  • के नाम पर तुर्क लोगों का नाम उसमानी और उनके भावी साम्राज्य का नाम उसमानी साम्राज्य पड़ा। योरप की भाषाओं में, इसी उसमानी शब्द का अपभ्रंश आटोमन हो गया।...
    ५१२ B (२,४७३ शब्द) - १५:५७, ९ नवम्बर २०२१
  • गुप्त-वंश का उदय हुआ। ३२६ ईस्वी में समुद्रगुप्त राजा हुआ। अपने बाहुबल से समुद्रगुप्त ने एक बार फिर भारतीय साम्राज्य की नींव डाली। उसका साम्राज्य हुगलो से...
    ३४९ B (१,५७६ शब्द) - ०७:२०, ४ मई २०२१
  • साहित्य-साधना से मैंने पाया कुछ भी नहीं, खोया बहुत-कुछ, कहना चाहिए, सब कुछ–धन, वैभव, आराम और शान्ति। इतना ही नहीं, यौवन और सम्मान भी। इतना मूल्य चुकाकर निरन्तर...
    ४६८ B (९५३ शब्द) - २१:२६, ३० नवम्बर २०२३
  • कुमारदास--हाँ मित्र, लंका का युवराज। हमारा एक मित्र, एक बाल-सहचर, प्रख्यातकीर्ति, महाबोधि-विहार का श्रमण है। उसे और गुप्त-साम्राज्य का वैभव देखने पर्य्यटक के...
    २७० B (७,६३६ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
  • बड़ी कठिनता से स्वीकार हुआ । [ १८० ]और यों इतने बड़े काम का, इतने बड़े अधिकार को, इतने बड़े वैभव को तिनके की भाति तोड़कर वह अपने घर अ बैठे जहाँ उन्होने...
    ५१३ B (१,४४९ शब्द) - १३:५४, २२ दिसम्बर २०२१
  • कभी-कभी मान ही लेना पड़ता है कि यह जगत् ही नरक है। कृतघ्ता और पाखंड का साम्राज्य यहीं है। छीना-झपटी, नोच-खसोट, मुँह में से आधी रोटी छीन कर भागनेवाले विकट...
    २८६ B (६,८४२ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
  • धन बचा है न वैभव। केवल इतने हो पर सन्तोष करते हैं कि जिस समय हम लोग सभ्यता की पराकाष्ठा को पहुँच गये थे, उस समय आजकल की बढ़ी-चढ़ी जातियों का या तो अस्तित्व...
    ४४१ B (१,१५९ शब्द) - ०१:४१, १० अक्टूबर २०२३
  • धवल अट्टालिकाएं और राजमहलों के मोहक वैभव ऐसे ही कदर्य कार्यों से प्राप्त होते हैं। तुम देखोगे वत्स, कि जिस विजय का सेहरा तुम्हारी सेना के सिर बंधता है...
    ५३४ B (१,२७७ शब्द) - १७:१९, २४ जुलाई २०२०
  • भरुकच्छ में जाकर असली समृद्ध यवनों और उनके वैभव को देखा; लाट, सौराष्ट्र और उज्जयिनी के शक-आभीर महाक्षत्रपों के वैभव और शौर्य को देखा, पक्व नारंगी के समान गालोंवाले...
    ३७५ B (१,९०० शब्द) - १४:२७, २७ जुलाई २०२०
  • समझो, नहीं तो साम्राज्य का स्वप्न गला दबाकर भंग कर दिया जायगा। अनन्त०--(हँसती हुई) मूर्ख रमणी! तेरा भटार्क केवल मेरे कार्य्य-साधन का अस्त्र है, और कुछ...
    २८२ B (४,७५४ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
  • जाती है, और वे अपने जीवन का उद्देश्य सांसारिक वैभव प्राप्त करना ही मानने लगते हैं। जहाँ इसके प्रतिकूल अवस्था है वहाँ आलस्य का प्राबल्य होता है जब प्रकृति...
    ७१८ B (२,४२८ शब्द) - १३:१२, १८ मार्च २०२१
  • से तू राजी है, उसी की निहाल कर देता है। मैं धन का दरिद्री नहीं हूँ। निर्धन होने पर भी मुझे रुपया वैभव नहीं चाहिए। जो कुछ है वही बहुत है। जो है वह भी एक...
    ४८९ B (२,३८८ शब्द) - २१:४७, ५ अक्टूबर २०२०
  • पाठकों का कुछ न कुछ मनोरञ्जन और ज्ञानवर्द्धन इससे अवश्य ही होगा। इस युग में समाचार-पत्र संसार की एक बड़ी प्रबल शक्ति है। समाचार-पत्रों का वैभव और महत्व...
    ४६३ B (२,१५४ शब्द) - ०८:०९, २९ अगस्त २०२१
  • स्तूपों को जाना; इनकी कारीगरी कुछ-कुछ उसकी समझ मे आई; भारत के प्राचीन वैभव का कुछ अनुमान उसको हुआ। तब से । योरप और अमेरिकावाले तक इन स्तूपो को देखने...
    ४२१ B (२,४९० शब्द) - १९:०२, १३ दिसम्बर २०२०
  • प्रतिष्ठित थे । गुप्त साम्राज्य के ध्वस्त होने पर हर्षवर्धन ( मृत्यु-संवत् ७०४ ) के उपरांत भारत का पश्चिमी भाग ही भारतीय सभ्यता और बल-वैभव का केंद्र हो रहा था...
    ७४४ B (६,९३७ शब्द) - १०:००, ८ जुलाई २०२३
  • भारत1928लाला लाजपत राय [ ३२१ ] चौबीसवाँ अध्याय भारतवर्ष-'दरिद्रता का घर' भारतवर्ष शेष साम्राज्य के लिए सदा पानी भरनेवाला और लकड़ी चीरनेवाला बनकर रहना पसन्द...
    ४८५ B (८,३९५ शब्द) - ०५:२२, २३ नवम्बर २०२०
  • और वैभव की इतनी ख्याति थी वह अब इस समय एक छोटा सा गाँव मात्र रह गया है। अथवा यह कहना चाहिए कि उसका तो सर्वथा नाश हो चुका। उसकी जगह पर कुछ घरों का एक नया...
    ६९९ B (२,००३ शब्द) - ०३:४०, १९ अगस्त २०२०
  • रक्खा है। महमूद के आक्रमण से लेकर लार्ड कर्जन के साम्राज्य-गर्व से भरे हुए उद्गार निकलने तक जो कुछ भारत का इतिहास लिखा गया है वह हमारे लिए [ ३२ ]विचित्र-अन्धकारमय...
    ३१४ B (३,७५८ शब्द) - २३:४५, २२ अप्रैल २०२१
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