सामग्री पर जाएँ

खोज परिणाम

देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)
  • जाय ? भूख लगने पर भोजन कर लेने से तृप्ति हो जाती है। प्यास लगने पर पानी पी लेने से तृप्ति हो जाती है। परन्तु धन से तृप्ति नहीं होती। उसे पाकर और भी अधिक...
    ६२६ B (१,२८९ शब्द) - १६:०५, ९ नवम्बर २०२१
  • तीव्र अनुभति का भूखा है प्रसाद जी में उसकी अपने हदय के बड़े कोमल उपकरणों से तृप्ति की है। आंधी उनकी सब से नवीन गल्प रचना है। इसके साथ दस और श्रेष्ठ कहानियां...
    २७८ B (४४२ शब्द) - ०८:१९, २८ जुलाई २०२३
  • लालायित होरही हैं, जिनके हृदय-नेत्र हरि-दर्शन के प्यासे हैं उनकी क्या इतने से तृप्ति हो जायगी कि शास्त्रों में ईश्वर ने ऐसा लिखा है, जीव का यह कर्तव्य है, इस...
    ७१४ B (१,०३० शब्द) - ०७:३८, ११ जनवरी २०२०
  • ही कुछ तत्व भी हो। तत्वहीन कहानी से चाहे मनोरंजन भले ही हो जाय, मानसिक तृप्ति नहीं होती। यह सच है कि हम कहानियों में उपदेश नहीं चाहते; लेकिन विचारों को...
    ५९५ B (१,३३५ शब्द) - ०१:५७, २६ जुलाई २०२१
  • परस बिनु और न कछू सुहाई॥ क्रीड़त हँसत कृपा अवलोकत, जुग छन भरि तब जात। परम तृप्त सबहिन तन होती, लोचन हृदय अघात॥ जागत, सोवत, स्वप्न स्यामघन सुंदर तन अति भावै।...
    ५५३ B (७९ शब्द) - ११:५१, ६ सितम्बर २०२०
  • नवल-सर्ग के कानन में मृदु मलयानिल से फूल चले। हम भूख-प्यास-से जाग उठे आकांक्षा-तृप्ति समन्वय में, रति-काम बने उस रचना में जो रही नित्य-यौवन वय में।" [ ३६ ] "सुरबालाओं...
    २३२ B (१,३६२ शब्द) - ००:५४, २२ अक्टूबर २०१९
  • कुछ तत्व भी हो। तत्त्व-हीन कहानी से चाहे मनोरजन भले हो जाय, [ ६ ] मानसिक तृप्ति नहीं होती। यह सच है कि हम कहानियों में उपदेशनबुहते लेकिन विचारों को उत्तेजित...
    ४७५ B (१,७८८ शब्द) - २१:१३, २१ मई २०२१
  • विपदारूप॥९॥ भूतल में वह कौन है, जो हो इच्छाप्त। जिसने ये ही त्याग दी, वह ही पूरा तृप्त॥१०॥ [ १८३ ]  परिच्छेद ३७ कामना का दमन १—कामना एक बीज है जो प्रत्येक आत्मा...
    ४३७ B (४५५ शब्द) - १०:२७, ३ सितम्बर २०२१
  • रूप, कोकिल-कण्ठी का कलगान, तन्त्री की स्वर-लहरी, नहीं-नहीं, अब मुझे इनसे तृप्ति नहीं होती। कौन है, वह श्रमण? वह किस सम्पदा से सम्पन्न है? यही तो सब कुछ...
    ४९६ B (१,२११ शब्द) - १६:१४, २४ जुलाई २०२०
  • आदान-प्रदान के बाद उसे बड़े चाव से खा लेता; मोहन की दी हुई एक रोटी उसकी अक्षय-तृप्ति का कारण होती। एक दिन मोहन के पिता ने देख लिया। वह बहुत बिगड़े। वह थे कट्टर...
    ५७७ B (५०० शब्द) - १९:४९, १० मई २०२१
  • देता है। शङ्खधर को बाबाजी की बातों से अगर तृप्ति नहीं होती, तो अल्प-भाषी बाबाजी को भी बातें करने से तृप्ति नहीं होती। वह अपने जीवन के सारे अनुभव, दर्शन...
    २९४ B (१,०२० शब्द) - १४:१४, ६ मार्च २०२३
  • देवी बनाकर पूजना चाहता था पर जैसे ज्वरमें जलसे तृप्ति नहीं होती, जैसे नई सभ्यतामें विलासकी वस्तुओंसे तृप्ति नहीं होती, वैसे ही प्रेमका भी हाल है; वह सर्वस्व...
    २५४ B (१,३२१ शब्द) - २३:४७, २७ मार्च २०२१
  • आज्ञा से मिथुन योग करते थे। वज्रगुरु की आज्ञा से यह मैथुन सेवन कामवासना की तृप्ति के लिए नहीं होता था; सम्यक्-सम्बुद्ध और सिद्ध बनने के लिए होता था। ये सब...
    २४२ B (७८२ शब्द) - ०६:१५, २९ जुलाई २०२३
  • विधि-विधानों का पालन करना नहीं है। हिन्द का हृदय शब्दों और सिद्धान्तों से तृप्ति-लाभ नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा लोक है जो हमारी स्थूल दृष्टि के अगोचर है,...
    ४५० B (६,१९६ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • ⁠राजा—बूढ़ा हो चला, परन्तु मन बूढ़ा न हुआ। बहुत दिनों तक तृष्णा को तृप्त करता रहा, पर तृप्त नहीं होती। आम्भीक तो अभी युवक है, उसके मन में महत्त्वाकांक्षा का...
    ४६० B (८८५ शब्द) - ०३:३९, ४ सितम्बर २०२१
  • सुगन्ध ही उसके लिए विलास-सामग्री है। आपकी सेवा करने से मुझे जो तृप्ति होगी वैसी तृप्ति राजधानी का अपार सुख भोगकर भी न होगी। इसलिए आप मुझे अपने साथ ले...
    ३०० B (४,७९८ शब्द) - ०१:५०, २२ जनवरी २०२२
  • अवश्य तृप्ति होती है; पर यदि ऐसे फूल में सौरभ भी हो तो साथही मन भी तृप्त हो जाता है। नेत्रों की तृप्ति क्षणस्थायिनी होती है। परन्तु मन की तृप्ति चिरस्थायिनी।...
    ६०८ B (३,९५० शब्द) - १५:२८, १६ सितम्बर २०२१
  • ही कुछ तत्व भी हो। तत्वहीन कहानी से चाहे मनोरञ्जन भले ही हो जाय, मानसिक तृप्ति नहीं होती । यह सच है कि हम कहानियो मे उपदेश नही चाहते; लेकिन विचारो को उत्तेजित...
    २८७ B (२,४२९ शब्द) - ००:४८, ४ अगस्त २०२३
  • ही कुछ तत्त्व भी हो। तत्त्वहीन कहानी से चाहे मनोरंजन भले हो जाय, मानसिक तृप्ति नहीं होती। यह सच है कि हम कहानियों में उपदेश [ ३२ ]नहीं चाहते; लेकिन विचारों...
    ३६४ B (२,४२० शब्द) - १०:२८, २६ जून २०२१
  • वही चरम सब कुछ है। इंद्रिय की अभिलाषा जितनी सतत सफलता पावे, जहां हृदय की तृप्ति-विलासिनि मधुर-मधुर कुछ गावे। रोम-हर्ष हो उस ज्योत्स्ना में मृदु मुसक्यान...
    २३२ B (२,२८२ शब्द) - ०१:००, २२ अक्टूबर २०१९
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)