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कहीं आपका मतलब निजी दास तो नहीं था?
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  • कला से पूर्ण होने में कुछ ऐसा ही नाम-मात्र का अंतर रखता हुआ अपनी प्रेयसी निशा की मुखच्छवि पर निहाल हो मानो हँस-सा रहा है, जिसकी सब ओर छिटकी हुई चाँदनी...
    ३५५ B (४६१ शब्द) - ०३:११, ४ अक्टूबर २०२१
  • सुजान1944बालकृष्ण भट्ट [ ११० ] ___________ उन्नीसवाँ प्रस्ताव विपदि सहायको बन्धुः। निशा का अवसान है। आकाश मे दो-एक चमकीले तारे अब तक जुगजुगा रहे हैं। अरुणोदय की...
    ३९३ B (५७२ शब्द) - १५:४३, १५ अक्टूबर २०२१
  • उच्छ्वास से दग्ध होकर बोला "चार वर्षका समय व्यतीत हुआ कि [ २३ ]ऐसी ही धवल-निशा में मैंने पहले पहल वलीरिया के शोणाधर का चुम्बन किया था और उसी शुभ दिवस को...
    ४६९ B (१,१३१ शब्द) - १४:३९, २१ नवम्बर २०२१
  • पुरोहित शकराज खिंगिल मिहिर देव सामन्त कुमार, शक सामन्त, प्रतिहारी, प्रहरी, दासी, कुबड़ा, बौना, नर्त्तकियाँ [ ७०५ ]प्रथम अंक [शिविर का पिछला भाग, जिसके पीछे...
    ५९५ B (५,६३० शब्द) - १७:०२, २८ अगस्त २०२०
  • और मुसलमान दोनों को मिलाये रहता था। हम पहिले ही कह चुके हैं कि राजा भगवान दास और जयपूर नरेश मानसिंह दोनों अकबर की सेना के सेनापति थे। मानसिंह पहिले बङ्गाले...
    ४४० B (१,९८१ शब्द) - ०९:३१, १६ सितम्बर २०२०
  • थी उसका भावार्थ इस प्रकार से है कि "मालीराव ने एक रफूगर को अत:पुर की किसी दासी से प्रेम करने के शक के कारण मरवा डाला था, जो कि सरासर निरपराधी था, परंतु...
    ३९७ B (९२६ शब्द) - ०९:३२, १५ अक्टूबर २०१९
  • अलग खड़ा है , हाँ में हाँ न मिलाऊँ तो अपराध बड़ा है । मनु देखो यह भ्रांत निशा अब बीत रही है , प्राची में नव-उषा तमस को जीत रही है । अभी समय है मुझ पर कुछ...
    २३८ B (१,९३१ शब्द) - ०१:०४, २२ अक्टूबर २०१९
  • अनुकरण में गौरव माने और तुम अपने देशभक्त राष्ट्रीय सम्राट् की बहुमूल्य विरासत की ओर आँख उठाकर भी न देखो। * दुःख-निशा के अवसान पर सुख-सूर्य का उदय होता है।...
    ५१२ B (५,९३९ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
  • शक्ति इतनी बढ़ी कि दिल्ली के सुलतान कुतुबुद्दीन के मरने पर उसने अल्तमश को दास समझ कर उसकी आधीनता स्वीकार न की। उसके बेटे गयासुद्दीन ने बङ्गाल में स्वाधीन...
    ८१६ B (१,७८२ शब्द) - ०९:२४, ४ जुलाई २०२३
  • देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे; मगर उसका अन्त क्या हुआ? घमण्ड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे...
    ५६५ B (३,६६० शब्द) - २१:५१, १३ जुलाई २०२०
  • सलीम फतहपुर-सीकरी आया। मुगल साम्राज्य का वह अलौकिक इन्द्रजाल! अकबर की यौवन-निशा का सनहरा स्वप्न-सीकरी का महल-पथरीली चटटानों पर बिखरा पडा डा था। इतना आकस्मिक...
    ५२५ B (३,२८४ शब्द) - ०८:१०, ११ मई २०२१
  • काश्यप, मि० चन्द्रिका प्रसाद श्रीवास्तव, डाक्टर धनीराम प्रेम, सेठ गोविन्द दास, पडित द्वारका प्रसाद जी मिश्र आदि सिनेमा की उपासना करने में लगे हुए है ।...
    २९१ B (३,८८३ शब्द) - ००:४५, ४ अगस्त २०२३
  • कहं दुःख समय प्राणपति पेखे॥ सम महि तृण-तरु-पल्लव डासी। पाँय पलोटिहि सब निशि दासी॥ बार बार मृदु मूरति जोही। लागिहि ताति वयारि न माही॥ को प्रभु संग मोहि...
    ४२२ B (१,५९५ शब्द) - १४:१३, ४ अप्रैल २०२४
  • कवित्त धारन विभूत के कियो है अवधूत रूप। देत है विभूत तिहु लोक असमान की। दास अनदेखन के मुण्डन की माल जाल। बालशशि भाल सी सुरसरी शान की। ग्वाल कवि प्रलयादि...
    ४१६ B (३,३३२ शब्द) - २२:०९, २२ अप्रैल २०२१
  • विकास से बहुतों को विकसित वना ॥ विपुल - कुसुम - कुल की कलिकाओं को खिला। हुई निशा मुख द्वारा रजनी - व्यंजना ॥५॥ इसी समय अपने प्रिय शयनागार में। सकल भुवन अभिराम...
    ३८२ B (२,३५४ शब्द) - १६:१५, १ अगस्त २०२३
  • इस्तीफा मंजूर करता है।' [ १९० ]मैं निरर्थक रुढियों और व्यर्थ के बन्धनों का दास नहीं हूँ , लेकिन जो आदमी एक दुष्टा से विवाह करे, उसे अपने यहाँ रखना वास्तव...
    ३६२ B (३,०४० शब्द) - १९:३९, २४ मई २०२१
  • स्कंध (नदास) १७५ भाव पंचाशिका ३२७ भागवत दशम स्कंध भाषा ( लालच भावविलास ३६४ दास ) १९८ भाषा का इतिहास ४३६ भाग्यवती ( श्रद्धाराम ) ४४६ - भाषाभरण २६४ भानमती...
    ३९४ B (३,२८६ शब्द) - ०२:१५, २१ मई २०२४
  • नीचे नंगे पैर वर्षा के पानी में भीग रहे हैं। जो रानी राजमहल में सैकड़ों दास-दासियों से घिरी रहकर ऐश्वर्य और विलास में, तुरन्त खिली हुई कमलिनी की तरह, शोभा...
    ३२९ B (५,७२४ शब्द) - ०१:२०, २२ जनवरी २०२२
  • देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी गुलामी करदे थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे ; मगर उसका अन्त क्या हुआ है घमण्ड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दियो, कोई...
    ३०४ B (३,६८६ शब्द) - २१:१७, ३० जुलाई २०२३
  • इन छन्दों में सुनी-सुनाई बातें भर दी हैं। वे स्वयं लिखते हैं— इनही के दास दास दास प्रियादास जानो तिन लै बखानो मानो टीका सुखदाई है। गोवर्धननाथ जू के हाथ...
    ३३७ B (४,१६९ शब्द) - ०७:३६, ५ अगस्त २०२१
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