खोज परिणाम
दिखावट
इस विकि पर "रेखा सिंह" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
- किन्तु डॉ॰ सिंह यही कहेंगे कि तत्कालीन साहित्यकार कहानी और उपन्यास समझते ही नहीं थे और न उसकी विभाजन-रेखा ही खींच सकते थे। मेरा डॉ॰ सिंह से बहुत ही...५३० B (३,०६१ शब्द) - १२:०८, २३ जुलाई २०२०
- आँखों में काजल की रेखा भी है, चोटी फूलों से गूंथी जा चुकी है और मस्तक में सुन्दर-सा बालअरुण का बिन्दु भी तो है! देखते ही किशोर सिंह खिलखिलाकर हँस पड़े...६०३ B (१,४१० शब्द) - ०६:४२, ११ मई २०२१
- भाषा और उसके साहित्य का विकास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 155548हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (क) इस सोलहवीं शताब्दी...७८२ B (१,६१६ शब्द) - ००:२१, १८ जुलाई २०२१
- शिक्षोपयोगी हिंदी पुस्तकें, ४३७; राजा शिवप्रसाद की भाषा, ४३७-३६; राजा लक्ष्मण सिंह के अनुवाद की भाषा, ४४०: फ्रेडरिक पिंकाट का हिंदी प्रेम, ४४१; राजा शिवप्रसाद...८९८ B (५,३४४ शब्द) - ०३:००, २१ सितम्बर २०२४
- देते हैं। पानी पर आधारित एक पूरे जीवन दर्शन को इतने सरल सरस ढंग से आठ-दस रेखाओं में उतार पाना कठिन काम है लेकिन हमारे समाज का बड़ा हिस्सा बहुत सहजता के...२८१ B (९६ शब्द) - १४:१०, ३० मई २०२१
- मालूम हुए। किंतु वह निराशा क्षणिक थी। तुरंत ही फिर उनके चेहरेपर एक हंसीकी रेखा दौड़ गई और बोले- "तुम्हारी कठिनाईको अब मैं समझ पाया। तुम्हारा सामान्य ज्ञान...४२६ B (१,०६१ शब्द) - ०४:१२, ४ अगस्त २०२३
- भाषा और उसके साहित्य का विकास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 155752हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (९) आलम रसखानके...५२७ B (४,५३८ शब्द) - २०:००, ३ अगस्त २०२३
- वैदेही-वनवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' मंत्रणा गृह 157919वैदेही-वनवास — मंत्रणा गृहअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' तृतीय सर्ग -*- मन्त्रणा गृह चतुष्पद...४१३ B (२,०३७ शब्द) - १७:५५, २१ दिसम्बर २०२१
- होता है। वही गम्भीर विचार का विषय है। मगर मिट्रन बाई के मुख पर हर्ष की कोई रेखा न नज़र आई,ऊपर की बातें शायद गहराइयों तक पहुंच गई थीं। बोलीं-ज़रूर कर लिया...२९८ B (३,९३० शब्द) - ०१:१९, ४ अगस्त २०२३
- गोचर की पूरी सीमा पर 'कार' से रेखा खींची जाती है। पीछे पूरा गांव चलता है। मिट्टी में गिरने वाली दूध और गंगाजल की यह बारीक रेखा कुछ ही क्षणों बाद सूख जाती...६२० B (९,८३४ शब्द) - १६:४५, २० नवम्बर २०२०
- वैदेही-वनवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 157932वैदेही-वनवासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' एकादश सर्ग रिपुसूदनागमन -*- सखी बादल थे नभ में छाये । बदला...४०० B (१,८९७ शब्द) - १६:१३, १ अगस्त २०२३
- जिले के भीकमपुरा किशोरी गांव की संस्था 'तरुण भारत संघ' के श्री राजेन्द्र सिंह से मिली है। संघ ने पिछले १५ वर्षों में इस इलाके में ७५०० से अधिक तालाब गांव...४४९ B (७,०६५ शब्द) - १४:०९, ३० मई २०२१
- है। जब मैंने बेगार बन्द करने का प्रस्ताव किया तो तुम लोग, यहांतक कि कञ्चन-सिंह भी, सभी मुझे डराते थे। सबको भय था कि असामी शोख हो जायँगे, सिरपर चढ़ जायँगे।...२४८ B (१,३१५ शब्द) - ०८:४४, २९ मार्च २०२१
- नीयत थी कि राजा को ठिकाने लगायें। पहले ही घात लगाये बैठा था! परन्तु राजा की सिंह-सुलभ ललकार और वज्रघातिनी तलवार ने उसको सबै ताना-बाना तोड़ डाला। वह मुहिम...५२१ B (२,७५० शब्द) - ०७:३०, २९ जुलाई २०२०
- जीवन के इस कठोर व्रत में जैसे बुझ गया। वसुधा को एक हथेली पर अंगुलियों से रेखा खींचने में मग्न थे। शिकार' की बात किसी और के मुंह से सुनो होतो, तो फिर उनी...२५६ B (४,३७८ शब्द) - २१:१८, ३० जुलाई २०२३
- शिवसागर नामक एक तालाब है। इसका घाट लाल पत्थर से बनाया गया है। घाट एक सीधी रेखा में चलते-चलते फिर एकाएक सुंदर सर्पाकार रूप ले लेता है। यह अर्धवृत्ताकार गोलाई...४८१ B (३,९५० शब्द) - १४:०४, ३० मई २०२१
- सरफ तीम चश्मा (अर्धवृत्ती ) का दैत्य बना होता है जिसके नीचे एक सर्पाकार रेखा होती है और बाली लिपिमें "रानो गोतमि पुतस सिरि सातकपिस" लिखा रहता है तथा दूसरी...४८४ B (८,२७९ शब्द) - ००:०१, २६ अक्टूबर २०२०
- भाषा और उसके साहित्य का विकास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 155017हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' सप्तम प्रकरण। हिन्दी...८९५ B (४,१६५ शब्द) - १६:५२, २५ जून २०२१
- होता है। वही गम्भीर विचार का विषय है। मगर मिट्टन बाई के मुख पर हर्ष की कोई रेखा न नजर आई ऊपर की बातें शायद गहराइयों तक पहुँच गयी थीं। बोलीं-जरूर कर लिया...६१३ B (३,९३३ शब्द) - २१:४९, १३ जुलाई २०२०
- कहा-आप चाहे जो भी हों, यह प्राण और शरीर आपके हुए। उसके होंठों पर मंद हास्य की रेखा आई। महाराज ने कहा-धांधूजी, इसका रक्त बन्द होना चाहिए। देखिए, सिर से अब तक...४४० B (५,४१३ शब्द) - १८:०८, ११ अप्रैल २०२२