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- परिस्थितियों से भली-भांति परिचित हो सकेंगे। 2. आदिकाल में चंदबरदाई के साहित्यिक और संगीत के क्षेत्र में योगदान से परिचित हो सकेंगे। 3. भक्तिकाल हिंदी साहित्य का...४४९ B (१,१८८ शब्द) - ०६:५६, १० सितम्बर २०२४
- टीकायें लिखी हैं। वे शेरशाह के समकालीन थे। उन्होंने संगीत-विद्या पर भी एक पुस्तक लिखी है। उसमें उन्होंने संगीत-शास्त्र पर पुस्तक-रचना करने वाले कितने ही प्राचीन...५६० B (४,५७३ शब्द) - ०२:१४, २९ अगस्त २०२१
- जिसकी ओर बहुत से लोग झुके। देश के पूर्व भाग में जयदेवजी के कृष्ण-प्रेम-संगीत की गूँज चली आ रही थी जिसके सुर में मिथिला के कोकिल (विद्यापति) ने अपना सुर...७०४ B (४,७९९ शब्द) - ००:२१, २० मई २०२४
- डाक्टर साहब को अनुमति मिलने में विलम्ब न हुआ। वसुधा स्वस्थ हो गई थी। कुँअर साहा ने शुभ मुहूर्त में उसे दीक्षा दी। उस दिन से जब देखा वृक्षों को छह में खड़ी...२५६ B (४,३७८ शब्द) - २१:१८, ३० जुलाई २०२३
- प्रथिराज तहाँ राजंत भान। संभरि नरेस सोमेस पूत। देवत्त रूप अवतार धृत॥ जिहि पकरि साह साहब लीन। तिहुँ बेर करिय पानीप-हीन॥ सिंगिनि-सुसद्द गुनि चढि जँजीर। चुक्कइ...७४४ B (६,९११ शब्द) - १०:००, ८ जुलाई २०२३
- बुढ़िया ने पूछा--कल के लिये सन तो है ही नहीं, काम क्या करोगे ? 'जाकर झगडू साह से दस सेर सन उधार लाऊँगा।' 'उसके पहले के पैसे तो दिये ही नहीं, और उधार कैसे...५९३ B (४,८७८ शब्द) - ०८:५०, १० मार्च २०२०
- अमर रहै नहिं आहि॥ कहाँ जैत कहँ सुर, कहाँ सोमेश्वर राणा। कहाँ गए प्रथिराज साह दल जीति न आणा॥ होतब मिटै न जगत में कीजै चिंता कोहि। आसा कहै हमीर सौं अब चूकौ...७१६ B (२१,५३० शब्द) - ०२:२२, २० मई २०२४
- लगे–– जाको जस है जगत में, जगत सराहै जाहि। ताको जीवन सफल है, कहत अकबर साहि॥ साहि अकबर एक समै चले कान्ह विनोद बिलोकन बालहि। आहट तें अबला निरख्यौ, चकि चौंकि...८३८ B (९,६२६ शब्द) - ०१:४३, २० मई २०२४
- जाता था। वह स्वभाव से ही भावुके था-बहुत नम्र, उदार और सहृदय। शिक्षा और संगीत ने इन भावो को और भी चमका दिया थी। प्रेमाश्रम में नित्य सेवा और प्रजा-हित...२१६ B (७,१६७ शब्द) - २१:११, १४ जनवरी २०२४
- जुदा कर देनेवाला।" गरोसाजी बारा-बारा हो गए। बादल से काले मुंह की हँसी में साह दांतों की कतार बिजली की तरह चमक उठी। कनक ने बड़े जोर से सिर गड़ाकर हँसी रोकी।...२३१ B (५,४४२ शब्द) - ०७:५२, ४ जुलाई २०२३
- (भाषा) की रचनायें संगीत विहीन हैं परन्तु इसके विपरीत दूसरा विरोधी सत्य यह भी है कि विद्वानों का सहयोग होते हुए भी अपभ्रश कालीन रचनायें संगीत-पूर्ण हैं । मज्झटिका...४२१ B (१७,७११ शब्द) - ००:५२, ११ जुलाई २०२४
- कथा के मिस नवाँ समय प्रारम्भ होता है― संभरि वै चाहुआन के। अरु गज्जन वै साह॥ कहौं आदि किम बैर हुआ। अति उतकंठ कथा॥१, और उसमें चित्ररेखा वेश्या तथा गोरी...४९३ B (२१,९१० शब्द) - ०१:१०, ११ जुलाई २०२४
- बदन बिलखत बिजैपुर पति, फिरत फिरंगिन की नारी प्रकृति है॥ थर थर काँपत कुतुब साहि गोलकुंडा, हहरि हबस भूप भीर भरकति है। राजा सिवराज के नगारन की धाक सुनि, केते...६४७ B (२१,१०५ शब्द) - ०१:५७, २० मई २०२४
- की उत्कंठापूर्ण कथा कहने का निर्देश करता है। संभरि वै चान कै अरु गज्जन वै साह । कौं यदि कम बैर हु, अति उत्कंठ कथाह ।। १ इसके बाद 'पेटक चूक चन समय १०' आता...५७५ B (१६,६०१ शब्द) - ०१:४४, १७ जुलाई २०२४
- २ ), मुकुट ( ४ )। ४. मुक्ता ( ४ ) । ५. लाल ( १, ४ ) । ६. भएँ ( २ ) । ७. साह ( १ )। बिहारी-रत्नाकर निगुनी ( निर्गुणी )= गुणहीन ॥ धनु = रुपया, अशरफी...३१९ B (१५,०७१ शब्द) - २३:१९, ९ जुलाई २०२४
- देकर सन्तुष्ट किया था। १९ (वैशाख बदौ ५) को परगने शाहाबादमें डेरा हुआ। बाद- साहने शैख अहमद लाहोरोको जो पुराना सेवक खानाजाद और चेला भी था मीरअदल (न्यायाध्यक्ष)...१२८ B (७४,११८ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१
- इसी प्रकार जो चित्र अंकित किया वह समन्वयात्मक है। वो है तैसा वोही जाने,ओही साहि आहिनही,आने| नैनां बैन अंगोचरी, अबनां करनी सार| बोलन के सुख कारने,कहिये सिरजनहार||...३०० B (१९,६३२ शब्द) - ०२:२५, १९ जुलाई २०२४