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कहीं आपका मतलब सरलता कुमार तो नहीं था?
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- प्रकाश से पूरित उर, बहती माया सरिता ऊपर , उठती किरणों की लोल लहर , निचले स्तर पर छाया दुरंत , आती चुपके, जाती तुरन्त । सरिता का वह एकांत कूल , था पवन हिंडोले...२३४ B (१,८३० शब्द) - १३:१५, १५ अक्टूबर २०१९
- दिगन्त में दिखलाते ॥ अंकस्थ - दामिनी दमके । थे प्रचुर - प्रभा फैलाते ॥९॥ सरिता सरोवरादिक में। थे स्वर - लहरी उपजाते ॥ वे कभी गिरा बहु - बूंदें। थे नाना...४०० B (१,८९७ शब्द) - १६:१३, १ अगस्त २०२३
- चाणक्य के पीछे?―(जाता है) [कार्नेलिया और चन्द्रगुप्त का प्रवेश] चन्द्र॰—कुमारी, आज मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। कार्ने॰—किस बात की? चन्द्र॰—कि मैं विस्मृत...४७० B (१,४४८ शब्द) - ०६:२२, ११ सितम्बर २०२१
- वैदेही-वनवास सुने सुमित्रा - कुमार बाते ।। दिशा हुई जय - निनाद भरिता ॥ बही उरों में सकल - जनों के। तरंगिता बन विनोद - सरिता ॥३९।। पुनः सुनाई पड़ा राजकुल...३५० B (१,६२१ शब्द) - १६:१५, १ अगस्त २०२३
- सरनि सुखदाई॥ सूखे पंक, हरे भए तरुवर, दुरे मेघ, मग भूले। अमल इंदु तारे भए, सरिता-कूल कास-तरु फूले॥ निर्मल जल भयो, दिसा स्वच्छ भइँ, सो लखि अति अनुरागे। जानि...५०८ B (३,४२२ शब्द) - १६:२१, १८ जुलाई २०२२
- वीचि-संकुला । विराजमाना बन एक ओर थी । कलामयी केलिवती - कलिदजो ॥७२।। अश्वेत साभा सरिता - प्रवाह में । सु - श्वेतता हो मिलिता-प्रदीप्ति की । दिखा रही थी मणि नील...३४५ B (३,०५८ शब्द) - ००:५५, १३ अक्टूबर २०२०
- मुख देखकर कब पुलकित होगा। यथासमय रानी के एक कन्या हुई। राज्य में आनन्द की सरिता, सैकड़ों धाराओं में, बह चली। सावित्री देवी ने देखा कि रानी के लड़की होते...३२९ B (५,०१८ शब्द) - ०२:३६, १८ जनवरी २०२२
- होता है। जैसे अगृत और विष। उदाहरण सवैया आयो बसन्त लग्यो बरसाउन, नैननि तें सरिता उमहे री। कौ लगि जीव छिपावै छपा मैं, छपाकर की छबि छाइ रहै री॥ चंदन सों छिरके...२५८ B (४,०९६ शब्द) - ०४:३७, २२ सितम्बर २०२२
- व्यस्त थी। साथ में माता और एक नौकर था। मित्रों की पार्टी दूर ही से इस रूप-सरिता का रस-पान करने लगी। बसंतलाल के हृदय के किसी अज्ञात स्थल पर एक नवीन वेदना...३६१ B (२,७७८ शब्द) - ०५:२१, १६ मई २०२४
- बाड़े॥ तुलसी जेहि के पदपंकज तें प्रगटी तटिनी जो हरै अघ गाढ़े। सो प्रभु स्वै सरिता तरिबे कहँ माँगत नाव करारे ह्वै ठाढ़े॥ अर्थ―जिसके नाम ने अजामिल ऐसे करोड़ों...३२७ B (४,०९७ शब्द) - ०८:३१, ५ अगस्त २०२१
- प्रेम-तरु-तले बैठ छाँह लो भव-आतप से तापित और जले छाया है विश्वास की श्रद्धा-सरिता-कूल सिंची आँसुओं से मृदुल है परागमय धूल यहाँ कौन जो छले फूल चू पड़े वात...२८६ B (६,८०१ शब्द) - ०६:५५, २७ जुलाई २०२३
- चेतना के उच्च शिखर से चली काव्य सरस्वती के प्रखर वेग से इन रचनाओं की शाखा-सरिताएँ बन गईं। अन्य कारण था उनके क्रमशः गिरते स्वास्थ्य का। किन्तु, प्रतीत होता...३६८ B (४,८९८ शब्द) - ०८:४६, २० जुलाई २०२३
- । ढक लूगी मैं अपने इंग-मुख, छिपा - रहूँगी गाव- याद रखना, इतनी ही बात। सरिता के उस नीरव निर्जन तट पर, प्रायोगे जब मंद चरण तुम चलकर, मेरे शल्य घाट के...२३१ B (५,४४२ शब्द) - ०७:५२, ४ जुलाई २०२३
- नीचे फिरे विचरें। कभी कोमल पत्तियाँ खाया करें, कभी मीठी हरी हरी घास चरें॥ सरिता-जल में प्रतिबिंब लखें निज, शुद्ध कहीं जल पान करें। कहीं मुग्ध हो झर्झर निर्भर...६२७ B (३९,८११ शब्द) - ०२:१२, २१ मई २०२४
- कर दिया। प्रातःकाल ही उनके सत्य-आसीस का कितना बड़ा प्रमाण! अब वह समय की सरिता सागर की ओर नहीं, सूखने की ओर बढ़ रही थी। जितना ही आँसुओं का प्रवाह बढ़ रहा...२३२ B (६,६४२ शब्द) - ०७:५२, ४ जुलाई २०२३
- भंजन खग-मीन सदा जे मनरंजन अनियारे॥ (सुरभी-दानलीला से) अचरज अमित भयो लखि सरिता। दुतिय ने उपमा कहि सम-चरिता॥ कृष्णदेव कहँ प्रिय जमुना सी। जिमि गोकुल गोलोक-प्रकासी॥...७१६ B (२१,५३० शब्द) - ०२:२२, २० मई २०२४
- रजोरहित है। नदियों का औद्धत्य जाता रहा है; वे कृश हो गई हैं। सरोवर और सरिताएँ निर्मल जल से परिपूर्ण हैं। जलाशयों में कमल खिल रहे हैं। भूमि-भाग काशांसुकों...३७९ B (४,९१६ शब्द) - ०८:०९, २५ जुलाई २०२३
- के सोरने की नेकौ न मरोर रही, घोर हू रही न घन घने या फरद की। अंबर अमल सर सरिता बिमल भल पंक को न अंक औ न उड़न गरद की॥ ग्वाल कवि चित्त में चकोरने के चैन...६४७ B (२१,१०५ शब्द) - ०१:५७, २० मई २०२४
- राति दिवस संक्रांति ।। थों जुब्बुन सैसव समय । अनि सपत्तिय कति ।। ४१ यों सरिता श्ररु सिंध सँधि | भिलत दुहून हिलोर ।। त्यों सैसव जल संधि में । जोवन प्रापत...४२१ B (१७,७११ शब्द) - ००:५२, ११ जुलाई २०२४
- दूसरा अन्तःकरण (हृदय) का ज्ञापक होने से 'यमक अलंकार' है। चली सुभग कबिता सरिता सी। राम बिमल जस जल भरिता सो॥ सरजू नाम सुमङ्गल मूला। लोक बेद मत मञ्जुल कूला॥६॥...३९५ B (२८,४५८ शब्द) - ०७:५९, १९ अगस्त २०२४