खोज परिणाम

देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)
  • रोइए॥ (६) आलम––ये जाति के ब्राह्मण थे पर शेख नाम की रँगरेजिन के प्रेम में फँसकर पीछे से मुसलमान हो गए और उसके साथ विवाह करके रहने लगे। आलम को शेख से जहान...
    ५९८ B (२,७०० शब्द) - १७:४६, २७ जुलाई २०२३
  • 155752हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' [ ३६४ ] (९) आलम रसखानके समानही बड़े ही सरसहृदय कवि थे । कहाजाता है कि ये ब्राह्मण कुल के...
    ५२७ B (४,५६० शब्द) - २०:००, ३ अगस्त २०२३
  • मुझे कभी धोखा नहीं दिया। मगर मुझे पिछले अनुभव की बुनियाद् पर कोई बड़ी इमारत नहीं खड़ी करनी चाहिए। ‘मुझे अलम् है देव, एक डग।' ‘हरिजन-सेवक' : ३ अगस्त, १९४०...
    ४६० B (८९४ शब्द) - १६:०३, ११ अगस्त २०२१
  • उनकी स्वाभाविक रुचि या प्रवृत्ति के अनुकूल नहीं हो सकते थे। रसखान, घनानंद, आलम, ठाकुर आदि जितने प्रेमोन्मत्त कवि हुए हैं उनमें किसी ने लक्षणबद्ध रचना नहीं...
    ५२६ B (१,८२१ शब्द) - १७:४६, २७ जुलाई २०२३
  • माँगैं। यही बस फर्ज अपना है इसी में सब भलाई है।। खुदाया खुश रहे वह फ़ख्ते आलम रौजे महशर तक। कि जिसकी जाते बा बरकत को जेबा सब बड़ाई है।। ⁠⁠⁠---------------...
    ९८२ B (६३१ शब्द) - ०७:५७, ११ जनवरी २०२०
  • लिखे हैं। इनके तथा इन नाटकों और मुख्यतः शाकुंतल के विषय में इतना ही कहना अलम् है कि संस्कृत साहित्य के इतिहास में ये अद्वितीय हैं। कालिदास के बाद श्रीहर्ष...
    ४४० B (१,७६७ शब्द) - १४:४६, १७ जुलाई २०२२
  • माँगैं। यही बस फर्ज अपना है इसी में सब भलाई है।। खुदाया खुश रहे वह फ़ख्ते आलम रौजे महशर तक। कि जिसकी जाते बा बरकत को जेबा सब बड़ाई है।। ⁠⁠⁠---------------...
    ८९० B (८५२ शब्द) - ०७:५४, ११ जनवरी २०२०
  • प्रस्तावना के अंत में प्रथम अंक के आरंभ में। चाल लखनऊ की ठुमरी "शाहजादे आलम तेरे लिये" इस चाल की ) जिनके हितकारक पंडित हैं तिनकों कहा सत्रुन को डर है।...
    ४९९ B (६९६ शब्द) - ०५:५७, २५ जुलाई २०२२
  • की आवश्यकता है, केवल पंडितों द्वारा प्रवर्तित काव्य-परंपरा का अनुशीलन ही अलम् नहीं है। पंडितों की बाँधी प्रणाली पर चलनेवाली काव्यधारा के साथ साथ सामान्य...
    ५१६ B (२,५४० शब्द) - १७:३७, २७ जुलाई २०२३
  • ने विवश हो कर शहादत को तलब किया। बिसेसर साह, डाक्टर प्रियनाथ, दारोगा खुद आलम, कतारसिंह, फैज़ और तहसीलदार साहब कचहरी में हाजिर हुए। बिसेसर साह का बयान...
    २८९ B (१,५८१ शब्द) - २०:३१, १४ जनवरी २०२४
  • आतुर थे कि कब अपने घर बसा लें और क्रोममें लग जाय । [ ३३० ]________________ अल्म-कथा : भाग ४ यद्यपि 'इंडियन ओपीनियन' के संपादक त मलसुखलाल नाजर ही माने जाते...
    ३३९ B (१,०६४ शब्द) - ०४:१०, ४ अगस्त २०२३
  • 'ट्रस्टी' यों करोड़ोंकी संपत्ति रखते हैं, फिर भी उसकी एक पाईपर उनका [ २८६ ]२६६ अल्मों-कथा : भाग ४ अधिकार नहीं होता । इसी तरह मुमुक्षुको अपना आचरण रखना चाहिए--चह...
    ३७९ B (१,१३८ शब्द) - ०४:१०, ४ अगस्त २०२३
  • शूरवीरों आदि के प्रति इनके विशाल हृदय में सम्मान के लिये पूरी जगह थी। दो उदाहरण अलम् हैं–– [ ८९ ] पति ही सूँ प्रेम होय, पति ही सूँ नेम होय, ⁠पति ही सूँ छेम होय...
    ८६१ B (३,००५ शब्द) - २२:४०, २ अक्टूबर २०२०
  • निकली होगी, जिस तरह एक बाप की दो बेटियों जुदा हो गई" “वरना सानाबदोशी के आल्म मे खुशबाश जिन्दगी बसर करते हैं, यर जगलों के चरिन्द और पहाड़ो के परिन्द ऐसी...
    ४०१ B (१,४३२ शब्द) - २३:५६, ११ अक्टूबर २०२०
  • को देखिए । शिरपर हैट, तन पर कोट, पावों में प्येंट, और बूट, ईश्वर का नाम आल्मा- इटी, (सर्वशक्तिमान) गुरू का नाम ट्यू टर, मास्टर (स्वामी को भी कहते हैं)...
    ६२३ B (१,५०४ शब्द) - ०७:४१, ८ दिसम्बर २०१९
  • गई हैं। इस पुस्तकालय को दो चार पुस्तकों के नाम हम नीचे देते हैं- १-कुरान आलम गीरी और औरङ्गजेब की पुस्तक ६६५ हिजरी में याकूत सुस्तसिमी की लिखी हुई। यह...
    ३०८ B (४,९६३ शब्द) - ०७:१९, ४ मई २०२१
  • समावेश है। चतुर्थ भाग में प्रजय भट्ट ने अकबर द्वारा काश्मीर-विजय से लेकर शाहे-आलम बादशाह के समय तक का वर्णन किया है। काव्य-प्रकाश की भूमिका देखिए। See History...
    ५२७ B (२,५७४ शब्द) - १६:०४, १ नवम्बर २०२१
  • मुशरिब तो सुलहेकुल है। मैं अभी यही है नहीं कर सका कि आलम वे दारी में हैं या ख्याव में। बड़े-बड़े आलमो को एक बे सिर-पैर की बात की ताईद में जमी और आसमान के...
    २०६ B (५,५९३ शब्द) - ०८:१२, २७ जुलाई २०२३
  • मालिके रका- वुल-उमम, मौलाये मलूकुल अरब व उल-अजम, सुल्तानुस्सला- तीन फ़िल आलम, गयासुदुनिया व दोन x x x x अवुल्मुजफ्फर मुहम्मद विन साम कसीम अमीरुल्मोमनीन...
    ५५० B (१,५७७ शब्द) - १९:०५, १३ दिसम्बर २०२०
  • दौड़ा आ रहा हूँ। बहुत झाँकियाँ देखी होंगी तुमने; लेकिन यह और ही चीज़ है। आलम फटा पड़ता है। सुनते हैं, दिल्ली से कोई चतुर कारीगर आया है। उसी की यह करामात...
    ३१६ B (२,४९८ शब्द) - २१:१६, ३० जुलाई २०२३
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)