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  • मिलने का पता— गंगा-ग्रंथागार ३६, लाटूश रोड लखनऊ पंचमावृत्ति सजिल्द 1।)]⁠सं॰ १९९९ वि॰⁠[सादी।।।) [ प्रकाशक ] प्रकाशक श्रीदुलारेलाल अध्यक्ष गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय...
    ४९४ B (५५० शब्द) - ०६:२०, ४ जुलाई २०२३
  • दिल्ली—दिल्ली-गंगा-ग्रंथागार, चर्ख़ेवालाँ प्रयाग—प्रयाग-गंगा-ग्रंथागार, गोविद-भवन ⁠शिवचरणलाल रोड काशी—काशी-गंगा-ग्रंथागार, मच्छोदरी-पार्क पटना—पटना-गंगा-ग्रंथागार...
    ४५० B (१,१६० शब्द) - २३:५५, ३ अक्टूबर २०२१
  • [ मुखपृष्ठ ] गंगा-पुस्तकमाला का १३८वा पुष्प नैषध-चरित-चर्चा डाॅ० धीरेन्द्र वर्मा पुस्तक संग्रह लेखक महावीरप्रसाद द्विवेदी मिलने का पता- गंगा-ग्रंथागार ३६...
    ४२० B (४४५ शब्द) - १६:०३, १ नवम्बर २०२१
  •   प्रकाशक श्रीदुलारेलाल भार्गव अध्यक्ष गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय लखनऊ मुद्रक श्रीदुलारेलाल भार्गव अध्यक्ष गंगा-फाइनआर्ट-प्रेस लखनऊ [ भूमिका ]संसार में...
    ५२८ B (१,२३७ शब्द) - १३:४४, २१ सितम्बर २०२१
  • कन्नौज़ जिसको वह कामपिल्य भी कहते थे। गंगा के तट पर इस के आगे जाकर कुछ आगे आर्य लोग उस स्थान पर पहुंचे जहां गंगा और यमुना मिलती हैं। यहां पांचवां नगर बसाया...
    ६४१ B (९०० शब्द) - १६:०२, ४ अगस्त २०२०
  • १—जब आर्यों को गंगा यमुना की तरेटी में रहते बहुत दिन बीत गये तो उनमें से कई कुल अपने सरदारों के साथ पूर्व की ओर उस देश में बढ़े जो गंगा और हिमालय के बीच...
    ५५१ B (१,१०३ शब्द) - ०१:१०, ४ अगस्त २०२०
  • [ प्रकाशक ] प्रकाशक वैदेहीशरण अध्यक्ष—हिन्दी-पुस्तकालय-भंडार लहेरियासराय (बिहार) गंगा-दसहरा, १९८४ १।) मुद्रक माधव विष्णु पराड़कर ज्ञानमंडल-यत्रालय, कबीरचौरा, काशी...
    २७७ B (१५० शब्द) - १०:०४, २९ मार्च २०२१
  • से बढ़ती है वैसे ही स्वाभाविक सुंदरी गंगा की शोभा तटों के सुंदर सुन्दर घाटों से, विशाल विशाल भवनों से है। गंगा हिमा- लय गिरि-शिखर से लेकर समुद्र-संगम...
    ४८१ B (२,४८८ शब्द) - ०८:२९, ५ अक्टूबर २०२०
  • लम्बाई अवश्य अधिक है। भागलपुर के भागे जिस स्थान से गंगा समुद्र से मिलने के लिये दक्षिण की ओर झुकती है गंगा के मुहाने का उतना समभाग बंगाल देश के रूप में पृथक्...
    ७२४ B (४,१०० शब्द) - १३:२८, २१ नवम्बर २०१९
  • आपकी कई पुस्तकें—'महिला-महत्व' 'देहाती दुनिया' आदि—प्रकाशित हो चुकी हैं। पहले आपने 'बालक' का सम्पादन बड़ी योग्यता से किया, अब 'गंगा' का सम्पादन करते हैं।...
    ३३६ B (६५ शब्द) - ०६:१५, २९ जनवरी २०२२
  • हैं जिसके हजारों नदियाँ गुल्शन है जिनके दम से रश्के जिनाँ हमारा। ऐ आबरोदे गंगा, वो दिन है याद तुम को उतरा तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा। मज़हब नहीं सिखाता...
    ६०४ B (१७८ शब्द) - १३:०९, २१ नवम्बर २०१९
  • पर—लगभग वैशाली और राजगृह के अर्धमार्ग में पाटलिपुत्र से थोड़ा पूर्व की ओर हटकर गंगा के उपकूल पर एक बहुत प्राचीन मठ था। वह मठ वादरायण मठ के नाम से प्रसिद्ध था।...
    ४६० B (९८६ शब्द) - ०७:४२, ७ अगस्त २०२०
  • है। हृदय शून्य था, तारा-मण्डल के विराट गगन के समान शून्य और उदास। सामने गंगा के उस पार चमकीली रेत बिछी थी। उसके बाद वृक्षों की हरियाली और ऊपर नीला आकाश...
    ४१८ B (१,०१९ शब्द) - २०:५८, १९ जुलाई २०२०
  • राधाचरण गोस्वामी 158520बिरजा1891राधाचरण गोस्वामी [ ८ ] द्वितीयाध्याय। गंगा के उभय तीर गंगा यात्रियों के वास करने के लिये स्थान स्थान में घर बने हुये हैं उन्हें...
    २४० B (९८१ शब्द) - ११:४९, २८ जनवरी २०२२
  • गीत1955जयशंकर प्रसाद [ ८७ ]ग्राम गीत शरद पूर्णिमा थी। कमलापुर से निकलते हुए करारे को गंगा तीन ओर से घेर कर दूध की नदी के समान बह रही थी। मैं अपने मित्र ठाकुर जीवनसिंह...
    २३१ B (१,१८० शब्द) - ०८:२९, २८ जुलाई २०२३
  • हुआ कोरा सत्यानासी? कोई चूतिया फँसा या नहीं? कोरे रहे उपासी? गंगा--- मिलै न काहे भैया, गंगा मैया दौलत दासी॥ हम से पूत कपूत की दाता मनकनिका सुखरासी। भूखे...
    ५३६ B (१,१९७ शब्द) - १७:२७, १८ जुलाई २०२२
  • की हिंदी पुस्तकें मिलने का पता केव पोरी जूनिया संचालक गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय, लखनऊ [ ४ ] गंगा-पुस्तकमाला का ११७ वां पुष्प अप्सरा [सामाजिक उपन्यास] लेखक...
    २१४ B (१,७०३ शब्द) - ०७:३७, ४ जुलाई २०२३
  • मिश्र [ १ ] गंगा-पुस्तकमाला का बारहवाँ पुष्प देव और विहारी लेखक कृष्ण बिहारी मिश्र बी० ए०, एल-एल० बी० (साहित्य समालोचक-संपादक) प्रकाशक गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय...
    ५८७ B (२७९ शब्द) - १६:१९, ९ जुलाई २०२३
  • २1946प्रेमचंद [ १८६ ] बालक गंगू को लोग ब्राह्मण कहते हैं और वह अपने को ब्राह्मण समझता भी है। मेरे सईस और खिदमतगार मुझे दूर से सलाम करते है। गंगू मुझे कभी सलाम नहीं...
    ३६२ B (३,०४० शब्द) - १९:३९, २४ मई २०२१
  • गया। जब यह बादशाह हुआ इसने अपने पुराने स्वामी गंगा मिश्र को मन्त्री के पद पर रक्खा और आप सुलतान हसन गंगू बहमनी की पदवी धारण की। बहमन अथवा बहमनी ब्राह्मण...
    ६६० B (९९३ शब्द) - ०५:१४, १६ सितम्बर २०२०
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