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  • 135102भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १६८ ] ऊधो! अब नहिं स्याम हमारे। मधुबन बसत बदलि से गे वे, माधव मधुप तिहारे॥ इतनिहि दूरि भए कछु औरै, जोय जोय मगु हारे। कपटी कुटिल...
    ५२७ B (६१ शब्द) - ००:०१, ११ सितम्बर २०२०
  • दढ़िही पर बहि बहि आवति है ⁠कबौं तमाखू जो फांकन। [ २१४ ] ( २०३) बार पाकि गे रीरौ झुकि गै ⁠मूंडौ सासुर हालन लाग। हाथ पांव कुछु रहे न आपनि ⁠केहिके आगे दुखु र्वावन॥३॥...
    ७१० B (३६१ शब्द) - १०:२५, ११ जनवरी २०२०
  • मिश्र 74094प्रताप पीयूष१९३३प्रतापनारायण मिश्र [ २१४ ] ( २०३) बार पाकि गे रीरौ झुकि गै ⁠मूंडौ सासुर हालन लाग। हाथ पांव कुछु रहे न आपनि ⁠केहिके आगे दुखु र्वावन॥३॥...
    ७१२ B (४३७ शब्द) - १०:२८, ११ जनवरी २०२०
  • जरि गे। डहडहे भए द्रुम रंचक हवा के गुन, ⁠कहूँ कहूँ मोरवा पुकारि मोद भरि गे॥ रहि गए चातक जहाँ के तहाँ देखत ही, ⁠सोमनाथ कहै बूँदाबूँदि हूँ न करि गे। सोर...
    ५८२ B (२,४५१ शब्द) - १७:४५, २७ जुलाई २०२३
  • लड़कों के साथ आप लड़के हैं तो इसका बुरा लीजा होला । उन अब लड़की सइदत इनको गे तो थे भिड़े बिन न | इनको सुनकर मैं थोड़ी देरके लिए खोजें पड़ा । नहीं, यह तो...
    ३८७ B (८१४ शब्द) - ०४:०६, ४ अगस्त २०२३
  • प -- प । भी 5 त, प म ग रे। म में | रे म प ध क ल म त ध से --- स स -- सरे ग गे s गा s | तुझे 5 हैं । सी 5 काः ६ स स रे --- ग ग रे --- स - नि ---- र द नीs...
    ५४१ B (२,१११ शब्द) - १८:१९, १७ सितम्बर २०२१
  • निरमल तिन्ह पायँन्ह परसे। पावा रूप रूप के दरसे॥ ⁠मलय-समीर बास तन आई। भा सीतल, गै तपनि बुझाई॥ ⁠न जनौं कौन पौन लेइ आवा। पुन्य-दसा भै पाप गँवावा॥ ⁠ततखन हार बेगि...
    ३७१ B (५३८ शब्द) - २३:१२, १८ अप्रैल २०२३
  • बस न रसन उर लागें हौ। भौहैं तिरछौहैं कवि सुंदर सुजान सोहैं, ⁠कछु अलसौहैं गैाँ हैं जाके रस पागे हौ॥ परसौं मैं पाय हुते परसौं मैं पाये गहि ⁠परसौं वे पाय...
    ६१३ B (२,००३ शब्द) - १७:४४, २७ जुलाई २०२३
  • छन्द की अवस्था पर दृष्टि रख कर हुआ है। ‘रोये बिना न छन भी मन मानता था',‘गेना महा अशुभ जान पयान वेला' यदि मैं इन चरणों में छन के स्थान पर क्षण, पयान के...
    ४०१ B (१,४३२ शब्द) - २३:५६, ११ अक्टूबर २०२०
  • वेसे हो ब्रजभाषा में भी 'य' को हटा कर गो' 'भो' बनाया जाता है जो बहुबचन में 'गे' भे' हो जाता है । ब्रजभाषा के करण का चिन्ह 'ते' और अवधो के करण का चिन्ह 'से'...
    ८०६ B (२,२४८ शब्द) - ०५:२२, ६ जुलाई २०२१
  • वही सिलिया का बिस्तर था। इस बिस्तर के सिरहाने की ओर रामू की छोटी खटोली जैसे गे रही थी और उसी के ग टोनीन टी के नाशी पोटे [ ३४८ ]अंग-भंग दशा में पड़े हुए थे।...
    २४५ B (२,०९९ शब्द) - ००:१५, १४ जुलाई २०२१
  • जी जैसे दयालु ब्राहाण' के आंखों देखने, उनके निकट से जगज्जननी, परम वंदनीया गैौ माता के पामर मगर किनारे से खैंचकर और सो भी जल-पान करते समय ले जावे, इनके...
    ४६८ B (२,४२१ शब्द) - १५:०८, १८ दिसम्बर २०२१
  • में जो ॥५१॥ बहु कलप चुकी हूँ दग्ध भी हो चुकी हूँ । जग कर कितनी ही रात मे गे चुकी हैं । अब न हृदय में है रक्त का लेश बाकी । तन वल सुस थाना में सभी सो चुकी...
    ३५१ B (२,०७४ शब्द) - १७:०१, १२ अक्टूबर २०२०
  • कवि ने सामान्य भविष्यत के प्रत्यय के पहले "न" लगा दिया है, जैसे, "लावो न गे वचन जो मन में हमारा।" यह प्रयोग दूषित है। जिन क्रियाओं के साथ "न" और "नहीं"...
    ३६४ B (५,१०० शब्द) - १५:०८, ९ जुलाई २०२१
  • खाना वही परोसेंगी। इधर माधवी की मां परोस रही थीं और उधर मुत्तुकुमरन् आसपास गे चित्रों पर नजर दौड़ा रहा था । एक चित्र ठीक वहाँ लगा था जहाँ आँख उठाते उसपर...
    ३३६ B (२,७५९ शब्द) - २१:५४, २५ अप्रैल २०२१
  • कारोबार शुरू किया जाय । विक्रम भी अभी यात्रा पर न जायगा। दोनों [ २७० ] के साझे गे कोठो चलेगी। जब कुछ बन जमा हो जायगा, तब वह यात्रा करेगा। लेन-देन मे सूद भी...
    ३३८ B (५,३८९ शब्द) - २२:४४, २५ मई २०२१
  • वह उखड़ गया। अब नौ सागर कै आशष विस्तार में भ्रमण करेगी, चाहे वह उद्दाम तर गे के वक्ष में ही वयों ने विलीन हो जाय ! करुणा द्वार पर आ बैठती, और महरले भर...
    ३०४ B (६,१६३ शब्द) - २१:१७, ३० जुलाई २०२३
  • बचाना मुश्किल हो जाय। दिन-भर घर के धन्धे करती रहती है और जब अवसर पाती है,गे लेती है। हरदम थर-थर काँपती रहती है कि कहीं धनिया कुछ कह न बैठे। अकेला भोजन...
    २६१ B (३,७७२ शब्द) - २१:४०, १३ जुलाई २०२१
  • समाज आजु, ⁠खाहु फल" सुनि पेलि पैठे मधुबन में॥ मारे बागवान, ते पुकारत दिवान गे, ⁠ 'उजारे बाग अंगद' दिखाये घाय तन में। कहैं कपिराज 'करि काज* आये कीस, ⁠तुलसीस†...
    ३५९ B (५,१८४ शब्द) - ०८:३९, ५ अगस्त २०२१
  • आय् , अव् वा आव् होता है, जैसे- ने + अन = न् + ए+अ+न= न्+अय् + अन = नयन । गै + अन =ग् +ऐ+अ+न=ग् + आय् + अ +न =गायन ।। गो-+ ईश= ग्+ओ+ई+श=ग् +अव् + इ +श=...
    ४०७ B (६,२५० शब्द) - ०८:१३, ७ मई २०२१
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