खोज परिणाम

देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)
  • के हेतु बनवा लो, एक पर "अज्ञातनाम-गोत्र ब्राह्मण महाराज का सेवक हरिश्चंद्र" और दूसरे पर "राजाधिराज अज्ञात-नाम-गोत्र ब्राह्मण महाराज" खुदा रहे और आज से...
    ५९७ B (१,७४५ शब्द) - १६:४५, १८ जुलाई २०२२
  • कई व्यक्ति एक ही नाम के हो; क्योंकि अगस्त्य- ऋषि का गोत्र भी तो प्रचलित है। हो सकता है कि उस गोत्र के अन्य लोग भी अगस्त्य ही के नाम से प्रसिद्ध हुए हों।...
    १ KB (१,६८० शब्द) - १६:२०, १७ जुलाई २०२३
  • भारद्वाज गोत्र के थे। नैषध-चरित के कर्ता तो उस समय पैदा ही न हुए थे। फिर यदि मीराँसराय के मिश्रों का कथन माना जाय, तो उनके पूर्वज [ ३६ ] श्रीहर्ष का गोत्र शांडिल्य...
    ६१३ B (१,८३० शब्द) - १६:०४, १ नवम्बर २०२१
  • का परिचय देते हुए लिखा है, ‘कामगोत्रजा श्रद्धानामर्षिका ।' श्रद्धा काम-गोत्र की बालिका है, इसीलिए श्रद्धा नाम के साथ उसे कामायनी भी कहा जाता है । मनु...
    २७६ B (१,६१० शब्द) - ०३:३५, २७ जुलाई २०२३
  • एक ग्राम था, एक गोत्र था। गोत्र का अर्थ था चरागाह, जहां उनके पशु चरते थे। एक ग्राम का परिचय दूसरे ग्राम के मनुष्यों से इसी ग्राम-गोत्र के द्वारा होता था।...
    ३८९ B (६,७४२ शब्द) - ०९:५५, २५ फ़रवरी २०२२
  • अपनी माता से कहा―‘मैं वेदाध्ययन करने जाता हूँ; मुझे मेरे पिता का नाम और गोत्र बतला दो।’ उसकी माता विवाहिता न थी और भारतवर्ष में ऐसी स्त्री की संतान जो...
    ५६१ B (७,२८२ शब्द) - ०६:११, १४ अगस्त २०२१
  • है। वे 'रोम के जेन्स क्यूरिया, यूनान के फ्रत्रिया, फुली, और भारतवर्ष के गोत्र इन तीनों प्रकार की मानव जातियों में अत्यन्त निकट की समानता बतलाते हैं।'...
    ५०७ B (३,५६४ शब्द) - ००:२१, २२ नवम्बर २०२०
  • छूने का साहस कर सकी और न शासन-प्रणाली के अदल-बदल। टोडरमल जाति का खत्री और गोत्र का टंडन था। उसके जन्म स्थान के विषय में मतभेद हैं, पर एशियाटिक सोसायटी की...
    ५२१ B (२,७६१ शब्द) - ०७:३०, २९ जुलाई २०२०
  • चारि ही चनक को” जानते रहे और उन्होंने “जाति के, सुजाति के, कुजाति के” (चांडाल के) “टूक” “पेटागि बस” खाये थे, तो उनकी जाति-पाँँति और गोत्र हो ही क्या सकते...
    ३३७ B (४,१६९ शब्द) - ०७:३६, ५ अगस्त २०२१
  • मिला था। यहाँ गर्ग गोत्र के बिलसिया ब्राह्मण रहते हैं और उनसे बिरादरी का आना जाना अब तक चला जाता है। इसी कारण महाराजा साहेब का गर्ग गोत्र विलासियाँ पुर और...
    ५९० B (४,७२५ शब्द) - ०९:२५, ४ जुलाई २०२३
  • ” नव०—“नवकुमार शर्मा।” [ ३५ ]अधि०–“निवास।” नव०—“सप्तग्राम।” अधि०—“आपका गोत्र?” नव०—“बन्ध्यघटी।” अधि०—“कितनी शादियाँ की हैं?” नव०—“केवल एक।” नवकुमारने...
    २५९ B (१,८८६ शब्द) - ०५:५१, १४ जून २०२३
  • पुरखों में से एक कोई मानिकचंद नाम का, घर से पॉच कोस पर अपने ही नाम का एक गॉत्र बसाय. बाग, बागीचा, कुऑ, तालाब, रमने इत्यादि कई एक रमणीक सजावटों से इस स्थान...
    ३८७ B (१,८१२ शब्द) - १५:१५, १५ अक्टूबर २०२१
  • अवतार सोमशर्मा नाम ब्राह्मण के शिष्य थे। इस से ऐसा मालूम होता है कि कश्यप गोत्र में, विश्वामित्र के पुत्र उलूक के पुत्र, सोमशर्मा के शिष्य कणाद रहे। इन...
    २७० B (२,७१३ शब्द) - ०९:२७, ४ जुलाई २०२३
  • मूर्तिमान् त्याग के दर्शन किये। वृद्ध ने स्वस्थ होकर नवीनचन्द्र की जाति-गोत्र के विषय में प्रश्न करने शुरू किये। उसी समय स्वामीजी ने सरलता की हँसी हँसते...
    ४१४ B (२,६१४ शब्द) - ०८:१०, ६ अगस्त २०२०
  • यह भी तो देखना पड़ता है?' 'बच्चे खुश रहें, बस काफी है! जाति, धर्म, कुल, गोत्र आदि भी बातें कहीं उनकी खुशियों को कहीं मार न दें।' 'देखते हैं।……और कुछ?'...
    २५७ B (२,६७० शब्द) - १५:१२, २४ अप्रैल २०२१
  • मे आपके पूर्वज इसी तरफ़ से वहाँ गये थे। पण्डितजी का वेदयजु, शाखा कण्व और गोत्र घृतकौशिक है। आपके मातामह के पूर्वजों में काशीराम वाचस्पति नाम के एक विख्यात...
    ५३१ B (२,२२५ शब्द) - ११:५७, १० मई २०२१
  • राज्य की सीमा की विशेष वृद्धि की और उसे स्थायित्व प्रदान किया। वह कौण्डिन्य गोत्र था। शिलालेखों में उसने अपने को सोमवंशी बताया है। उसने ४३५ से ४९५ ईसवी तक...
    ९०८ B (२,००३ शब्द) - १६:१९, १७ जुलाई २०२३
  • में एक छोटे युद्ध की ही योजना बना डाली। 'यह क्या कर डाला कामू? हमारे कुल गोत्र में कहीं ऐसा भी हुआ है? मैं यहाँ कैसे रहूँगी री?' 'मैं क्या करु मौसी, मुझे...
    २६९ B (२,६९१ शब्द) - १५:१६, २४ अप्रैल २०२१
  • एक फै़ज़ाबाद में मिला था जिसमें सं० १२४४ में उसने कुमाली गाँव भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मण अलंग को दिया था। इस दानपत्र में विष्णु और लक्ष्मी देवता हैं।...
    ७८८ B (१,५५२ शब्द) - ०९:२४, ४ जुलाई २०२३
  • का अशुभ-सूचन, उस पर पति के सर्वस्व दान करने की चिंता और कहाँ अज्ञात नाम गोत्र ब्राह्मण का आगमन, जिसके विषय में यह आशंका है कि कहीं उनके दुःख का वही मूल...
    ५७१ B (४,४०७ शब्द) - १५:२६, १७ जुलाई २०२२
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)