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  • रामचंद्र शुक्ल 121372भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ १०५ ] राग सारंग जाय कहौ बूझी कुसलात। जाके ज्ञान न होय सो मानै कही तिहारी बात॥ कारो नाम, रूप पुनि कारो...
    ५३१ B (७८ शब्द) - १६:४६, ३० जुलाई २०२३
  • जसोदानंदन तदपि न जात छड़े। वहाँ बने जदुबंस महाकुल हमहिं न लगत बड़े॥ को बसुदेव, देवकी है को, ना जानैं औ बूझैं। सूर स्यामसुन्दर बिनु देखें और न कोऊ सूझैं॥९५॥...
    ५७५ B (५८ शब्द) - ०८:४७, १२ अगस्त २०२०
  • हुआ कि यह दूसरा आदमी चिराग बुझाकर चला गया या उसी जगह कहीं आड़ देकर छिप रहा। यह दूसरा आदमी भी जिसने कमरे में आकर चिराग बुझा दिया था, अपने चेहरे पर स्याह...
    ४१३ B (१,४३६ शब्द) - १३:५९, १५ दिसम्बर २०२०
  • गए भलो मानैं, कै हरि ब्रज आय रहौ॥ कानन-देह विरह-दव लागी इन्द्रिय-जीव जरौ। बुझै स्याम-धन कमल-प्रेम मुख मुरली-बूँद परौ॥ चरन-सरोवर-मनस मीन-मन रहै एक रसरीति।...
    ५४१ B (६२ शब्द) - १०:१७, ६ सितम्बर २०२०
  • नँदनंदन हमरेउ फेरि धरे॥ मसि खूँटी, कागर जल भीजे, सर दव लागि जरे। पाती लिखें कहो क्यों करि जो पलक-कपाट अरे?॥८९॥ समोधे=समझा बुझा दिया। दव=दावाग्नि, आग।...
    ६५१ B (६९ शब्द) - ०२:३९, १२ अगस्त २०२०
  • कुहकुहाय आए बसंत ऋतु, अंत मिलै कुल अपने जाय॥ जैसे मधुकर पुहुप-बास लै फेरि न बूझै वातहु आय। सूर जहाँ लौं स्यामगात हैं तिनसों क्यों कीजिए लगाय?॥९१॥ कुहकुहाय=कूकती...
    ६५५ B (६६ शब्द) - ०२:४९, १२ अगस्त २०२०
  • [ १५३ ] ऊधो! अब जो कान्ह न ऐहैं। जिय जानौ अरु हृदय बिचारौ हम न इतो दुख सैहैं॥ बूझौ जाय कौन के ढोटा, का उत्तर तब दैहैं? खायो खेल्यो संग हमारे, ताको कहां बनैहैं॥...
    ५९१ B (८१ शब्द) - ०६:४८, ३१ अगस्त २०२०
  • राग बिलावल भली बात सुनियत हैं आज। कोऊ कमलनयन पठयो है तन बनाय अपनो सो साज॥ बूझौ सखा कहौ कैसे कै, अब नाहीं कीबे कछु काज। कंस मारि बसुदेव गृह आने, उग्रसेन...
    ५९१ B (६८ शब्द) - ०४:२२, २६ अगस्त २०२०
  • चालौ, अलि, बात पराई। ना कोउ कहै सुनै या ब्रज में नइ कीरति सब जाति हिराई॥ बूझैं समाचार मुख ऊधो कुल की सब आरति बिसराई। भले संग बसि भई भली मति, भले मेल पहिचान...
    ६०५ B (७० शब्द) - ०८:२८, ७ अगस्त २०२०
  • अनन्य हमारी। जो रसरीति करी हरि हमसों सो कत जात बिसारी? महामुक्ति कोऊ नहिं बूझै, जदपि पदारथ चारी। सूरदास स्वामी मनमोहन मूरति की बलिहारी॥६६॥ प्यारी=महँगी...
    ५५१ B (७८ शब्द) - ०१:१६, ९ अगस्त २०२०
  • से संपादन किया और उसे नया रूप तथा गरिमा प्रदान की। उन्होंने जिस गहरी सूझ-बूझ, लगन, धैर्य और निष्ठा से इस रचनावली के संपादन कार्य को इतने सुरुचिपूर्ण और...
    ४६३ B (१,०८५ शब्द) - ०४:३७, २१ मई २०२१
  • 140964भ्रमरगीत-सार1926रामचंद्र शुक्ल [ २२५ ] राग धनाश्री ⁠माधव! सुनौ ब्रज को नेम। बूझि हम षट मास देख्यो गोपिकन को प्रेम॥ हृदय तें नहिं टरत उनके स्याम राम समेत।...
    ५८५ B (८० शब्द) - २२:१२, २४ सितम्बर २०२०
  • गाहक नहिं कोई॥ प्रेम-बिथा सोई पै जानै जापै बीती होई। तू नीरस एती कह जानै? बूझि देखिबे ओई॥ बड़ो दूत तू, बड़े ठौर को, कहिए बुद्धि बड़ोई। सूरदास पूरीषहि षटपद...
    ५७५ B (८४ शब्द) - १२:३६, २६ अगस्त २०२०
  • कै कान्ह मधुपुरी आए। नाहिंन स्याम तिहारे प्रीतम, ना जसुदा के जाए॥ समुझौ बूझौ अपने मन में तुम जो कहा भलो कीन्हो। कह बालक, तुम मत्त ग्वालिनी सबै आप-बस कीन्हो॥...
    ४५० B (१२७ शब्द) - १७:०३, ३० जुलाई २०२०
  • की रक्षा करो, निधिसम ही धीमान। कारण जीवन में नहीं, बढ़कर और निधान॥२॥ समझ बूझकर जो करे, इच्छाओं का रोध। मेधादिक कल्याण वह, पाता बिना विरोध॥३॥ जो निष्कामी...
    ४०९ B (४२२ शब्द) - १०:४१, २ सितम्बर २०२१
  • से संपादन किया और उसे नया रूप तथा गरिमा प्रदान की। उन्होंने जिस गहरी सुझ-बूझ, लगन, धैर्य और निष्ठा से इस रचनावली के संपादन कार्य को इतने सुरुचिपूर्ण और...
    २०० B (१,०५१ शब्द) - १७:२४, २६ जुलाई २०२३
  • क्यों न लेत हल फारे? जो भयभीत होत रजु देखत क्यों बढ़वत अहि कारे॥ निज कृत बूझि, बिना दसनन हति तजत धाम नहिं हारे। सो बल अछत निसा पंकज में दल-कपाट नहिं टारे॥...
    ५६३ B (११७ शब्द) - ००:२६, २५ अगस्त २०२०
  • प्रलंब नाम राक्षस को मारा और मुंज बन में आग लगी थी सो भी हरि के प्रताप से बुझ गई। इतनी कथा सुनाय श्रीशुकदेवजी ने कहा--हे राजा, ग्वाल बालो के मुख से यह...
    ३९९ B (३४७ शब्द) - ०७:५४, ३० नवम्बर २०२१
  • निर्वाणको प्राप्त होना सम्भव है। अतएव यह देखना चाहिये कि सूर्यके एक बार बुझ जानेपर फिर भी उसके दीप्तिमान होने की—जल उठनेकी—सम्भावना है या नहीं। कई वर्ष...
    ५९७ B (२,२६३ शब्द) - १७:४४, ८ नवम्बर २०२१
  • लगे । मैं उन्हें बहुत-कुछ समझा बुझाकर विदां हुआ और अपने घर चला आया । अपनी स्त्री से मिलकर सब हाल कहने और समझाने-बुझाने के बाद मैं अपने शागिों को साथ लेकर...
    ३८४ B (९५१ शब्द) - १४:००, १९ दिसम्बर २०२०
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