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  • होता है। सूक्ष्म वा बाह्य जगत् से अनुभव द्वारा जो ज्ञान मिलता है, वह मनोविज्ञान (योग), अध्यात्म विद्या (वेदांत) और धर्म है; और बाह्य जगत् से जो ज्ञान मिलता...
    ६४८ B (३,४१२ शब्द) - ०२:०५, ११ अगस्त २०२१
  • परिभाषा या व्याख्या कर ले। पर मनोविज्ञान के सबंध मे यह प्रारंभिक कार्य अत्यंत कठिन है। सब से विलक्षण बात यह है कि मनोविज्ञान के संबंध में आज तक नए पुराने...
    ३६९ B (४,६४१ शब्द) - ०८:४८, १३ नवम्बर २०२१
  • विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग  (1923)  द्वारा स्वामी विवेकानंद, अनुवादक जगन्मोहन वर्मा स्वामी विवेकानंद155869विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग1923जगन्मोहन...
    ६०२ B (१,७८९ शब्द) - ०२:३२, ११ अगस्त २०२१
  • विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग  (1923)  द्वारा स्वामी विवेकानंद, अनुवादक जगन्मोहन वर्मा स्वामी विवेकानंद155868विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग1923जगन्मोहन...
    ७७१ B (३,१७८ शब्द) - ०२:२०, ११ अगस्त २०२१
  • विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग  (1923)  द्वारा स्वामी विवेकानंद, अनुवादक जगन्मोहन वर्मा स्वामी विवेकानंद155867विवेकानंद ग्रंथावली : ज्ञान-योग1923जगन्मोहन...
    ५८६ B (३,७९६ शब्द) - ०२:१७, ११ अगस्त २०२१
  • सहायता से मनोविज्ञान ने इधर जो उन्नति की है उसके द्वारा समस्त जीवसृष्टि के मनस्तत्व की एकता पूर्णतया प्रतिपादित हुई है। तारतम्यिक मनोविज्ञान ने भी यह निश्चय...
    ३५४ B (५,७१२ शब्द) - ०८:५०, १३ नवम्बर २०२१
  • विज्ञानमय कोश होता है। यही सिद्धांत आजकल जतुविज्ञान, शरीरविज्ञान, और अद्वैत मनोविज्ञान मे माना जाता है। प्राणिविज्ञान की भिन्न भिन्न शाखाओ मे जो अपूर्व उन्नति...
    २६६ B (२,७५० शब्द) - १५:१३, १३ नवम्बर २०२१
  • बहुत ही संगत है–– नेही महा, ब्रजभाषा-प्रवीन औ सुंदरताहु के भेद को जानै। योग वियोग की रीति में कोविद, भावना भेद स्वरूप को ठानै॥ चाह के रंग में भीज्यो...
    ५३२ B (२,२९२ शब्द) - १७:४५, २७ जुलाई २०२३
  • अनुसार--कललरस की योजना के अनुसार--होता है। शरीर-विज्ञान संबंधी यह बात मनोविज्ञान के क्षेत्र मे बहुत ध्यान देने की है कि मनस्तत्व एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी...
    ३६० B (२,३०२ शब्द) - १५:१४, १३ नवम्बर २०२१
  • देती है। मिस मेयो की ही भांति स्त्रियों का लक्ष्य करके कदाचित् प्रसिद्ध मनोविज्ञान-वेत्ता प्रोफ़ेसर मस्टरवर्ग ने अमरीका के सहानुभूतियुक्त पर निष्पक्ष अध्ययन...
    ३५१ B (३,६८८ शब्द) - २३:३७, २१ नवम्बर २०२०
  • हमे यह मानना पड़ता है कि शरीर और मन दोनो का विकाश क्रमशः हुआ है। अतः मनोविज्ञान मे यह देखना अत्यंत आवश्यक है कि किस प्रकार पशु की आत्मा से क्रमशः मनुष्य...
    ३६० B (४,३७२ शब्द) - १५:१३, १३ नवम्बर २०२१
  • और सूचित करना आवश्यक जान पड़ता है कि सौंदर्य की भावना को रूप देने में मनोविज्ञान के क्षेत्र से आए हुए उस सिद्धांत का भी असर पड़ा है जिसके अनुसार अतस्सज्ञा...
    ५६० B (४,९६१ शब्द) - १७:४०, २७ जुलाई २०२३
  • मानों सादी के उपदेशों का निचोड़ है। यह वह उपवन है जिसमें राजनीति, सदाचार, मनोविज्ञान, समाजनीति, सभाचातुरी में रङ्ग-बिरङ्गे पुष्प लहलहा रहे हैं। इन फूलों में...
    ५५७ B (३,५६० शब्द) - १४:०९, १३ नवम्बर २०२१
  • चौड़ी कोठरी में पड़े रही। जेल के विधाताओं में चाहे जितने अवगुण हो, पर वे मनोविज्ञान के पण्डित होते हैं। किस दण्ड से आत्मा को अधिक से अधिक कष्ट हो सकता है...
    २९४ B (३,४१७ शब्द) - ११:५३, २७ फ़रवरी २०२३