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  • २––सत्यहरिश्चंद्र1935भारतेन्दु हरिश्चंद्र [ १४८ ] सत्यहरिश्चंद्र   नाटक [ १४९ ] उपक्रम मेरे मित्र बाबू बालेश्वरप्रसाद बी० ए० ने मुझसे कहा कि आप कोई ऐसा...
    ४८३ B (१,२१९ शब्द) - १६:३५, १८ जुलाई २०२२
  • बाग़ी पूर्व का एक अफ़गान सूबेदार शेरखां था। बाबर के मरने के दिन से हुमायं तो दक्षिण दिशा में [ १४७ ] गुजरात और मालवे में लड़ता था और शेरखां पूर्व में ज़ोर...
    ४५३ B (२,६७९ शब्द) - ०८:०२, १६ सितम्बर २०२०
  • तैंने उस खेमला चमार को बहका कर [ १४९ ]मुझ पर नालिश ठुकवा दी। कुसूर उसका था कि उसने मेरे घोड़े को पानी नहीं पिलाया। अगर इस बात पर मैंने उसको गाली भी दे दी...
    ५५४ B (२,८८४ शब्द) - १७:०६, १३ दिसम्बर २०२१
  • अत्यत प्राचीन खाल्दी जाति के बीच एक ईश्वर की भावना का विकाश हुआ था। ईसा से २००० वर्ष पूर्व के बाबुल के एक लेख मे वहाँ के भिन्न भिन्न देवता एक ही प्रधान देवता...
    ३४५ B (३,८२५ शब्द) - ०६:०२, ७ नवम्बर २०२१
  • सङ्घाराम देखे। फिर वह ताम्रपल्ली गया वहाँ भी [ १४९ ]उसने २४ सङ्घाराम देखे। अन्त में वह सिंहल को जहाज़ में बैठ गया। इस यात्री के दो सौ वर्ष बाद ह्वेनसांग चीनी...
    ४२८ B (४,७२४ शब्द) - ०८:४९, ३ मई २०२१
  • सुन्दर और समृद्ध था। फीरोज़ तुग़लक पहिली बार ई॰ १३२४ में और दूसरी बार ई॰ [ १४९ ]१३४८ में अयोध्या आया। उसके समय मलिक सिग़ीन और आयीनुलमुल्क अयोध्या के शासक...
    ८१६ B (१,७८२ शब्द) - ०९:२४, ४ जुलाई २०२३
  • Yel. p. 51, १६५ - - -[ १४९ ]________________ मारसके प्राचीन राजवंश हलायुध। इसने मुझके समपर्म दिइ-इन्दन पर ‘मृतावनी' की खीं। इस नामके और दो कवि हुए है...
    ३९५ B (४१,५६३ शब्द) - ०१:४०, ३० जुलाई २०२३
  • पर प्रेम रखते हैं। उनका आदर्श ऐसा ही है। भक्त का यही स्वरूप है, वैका[ १४९ ] [ १४९ ] रिक पुरुष के यही लक्षण हैं। इनके अतिरिक्त गूढ़ तत्वान्वेषी लोग हैं...
    ७०० B (८,६९६ शब्द) - ०१:१२, ११ अगस्त २०२१
  • ही गई। हाथ मैं लालटेन लेकर जब कोई रात को किसी चौड़ी सड़क पर चलता है तब [ १४९ ] जैसे जैसे वह आगे बढ़ता जाता है वैसे ही वैसे सड़क पर ऊँचे उठे हुए पुश्ते...
    ५७१ B (६,७६९ शब्द) - ०६:२६, १८ सितम्बर २०२१
  • ) ३२३, भारतभक्ति ६१६. ३८७ भारत-भारती ( मैथिलीशरण गुप्त ) भाषा हनुमन्नाटक १४९-१५०, १६७ ६१३, ६१६ भिखारिणी ५४२ भारतमाता ४६१ भीम प्रतिज्ञा ५५७ भारतमित्र (पत्र)...
    ३९६ B (३,२९१ शब्द) - १७:३५, २७ जुलाई २०२३
  • गया। सौधे दौड़ते चले गये। यहां तक कि मार्ग का ज्ञान न रहा। जिस परिचित [ १४९ ] मार्ग से आये थे, उसका यहाँ पता न था । नये-नये गाँव मिलने लगे। तब दोनों...
    ३७० B (४,२५१ शब्द) - २३:१०, २१ मई २०२१
  • वि सं. ५७ ) में होना मान कर इस मंघन के गत वर्ष स्थिर किये परंतु अब बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ईसा का जन्म ई स पूर्व ८ से ४ के बीच हुआ था न कि ई...
    १३० B (१,३७,२३१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
  • के ज्ञान की ऐसी उन्नति हुई है जिसकी सौ वर्ष पूर्व स्वप्न में भी कल्पना न थी, यहाँ तक कि पचास वर्ष पूर्व जो किसीने स्वप्न में भी नहीं सोचा था, ऐसे सभी...
    ५१९ B (६,८३१ शब्द) - ०७:५२, २५ मार्च २०२३
  • है। * होमर (Homer) ग्रीक लोगों का आदि कवि है। इसका समय ईसा से लगभग एक हजार वर्ष पूर्व है। इस के "इलियड" और "ओडिसी" बड़े प्रतिष्ठित ग्रन्थ हैं। हिन्दुओं...
    ४२१ B (१८,७०० शब्द) - ११:३५, ४ नवम्बर २०२०
  • थे। मेरे पूर्व बॉस जॉन डी, पॉडेस्टा और साथ ही लेबर विभाग के पूर्व सचिव रॉबर्ट रीच और ओक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन (ओएसएचए) के पूर्व निदेशक...
    ३५१ B (३०,२४० शब्द) - १५:२४, २८ जुलाई २०२३
  • धारा विधाताके आह्वानपर यहाँ आई और अब अपने आघात द्वारा [ १४९ ] हमें जगानेका प्रयत्न कर रही है। इस भारतवर्षमें बौद्ध धर्मकी बाढ़ हट जाने पर जब खण्ड खण्ड देशके...
    ३८७ B (८,८५६ शब्द) - १७:०१, २५ नवम्बर २०२१
  • हैं। (२) मुसलमानी मतमें परमेश्वरके सिवा और किसीको दण्डवत करना मना है। [ १४९ ]को हाकेका प्रबंध करनेके लिये भेजा था। उसने डेढ़ कोममें कनातें और गुलालबादें(१)...
    १२८ B (७४,४४७ शब्द) - १७:३०, १३ फ़रवरी २०२१
  • परमारथ की कहा चली, ⁠पेट की कठिन, जग जीव को जबारु है॥ *पाठान्तर—निपटहि [ १४९ ] चाकरी न आँकरी, न खेती, न बनिज भीखा, जानत न कूर कछु किसव कबारु है। तुलसी...
    ३३१ B (५८,७७८ शब्द) - १४:४३, ५ अगस्त २०२१