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भूमिका | |||
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मलिक मुहम्मद जायसी | … | … | १-२ |
प्रेम गाथा की परंपरा | … | … | २-४ |
जायसी का जीवनवृत्त | … | … | ४-१० |
पद्मावत की कथा | … | … | १०-१६ |
ऐतिहासिक आधार | … | … | १६-२० |
पद्मावत की प्रेमपद्धति | … | … | २०-२७ |
वियोग पक्ष | … | … | २७-३८ |
संयोग शृंगार | … | … | ३८-४२ |
ईश्वरोन्मुख प्रेम | … | … | ४२-४९ |
प्रेम तत्व | … | … | ५०-५२ |
प्रबंध कल्पना | … | … | ५२-५५ |
संबंध निर्वाह | … | … | ५६-६० |
कवि द्वारा वस्तुवर्णन | … | … | ६०-७२ |
पात्र द्वारा भावव्यंजना | … | … | ७२-८० |
अलंकार | … | … | ८०-९३ |
स्वभावचित्रण | … | … | ९३-१०३ |
मत और सिद्धांत | … | … | १०३-१२१ |
जायसी का रहस्यवाद | … | … | १२२-१२९ |
सूक्तियाँ | … | … | १२९-१३२ |
फुटकल प्रसंग | … | … | १३२-१३४ |
जायसी की जानकारी | … | … | १३४-१४३ |
जायसी की भाषा | … | … | १४४-१५९ |
संक्षिप्त समीक्षा | … | … | १५९-१६२ |
पदमावत | |||
१. स्तुति खंड | … | … | १-८ |
२. सिंहलदीप वर्णन खंड | … | … | ९-१६ |
३. जन्म खंड | … | … | १७-१९ |
४. मानसरोदक खंड | … | … | २०-२२ |