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  • जैसे—स रे ग म प ध नी। कोमल स्वरों के नीचे- -ऐसी रेखा होगी। जैसे--रे॒ ग॒ ध॒ नि॒ तीव्र स्वर के ऊपर खड़ी रेखा होगी। जैस--म॑ मध्य सप्तक की स्वरों पर कोई चिह्न...
    ४४८ B (७१५ शब्द) - १२:४९, २५ जुलाई २०२०
  • हैं। संकेत कर रही रोमाली चुपचाप बरजती खड़ी रही , भाषा बन भौंहों की काली रेखा-सी भ्रम में पड़ी रही। तुम कौन ! हृदय की परवशता ? सारी स्वतंत्रता छीन रही...
    २१४ B (९४३ शब्द) - ००:५७, २२ अक्टूबर २०१९
  • की रेखा लीजिए । उसकी हस्ती कल्पना में ही है। सूक्ष्म रेखा भी काग़ज़ पर खींचे तो भी उसमें कुछ न कुछ चौड़ाई होगी ही । इसलिए व्यवहार में सूक्ष्म रेखा खींचकर...
    २४२ B (४७३ शब्द) - १६:२६, ११ अगस्त २०२१
  • करैं जो मूल। जोग हमैं ऐसो लागत है ज्यों तोहि चंपक फूल॥ अब क्यों मिटत हाथ की रेखा? कहौ कौन बिधि कीजै? सूर, स्याममुख आनि दिखाओ जाहि निरखि करि जीजै॥१०२॥ कैतव=छल...
    ५८७ B (६७ शब्द) - १२:४२, १२ अगस्त २०२०
  • भाषा ने एक नई रेखा भी खींची है-गरीबी की रेखा। लेकिन इस रेखा को खींचने वाले संपन्न लोगों की ग़रीबी तो देखिए [ ३ ] कि उनकी तमाम कोशिशें रेखा के नीचे रहने...
    ६१० B (१,३५४ शब्द) - ०७:११, २० नवम्बर २०२०
  • देखकर)—तारों से भरी हुई काली रजनी का नीला आकाश―जैसे कोई विराट् गणितज्ञ निभृत में रेखा-गणित की समस्या सिद्ध करने के लिए बिन्दु दे रहा हैं। [पर्वतेश्वर का प्रवेश]...
    ४९४ B (३७२ शब्द) - ०५:५८, ११ सितम्बर २०२१
  • एकता में खो गई है। देखता हूँ यहाँ, काले-लाल-पीले-श्वेत जन में शान्ति की रेखा खिंची है, क्रान्ति कृष्णा से गई है। जग रहे हैं वे जगत् में जो तुम्हारी गोद...
    ४४१ B (१२० शब्द) - ०३:००, २० मई २०२३
  • देते हैं। पानी पर आधारित एक पूरे जीवन दर्शन को इतने सरल सरस ढंग से आठ-दस रेखाओं में उतार पाना कठिन काम है लेकिन हमारे समाज का बड़ा हिस्सा बहुत सहजता के...
    २८१ B (११३ शब्द) - १४:१०, ३० मई २०२१
  • रूपरेखा हमने बनाई थी। इतना ही नहीं, कहानियों का संकलन-सम्पादन भी उनकी देख-रेख में शुरू हो गया था और इस माला के लिए उन्होंने स्वयं 'कहानीकार का वक्तव्य'...
    ३३१ B (५८१ शब्द) - ०८:५५, २० जुलाई २०२३
  • होता है कि उस समय तक कोई ऐसा अलगाव नहीं हो पाया था कि उसके बीच कोई विभाजन-रेखा खींची जा सके।" इसे यदि आप स्वीकार कर लें तो कम-से-कम सैकड़ों उपन्यासों को...
    ५३० B (३,०७१ शब्द) - १२:०८, २३ जुलाई २०२०
  • पठावत ब्रज को तुरत पलानो॥ पूरन ब्रह्म, सकल, अबिनासी ताके तुम हौ ज्ञाता। रेख, न रूप, जाति, कुल नाहीं जाके नहिं पितु माता॥ यह मत दै गोपिन कहँ आवहु विरह-नदी...
    ४६३ B (७७ शब्द) - १६:५२, ३० जुलाई २०२०
  • [ १३६ ] ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ। आपु कहत हम सुनत अचंभित जानत हौ जिय सुल्लभ॥ रेख न रूप बरन जाके नहिं ताकों हमैं बतावत। अपनी कहो दरस वैसे को तुम कबहूँ हौ पावत...
    ५३९ B (६८ शब्द) - ०९:०६, १७ अगस्त २०२०
  • कहानी-सी, वहां अकेली प्रकृति सुन रही, हंसती-सी पहचानी-सी। 'ओ चिंता की पहली रेखा, अरी विश्व-वन की व्याली, ज्वालामुखी स्फोट के भीषण प्रथम कंप-सी मतवाली! है...
    २०१ B (१,५०५ शब्द) - ०३:४५, २७ जुलाई २०२३
  • में ये सब कोई नहीं व्यस्त थे। [ १२५ ] ऋतुओं के स्तर हुए तिरोहित भू-मंडल-रेखा विलीन-सी , निराधार उस महादेश में उदित सचेतनता नवीन-सी । त्रिदिक विश्व, आलोक...
    २१६ B (१,५६० शब्द) - ०९:३४, १५ अक्टूबर २०१९
  • चित्रन, बिन चित ही चतुराई। अब ब्रज में अनरीति कछू यह ऊधो आनि चलाई॥ रूप न रेख, बदन, बपु जाके संग न सखा सहाई। ता निर्गुन सों प्रीति निरंतर क्यों निबहै,...
    ५४८ B (८० शब्द) - २३:४८, ६ अगस्त २०२०
  • वाला पुरुष ही केवल कुलीन होता है। ४—याचक के ओठों पर सन्तोष-जनित हँसी की रेखा देखे बिना दानी का मन प्रसन्न नहीं होता। ५—आत्म-जयी की विजयों में श्रेष्ठ...
    ३९१ B (४२० शब्द) - १०:३६, २ सितम्बर २०२१
  • समर्थ कवियों को यहाँ स्मरण करा देना पर्याप्त होगा। अतः रीतिकाव्य की सीमा रेखा उनके कविता काल की समाप्ति से खींच देना नितान्त उपयुक्त नहीं कहा जा सकता।...
    २९६ B (९४१ शब्द) - २२:४२, १९ अप्रैल २०२१
  • नहीं दयाल सब घट कहत एक समान। निकसि क्यों न गोपाल बोधत दुखिन के दुख जान? रूप-रेख न देखिए, बिन स्वाद सब्द भुलान। ईखदंडहि डारि हरिगुन, गहत पानि बिषान॥ बीतराग...
    ५४५ B (९० शब्द) - २३:५१, १० सितम्बर २०२०
  • समुदाय में खड़ी बोली के व्यवहार का आरंभ, ४०७; फारसी-मिश्रित खड़ी बोली या रेखता में शायरी, ४०८; उर्दू-साहित्य का आरंभ, ४०८; खड़ीबोली के स्वाभाविक देशी रूप...
    ५९६ B (५,३२० शब्द) - ०२:४७, २१ मई २०२४
  • उतनी ही दूर तक तरंग, भङ्ग, प्रक्षिप्त फेनकी रेखा, स्तूपीकृत विमल कुसुम-दामग्रथित मालाकी तरह बह धवल फेन-रेखा हेमकान्त सैकतपर न्यस्त हो रही है। काननकुण्डला...
    २८९ B (१,१०४ शब्द) - २३:३४, २१ अप्रैल २०२०
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