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  • दास होकर गर्व से,छाती फुलाये घूमते हैं। कहते हैं, हम धीरे-धीरे सभ्य हो रहे हैं। विवेक—सब बूढ़े मूर्ख और पुरानी लकीर पीटने वाले कहे जाते हैं। संतोष—एक-एक...
    २३१ B (९४० शब्द) - ०२:२२, ३० मार्च २०२१
  • का स्वर नहीं मिलता। दासी। प्यास–– (सन्तोष का प्रवेश) कामना––कौन? सन्तोषसन्तोष––हाँ रानी। ​कामना-बहुत दिनो पर दिखाई पड़े। सन्तोष-हाँ रानी। कामना-किधर...
    २४१ B (१,५३७ शब्द) - २३:२८, १२ अप्रैल २०२१
  • आदर्श हिंदू-पहला भाग। मेहता लज्जाराम शर्मा, संपादक श्यामसुंदर दास, बी.ए. 157878आदर्श हिंदू-पहला भाग।मेहता लज्जाराम शर्मा   ​   प्रकरण―१६ घबड़ाहट का अंत।...
    ४६० B (१,००३ शब्द) - १७:०६, १३ दिसम्बर २०२१
  • मूड़ीकाटा बैठा है, अरे तू कौन है?" "यह मैं हूँ प्रेमप्यारी जी, तुम्हारा दास सुखदास। पर अब तुम इसे भिक्षु सुखानन्द ​कहना।" सुन्दरी का कलेजा धक से रह गया।...
    २५४ B (८६५ शब्द) - ०६:१६, २९ जुलाई २०२३
  • हठात् कटार का वार किया और द्रुत वेग से अश्व को छोड़ दिया। दास ने चिल्लाकर कहा—"पकड़ो, पकड़ो! दासी भागी जाती है।" अनेक पुरुष अस्त्र-शस्त्र लेकर उसके पीछे...
    ४४८ B (१,७४४ शब्द) - ०८:०१, ७ अगस्त २०२०
  • धनी लोग तो वेश्याओ के दास हुआ ही करते है। यह बात रामभोली भी कह रही थी। मुझे बड़ा धोखा हो गया था। सुमन को इस विचार से बड़ा सन्तोष हुआ। उसे विश्वास हो गया...
    ४७४ B (७७० शब्द) - ०७:२८, २७ जुलाई २०२३
  • दीप टंदा होने चाहता है। उसमान आयेशा और,और और पुत्र पुत्री,पत्ती उपपत्नी,दास दासी और मंत्री आदि सब बैठे बाड़ मार मार रो रहे हैं किन्तु आयेशा मन ही मन रोती...
    ६५८ B (८९६ शब्द) - १६:५१, २६ अक्टूबर २०१९
  • इन्होंने कहा―"यों हम किसी की नहीं मानते। यदि कोई भी न मिला तो यही बूढ़ा संतोषी (स्टेशन से साथ आनेवाले को दिखाकर) हमारा पुरोहित। तुम्हारे लफंगे नौकरों से...
    ५०० B (२,०७३ शब्द) - १७:०५, १३ दिसम्बर २०२१
  • आदर्श हिंदू तीसरा भाग मेहता लज्जाराम शर्मा, संपादक श्यामसुंदर दास बी.ए. 157896आदर्श हिंदू तीसरा भागमेहता लज्जाराम शर्मा   ​ दीनबंधु के दर्शन उंचासवे प्रकरण...
    ४५९ B (१,०५० शब्द) - १५:००, १८ दिसम्बर २०२१
  • धनी लोग तो वेश्याओ के दास हुआ ही करते है। यह बात रामभोली भी कह रही थी। मुझे बड़ा धोखा हो गया था। सुमन को इस विचार से बड़ा सन्तोष हुआ। उसे विश्वास हो गया...
    २२४ B (७४५ शब्द) - ०८:१६, २७ जुलाई २०२३
  • "रचित प्रभा सी भासी अवलि मकानन की ⁠जिनमें अकासी फबै रतन-नकासी है। फिरै दास-दासी बिप्र गृही औ संन्यासी लसै ⁠बर गुनरासी देवपुरी हू न जासी है॥ 'गिरिधरदास'...
    ६०५ B (३,२४० शब्द) - १६:५४, १८ जुलाई २०२२
  • सकती। मैं उन ले डियों को कभी उदास या चिन्तित न पाती। मिस्टर दास बहुत बीमार थे ;परन्तु मिसेज दास के माथे पर चिन्ता का चिह्न तक न था। मिस्टर बागड़ी नैनीताल...
    ३७९ B (५,८७१ शब्द) - २३:४९, २२ अगस्त २०२१
  • पुरोहित शकराज खिंगिल मिहिर देव सामन्त कुमार, शक सामन्त, प्रतिहारी, प्रहरी, दासी, कुबड़ा, बौना, नर्त्तकियाँ ​प्रथम अंक [शिविर का पिछला भाग, जिसके पीछे पर्वतमाला...
    ५९५ B (५,६१४ शब्द) - १७:०२, २८ अगस्त २०२०
  • अवमर्दक और पीठमर्द को बुलाओ, पुत्र का अंगसंस्कार करो।" देखते-ही-देखते दास-दासियों और सगे-सम्बन्धियों की दौड़-धूप से हर्षदेव क्षौर करा, स्नान-उबटन करा,...
    ४२१ B (१,१४९ शब्द) - १४:३५, २७ जुलाई २०२०
  • आदर्श हिंदू तीसरा भाग मेहता लज्जाराम शर्मा, संपादक श्यामसुंदर दास बी.ए. 157906आदर्श हिंदू तीसरा भागमेहता लज्जाराम शर्मा   ​ नौकरी का इस्तीफा जिस ख्याल...
    ५१३ B (१,४४६ शब्द) - १३:५४, २२ दिसम्बर २०२१
  • सुभीता रहता है और उसके मन को सन्तोष तथा आनन्द प्राप्त होता है । इस लक्षण के अनुसार दूसरे को अपने काम में सुभीता और संतोष पहुँचाना ही शिष्टाचार का मुख्य...
    ५४३ B (३,२६० शब्द) - १८:५३, १२ दिसम्बर २०२०
  • गुजराती, बँगला में उसका अनुवाद हो चुका है। हिन्दी भाषा में भी महाशय मेहरचन्द दास का किया हुआ गुलिस्ताँ का गद्य-पद्यमय अनुवाद १८८८ में प्रकाशित हो चुका है।...
    ५५३ B (१,०६४ शब्द) - १४:०९, १३ नवम्बर २०२१
  • बेइज्जती की कोई बात नहीं। इस बात को और जरा खुलासा करके कहना ठीक होगा। राम-दास के घर में श्यामदास का कोई अधिकार नहीं है––यह बात बिलकुल निश्चित है। इसी कारण...
    ४३२ B (५,१८७ शब्द) - २३:४८, २२ अप्रैल २०२१
  • जान पड़ता है कि कुटिल कामदेव ने आज इसको पहिले पहिल अपना शिष्य किया है। दासी ने दिया जला दिया और तिलोत्तमा एक पुस्तक लेकर दीप के समीप बैठी। अभिराम स्वामी...
    ५३३ B (८०९ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • हैं ) हरि०---(लंबी सॉस लेकर ) हाय! अब जन्म भर यही दुख भोगना पड़ेगा। जाति दास चंडाल की, घर घनघोर मसान। कफन खसोटी को करम, सब ही एक समान॥ न जाने विधाता का...
    ५११ B (६,५३४ शब्द) - १६:५४, १८ जुलाई २०२२
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