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  • रामचंद्र शुक्ल १४—'मानस' की धर्म-भूमि 156025चिन्तामणि — १४—'मानस' की धर्म-भूमि1919रामचंद्र शुक्ल [ २०७ ]  'मानस' की धर्म भूमि धर्म की रसात्मक अनुभूति का नाम...
    ५५० B (१,७५६ शब्द) - १०:४६, २२ अगस्त २०२१
  • अन्धविश्वास और कुसंस्कार अन्ध विश्वास धर्म की जान है, उस धर्म की जो पाखण्ड की भित्ती पर है, और जिसे आज लोग धर्म मानते हैं। इसी अन्ध विश्वास के आधार पर...
    ४२८ B (४,८७५ शब्द) - ०८:४६, ३ मई २०२१
  • मेरा कहना यह है कि हिंसा कोई पाप नही है और अहिंसा कोई धर्म नहीं है। इन दोनों वस्तुओं का सदुपयोग धर्म और दुरुपयोग पाप है। एक जज अपराधी को फाँसी की आज्ञा देता...
    ४७६ B (४,०३५ शब्द) - ०८:४५, ३ मई २०२१
  • धर्म के नाम पर  (1933)  द्वारा आचार्य चतुरसेन शास्त्री 152668धर्म के नाम पर1933आचार्य चतुरसेन शास्त्री [ ८९ ]  छठा अध्याय व्यभिचार ईसा के पूर्व पांचवीं...
    ३३५ B (३,५४७ शब्द) - ०८:४७, ३ मई २०२१
  • सन्घाराम और १०० देव मन्दिर देखे थे। कच्छ गुजरात और सिन्ध में भी उसने सर्वत्र घटते हुऐ बौद्ध धर्म और बढ़ते हुए मूर्ति पूजक हिंदू धर्म को देखा था। इन मन्दिरों...
    ४२८ B (४,७२४ शब्द) - ०८:४९, ३ मई २०२१
  • धर्म के नाम पर  (1933)  द्वारा आचार्य चतुरसेन शास्त्री 152667धर्म के नाम पर1933आचार्य चतुरसेन शास्त्री [ ७५ ] पांचवां अध्याय हत्या कुछ दिन पूर्व देशाटन...
    ३७० B (२,८९९ शब्द) - ०८:४७, ३ मई २०२१
  • शुद्ध कर लेवें। दुबे जी साहब ने मेरा नाम पुस्तक लेखकों की नामावली में लिख "दैवी श्री अहिल्या बाई के जीवन चरित्र" के लिखने का भार सन् १९१४ ईसवी के जून मास...
    ५४६ B (१,०२४ शब्द) - ०२:४९, २५ जुलाई २०२३
  • मुसलमानी धर्म की निन्दा करने वाले कवियों की मरम्मत किया करता था। एक बार वह जब युद्ध करने को ईसाइयों के किसी नगर पर गया था तो ईसाइयों ने उससे कुछ धर्म सम्बन्धी...
    ४४० B (४,२०१ शब्द) - ०८:४६, ३ मई २०२१
  • उपदेश दिया। तब वे सुव्याख्यात धर्म में विशारद स्वतन्त्र हो बोले—"भगवान् हमें उपसम्पदा दें। भगवान् ने कहा—"भिक्षुओ, आओ, धर्म सुव्याख्यात है। अच्छी तरह दुःख...
    ४६२ B (९४५ शब्द) - १६:१७, २४ जुलाई २०२०
  • भूमि धर्म है; और हम देखते हैं कि धर्म में इन दोनों शक्तियों के कर्म बड़े ही अद्भुत होते हैं। सबसे गाढ़ा प्रेम जिसका बोध कभी मनुष्य को हुआ है, धर्म से उत्पन्न...
    ७०० B (८,६९६ शब्द) - ०१:१२, ११ अगस्त २०२१
  • तत्व है और इसी से वह प्रकाश उत्पन्न होता है जो संसार में धर्म के नाम से प्रख्यात है। तत्वतः धर्म इंद्रियातीत है, इंद्रियों का विषय नहीं है। यह तर्क से भी...
    ६०२ B (१,७८९ शब्द) - ०२:३२, ११ अगस्त २०२१
  • रहे, मनुज गृही के कर्म। आवश्यक क्यों हों उसे, अन्याश्रम के धर्म॥६॥ जो गृहस्थ करता सदा, धर्म-सुसंगत कार्य। वह मुमुक्षुगण में कहा, परमोत्तम है आर्य॥७॥ साधक...
    ४११ B (३७३ शब्द) - १०:४७, २ सितम्बर २०२१
  • लिखेंगे यह था कि तुर्किस्तान, ईरान और मध्य एशिया में एक नये धर्म का प्रचार हो रहा था। यह धर्म इसलाम था। अरब के रहनेवाले पहिले इन देशों के जीतने में लगे...
    ७०२ B (७८७ शब्द) - २२:५५, १३ सितम्बर २०२०
  • धर्म के नाम पर  (1933)  द्वारा आचार्य चतुरसेन शास्त्री 152670धर्म के नाम पर1933आचार्य चतुरसेन शास्त्री [ ११५ ]   आठवां अध्याय —++++— कुरीति और रूढ़ियां...
    ३४२ B (६,४०४ शब्द) - ०८:४८, ३ मई २०२१
  • उन्नत हुई है तब धर्म की उन्नति से ही उन्नत हुई है। भारतवर्ष भी धर्म के पथ में विचरण करके जातीय उन्नति के सिद्धक्षेत्र में कुमारिका देवी के नाम से ही कुमारी-अन्तरीप...
    ३७५ B (१,७८९ शब्द) - ०१:११, ३ अगस्त २०२३
  • धर्म के नाम पर  (1933)  द्वारा आचार्य चतुरसेन शास्त्री 152669धर्म के नाम पर1933आचार्य चतुरसेन शास्त्री [ १०६ ]  सातवां अध्याय अपराध हत्या, व्यभिचार और...
    ४२४ B (२,०३५ शब्द) - ०८:४८, ३ मई २०२१
  • स्वामीका धर्म मेरे हाथमें है। उन्हें दूसरा कौन धर्मसे हटा सकता है? इस लोकमें स्त्रीके लिये पति देवता है; परन्तु परलोकमें धर्म ही सबका देवता है। मेरे लिये...
    २४४ B (५०५ शब्द) - ०३:२३, २० मार्च २०२१
  • हिन्दू-वर्णाश्रम-धर्म ऐतिहासिक दृष्टि से विचार किया जाय तो वर्तमान वर्णाश्रम-धर्म मध्य-कालीन युग का अवशिष्टांश-मात्र प्रतीत होगा। प्राचीन भारत में वर्णाश्रम-धर्म कदापि...
    ५०७ B (३,५६४ शब्द) - ००:२१, २२ नवम्बर २०२०
  • शत्रुओं से बचाने और मन्त्रों द्वारा दैवी बाधाओं को दूर करने के लिए करना पड़ा।' पुराणों और दन्तकथाओं में जो देवी-देवता आते हैं, वह सभी स्वभाव में मनुष्यों...
    २९१ B (७२७ शब्द) - ००:४५, ४ अगस्त २०२३
  • बुरा क्यों लगे? ऐसा करने के लिए वह अपने को असम्रर्थ बता सकता है, मगर उसके दैवी स्वभाव को जागृत करने के लिए निवेदन उसे बुरा क्यों लगे? [ ९४ ] इस निवेदन के...
    ४६० B (८९४ शब्द) - १६:०३, ११ अगस्त २०२१
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