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  • कहा सुमित्रा के प्रिय - सुअन ने। मुनि हैं मंगल - मूर्ति, तपोवन पूततम ॥ आर्या हैं स्वयमेव दिव्य देवियों सी। आश्रम है सात्विक - निवास सुरलोक सम ॥१३॥ वह...
    ३८२ B (२,३५४ शब्द) - १६:१५, १ अगस्त २०२३
  • पाकर फिर भी आर्य चाणक्य उसी मंत्री के काम को क्यों करते हैं? [ ५१३ ]सिद्धा०---मित्र! तुम अब तक निरे सीधे साधे बने हो। अरे, अमात्य राक्षस भी आर्य चाणक्य की...
    ४९१ B (२,३५३ शब्द) - ०५:५१, २५ जुलाई २०२२
  • कुछ काले चमड़े के असभ्य आदमी रहते थे। उनकी संज्ञा कोल और द्राविड़ थी। वे निरे जंगली थे। न वे पढ़ना लिखना जानते थे और न वे किसी और ही सभ्यता- सूचक कला-कौशल...
    ८६० B (४,८४० शब्द) - १६:१९, १७ जुलाई २०२३
  • नहीं किसी ही जीव को, जिससे पीड़ा-कार्य। सत्य वचन उसको कहें, पूज्य ऋषीश्वर आर्य॥१॥ दुःखित जन का क्लेश से, करने को उद्धार। मृषा वचन भी सन्त के, होते सत्य...
    ४६१ B (४१५ शब्द) - १०:३०, ३ सितम्बर २०२१
  • ललाम। ओछे और आकीर्तिकर, करें नहीं वे काम॥४॥ जिस पर पश्चाताप हो, करे नहीं वह आर्य। और किया तो भूल से, करे न फिर वह कार्य॥५॥ भद्रपुरुष की दृष्टि में, जो हैं...
    ४४१ B (४६४ शब्द) - १४:०२, ८ सितम्बर २०२१
  • किया है? कंचुकी---( हाथ जोड़कर ) महाराज! यह मैं नहीं कह सकता। राजा---कहीं आर्य चाणक्य ने तो नहीं बंद किया? कंचुकी---महाराज! और किसको अपने प्राणों से शत्रुता...
    ५१३ B (३,७७३ शब्द) - ०५:३९, २५ जुलाई २०२२
  • हमारे आर्य लोगों ने सबसे प्राचीनकाल में सभ्यता का अवलंबन किया और इसी हेतु क्या धर्म क्या नीति सब विषय के संसार मात्र के ये दीक्षागुरु हैं। आर्यों ने आदिकाल...
    ४१२ B (४,२६८ शब्द) - १४:३२, २० जुलाई २०२३
  • मलय०---आर्य! चंद्रगुप्त पर चढाई करने का एक यही कारण है कि कोई और भी है? राक्षस---और बहुत क्या होंगे एक यही बड़ा भारी है। [ ४८२ ]मलय०---क्यो आर्य! यही क्यो...
    ४८९ B (२,६३० शब्द) - ०५:४०, २५ जुलाई २०२२
  • आर्य लोग अमुक-अमुक विद्या और शास्त्र में निपुण थे, पर निर्णयपूर्वक यह नहीं कह सकते कि वे उनके अतिरिक्त अमुक विद्या से निरे अनभिज्ञ थे। प्राचीन आर्य सभ्यता...
    ४३६ B (१२,९७६ शब्द) - १९:५०, १ नवम्बर २०२०
  • प्राचीन इतिहास का ज्ञान होता है। वह हमें बताता है कि किस प्रकार प्राचीन आर्य, धीरे-धीरे अपनी मानसिक उन्नति करते गये; किस प्रकार वे क्रमाक्रम से एक से...
    ५६० B (४,५९२ शब्द) - ०२:१४, २९ अगस्त २०२१
  • बनाया मुद्राराक्षस स्थान---रंगभूमि रंगशाला में नांदी-मंगलपाठ भरित नेह नव नीर नित, बरसत सुरस अथोर। जयति अपूरब घन कोऊ, लखि नाचत मन मोर॥ 'कौन है सीस पैं'...
    ५०५ B (१,७२७ शब्द) - ०५:००, २५ जुलाई २०२२
  • राजाजी हैं, आप सेठजी हैं, आप लालाजी हैं, आप बाबू साहब हैं, आप मियां साहब, आप निरे साहब हैं । आप क्या हैं ? यह तो कोई प्रश्न की रीति ही नहीं है । वाचक महाशय ...
    ८८१ B (२,२५१ शब्द) - १४:२६, ४ दिसम्बर २०१९
  • गावत। वेद पढ़त कहुँ द्विज, कहुँ जोगी ध्यान लगावत॥ [ १९० ] कहुँ सुंदरी नहात नीर कर-जुगल उछारत। जुग अंबुज मिलि मुक्तगुच्छ मनु सुच्छ निकारत॥ धोवत सुंदरि बदन...
    ६०५ B (३,२६० शब्द) - १६:५४, १८ जुलाई २०२२
  • अवश्य पड़ता। अतएव ऐसे रमणीक स्थान को वे अपना उपनिवेश अवश्य बनाते। परन्तु आर्यों के जितने प्राचीन ग्रन्थ हैं उनमें काश्मीर का जिक्र तो दूर रहा, उसका नाम...
    ५५५ B (२,२०५ शब्द) - १८:१५, २७ नवम्बर २०२१
  • मोहि मारियतु ⁠मुयेहुं चाम सेवत चरन। [ ३०२ ]एक पद्य उनका और देखियेः- सरवर नीर न पीवहीं स्वाति वुन्द की आस। केहरि कबहुँ न तृन चरै जो ब्रत करै पचास। जो व्रत...
    ७८८ B (३,५७१ शब्द) - ००:२६, १८ जुलाई २०२१
  • हिंदी में लिखीं और कई संस्कृत ग्रंथों के हिंदी भाष्य भी निकाले। इन्होंने "आर्य सिद्धांत" नामक एक मासिक पत्र भी निकाला था। भाषा के संबंध में इनका विलक्षण...
    ६९२ B (३,३०४ शब्द) - १७:३९, २७ जुलाई २०२३
  • परन्तु उससे भी यही भाव प्रकट होता है। वे कहते हैं “यह पैशाची प्राकृत शायद आर्य-जाति की उस शाखा की भाषा है जो कि अपनी जातिवालों के साथ बहुत दिन तक रही, परन्तु...
    ८३२ B (७,११२ शब्द) - ११:१२, १७ जून २०२१
  • प्रतापनारायण मिश्र का चरित्र तथा उनका जीवन बड़ा ही मनोरंजक है। उनकी रुचि निरे पुस्तक प्रेम की ओर कभी नहीं रही। आरंभ से ही वे आनंदमय जीवन बिताने के पक्ष...
    ८७८ B (३,६०६ शब्द) - ०९:३६, ४ दिसम्बर २०१९
  • लगे। उनकी पदावली कुछ उद्दंडता लिए होती थी। इसका कारण यह है कि उनका संबंध आर्य-समाज से रहा जिसमें अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों के उग्र विरोध की प्रवृत्ति...
    ६३८ B (३,१३५ शब्द) - १७:३७, २७ जुलाई २०२३
  • गई कि हम बहुत दिनों से मार्ग:भ्रष्ट हो रहे थे और आत्मा-परमात्मा की बातें निरी ढकोसला हैं। पुराने जमाने में भले ही उनसे कुछ लाभ हो, पर वर्तमान काल के लिए...
    ४५० B (६,१९६ शब्द) - ०६:१९, २९ जुलाई २०२०
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