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  • भी है। किसानवादियो के प्रसिद्ध नेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती, प्रो० एन० जी० रग, एम० एल० ए०, महापण्डित राहुल सांस्कृत्यायन, श्री विश्वम्भरदयाल त्रिपाठी तथा...
    ५१६ B (८६ शब्द) - ०९:१९, १८ जुलाई २०२१
  • क्या रही। जब करे मस्ती किसी का मस्त मन॥ तो उसे प्रेमरंग मे रँग दो। वह सदा रग है अगर लाता॥ लोकहित के लिये न क्यों मचले। मन अगर है मचल मचल जाता॥ [ १७६ ]...
    ३७९ B (३,००० शब्द) - २१:२२, ३१ मार्च २०२१
  • सकेगा थम॥ क्यों समझ तू सका न कोमलपन। हाथ क्या यह कमीनपन है कम॥ आँख है रूप रग पर रीझी। कम महँक पा हुई न नाक मगन॥ हाथ तुझ मे कभी नहीं है कम। मोह ले जो न...
    ३२३ B (८४९ शब्द) - २१:३२, ३१ मार्च २०२१
  • वर्णन मे आप किस तरह की बाते लिखना अनुकूल समझते है ? उत्तर-मै उसकी वेश-भूषा, रग-रूप, आकार-प्रकार आदि गौण बातो का लिखना अनावश्यक समझता हूँ। मै केवल ऐसी स्पष्ट...
    २९१ B (१,१११ शब्द) - ००:४७, ४ अगस्त २०२३
  • के जाल में। है बड़े जंजाल में जी पड़ गया॥ [ २२९ ] सूझ बाले उसे रहे रँगते। रग उतस न सूझ का चोखा॥ पड़ बृथा धूम धाम धोखे में। पेट को कब दिया नहीं धोखा॥ रोग...
    ३६५ B (९५३ शब्द) - २१:३८, ३१ मार्च २०२१
  • व्यावसायिक-वर्ग के आधार पर संगठित किये जाने की आवश्यकता थी। सन् १९३८ में प्रो० एन० जी० रग, एम० एल० ए० (केन्द्रीय), तथा स्वामी सहजानन्द सरस्वती और अन्य समाजवादी कार्यकर्ताओ...
    ६५४ B (४३९ शब्द) - ०९:२४, १८ जुलाई २०२१
  • से बचावे ऑख हम। जो हमारी आँख ही मे घर करे॥ देखना हो कमाल रखता है। प्यार का रग कब जमा वैसे॥ आँख जिस पर ठहर नहीं पाती। ऑख में वह ठहर सके कैसे॥ [ ५० ] आज भी...
    ३७० B (२,०९८ शब्द) - २०:११, ३१ मार्च २०२१
  • जिस पर। है उसे काम क्या कि कुछ पहने॥ गोल सुथरे सुडौल गालों के। बन गये रूप रग ही गहने॥ कुछ बड़ों से हो न, पर कितनी जगह। काम करता है बड़ों का मेल ही॥ पत...
    ३६३ B (१,५८५ शब्द) - २०:१८, ३१ मार्च २०२१
  • जिस से दो कलेजे हो सके। प्यार वह, प्याई-कलेजा पा सका॥ डूब करके चाहतों के रग मे। प्रोति-धारा में परायापन बहा॥ हित उसी मे घर हमे करते मिला। प्यार-घर घरनी...
    ३७१ B (१,१६६ शब्द) - २१:२७, ३१ मार्च २०२१
  • के ॥ बात सुन कर सिखावनों डूबी । जो कि है ठीक राह बतलाती ॥ जब नही सूझ बूझ रग चढ़ा । तब भला आँख क्यों न चढ़ जाती ॥ तुम भली चाल सीख लो चलना । औ भलाई करो...
    ३८२ B (१,१४० शब्द) - १७:२७, ३१ मार्च २०२१
  • बदलकर भगवान् की आज्ञापालन में प्रवृत्त होऊँ। ( जाते हैं। जवनिका गिरती है ) महादेवजी का सा सिगार, तीन नेत्र, नीला रग, एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में प्याला।...
    ५३९ B (४९५ शब्द) - १६:४७, १८ जुलाई २०२२
  • माफ ही नहीं किया बल्कि इज्जत और आबरू के साथ मुझे अपना मेहमान बनाया। मेरी रग-रग में उनके अहसान का खून भरा है, मेरा बाल-बाल उन्हें दुआ देता है, मेरे दिल...
    ३९० B (२,१५९ शब्द) - १२:४५, २७ फ़रवरी २०२१
  • फूले॥ हैं निराली रंगतें दिखला रहीं। सेत कलियाँ, लाल नीली कोपलें॥ फूल नाना रग के, पत्ते हरे। भौंर काले और काली कोयलें॥ हैं लुभाती दिल भला किस का नही। लहलहाती...
    २५८ B (१,५८३ शब्द) - २१:५०, ३१ मार्च २०२१
  • चाँद परतीत को घुमड़ घेरें॥ देखिये बात है अगर रखना। भूल कर तो न बात को फेरे॥ रग में मस्त हम रहे अपने। मुँह निहारें बुरे भले का क्यों॥ किस लिये हम सदा बहार...
    ३५७ B (१,४७६ शब्द) - २१:१५, ३१ मार्च २०२१
  • बरसावेंगी ॥२५॥ हो अनाथ - जन की अवलम्बन । हृदय वड़ा कोमल पाया है। भरी सरलता है रग रग मे। पूत - सुरसरी सी काया है ॥२६॥ जव देखा तव हंसते देखा। क्रोध नही तुमको...
    ३३४ B (१,७८९ शब्द) - १६:१४, १ अगस्त २०२३
  • का। पाप कर हाथ कॉप जाता है॥ [ १५६ ] ध्यार के सारे निराले ढंग जब। छल कपट के रग मे ढाले गये॥ हित-नियम आले न जब पाले पले। तब गले में हाथ क्या डाले गये॥ धर्म...
    ३४९ B (१,४५५ शब्द) - २१:०७, ३१ मार्च २०२१
  • जहाँ पहले थे खड़े ववूल ॥२९।। प्रजा में व्यापी है प्रतिपत्ति । भर गया है रग रग में ओज ॥ शस्य - श्यामला बनी मरु - भूमि । ऊसरों में हैं खिले सरोज ॥३०॥ नही...
    ४१३ B (२,०५९ शब्द) - १७:५५, २१ दिसम्बर २०२१
  • चंदू को अपने घर बुलाती थी, और कभी-कभी खुद उसके घर जाय इन बाबुओं का सब हाल और रग-ढंग कह सुनाती था । चदू पर रमा का पुत्र का-सा भाव था. बल्कि इन दोनो की कुचाल...
    ३८४ B (८०६ शब्द) - १३:१२, १५ अक्टूबर २०२१
  • दो [ २५ ]भागो मे फट गई और उसमे से सिर से पैर तक एक विचित्र लसलसे से मटमैले रग के आवेष्टन मे लिपटी हुई मनुष्य मूर्ति निकल पडी। पहले उसने सिर का आवरण हटाया...
    ३२५ B (१,२२० शब्द) - २१:३०, ३० नवम्बर २०२३
  • के लिये भी उसका द्वार बन्द कर दिया जावे । मेरा विचार है कि खडी बोलचाल का रग रखते हुए जहाँ तक उपयुक्त एव मनोहर शब्द ब्रजभापा के मिले, उनके लेने में संकोच...
    ३९३ B (७५८ शब्द) - ००:२३, १२ अक्टूबर २०२०
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