सामग्री पर जाएँ

विकिस्रोत:मुखपृष्ठ

विकिस्रोत से
हिन्दी विकिस्रोत पर आपका स्वागत है।
एक मुक्त पुस्तकालय जिसका आप प्रसार कर सकते हैं।
हिंदी में कुल ५,८४९ पाठ हैं।

दिसम्बर की निर्वाचित पुस्तक
निर्वाचित पुस्तक

सप्ताह की पुस्तक
सप्ताह की पुस्तक

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

दुखी भारत लाला लाजपत राय का द्वारा किया गया अनुवाद है जिसका प्रकाशन सन् १९२८ ई॰ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।


"राष्ट्रीय दृष्टिकोण से कहा जाय तो एक जाति के ऊपर दूसरी जाति की ग़ुलामी से बढ़कर और कोई शाप नहीं हो सकता। लूट-मार करने और देश जीतने के इरादे से जो राजा अपना दल लेकर निकल पड़ता है उसका प्रभाव जिस देश को रौंदते हुए वह जाता है उसके लिए नाशकारी होता है। पर यदि उसकी तुलना किसी देश की स्वाधीनता की उस क्षति से की जाय जो उसकी जातियों को पूर्णरूप से पराधीन करके उस पर विदेशी सेना की सङ्गीनों का भय दिखाकर शासन करने से क्रमशः होती है, तो वह कुछ भी न ठहरेगा। आक्रमणकारी तूफान की तरह आता है, लूट-मार करता है, उखाड़-पछाड़ करता है और बात की बात में सारे देश को तहस-नहस कर देता है।..."(पूरा पढ़ें)


पिछले सप्ताह की पुस्तक देखें, अगले सप्ताह की पुस्तक देखें, सभी सप्ताह की पुस्तकें देखें और सुझाएं

पूर्ण पुस्तक
पूर्ण पुस्तकें

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

शैवसर्वस्व प्रताप नारायण मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक है। इसका प्रकाशन पटना--“खड्गंविलास” प्रेस बांकीपुर ।' द्वारा १८९० ई. में किया गया था।


"आजकल श्रावण का महीना है, वर्षारितु के कारण भू मण्डल एवं गगन मण्डल एक अपूर्व शोभा धारण कर रहे हैं ; जिसे देख के पशु पक्षी नर नारी सभी आनन्दित होतेहैं । काम धन्धा बहुत अल्प होने के कारण सब ढंग के लोग अपनी २ रुचि के अनुसार मन बहलाने में लगे हैं, कोई बागौ में झूला डाले मित्रों सहित चन्द्रमुखियों के मद माती आखों से हरियाली देखने में मग्न है ! कोई लंगोट कसे भंग खाने व्यायाम में संलग्न है ! कोई भोर मांझ नगर के बाहर की वायु सेवन ही को सुख जानता है ! कोई स्वयं तथा ब्राह्मण द्वारा भगवान भूतनाथ की दर्शन पूजनादि में लौकिक और पारलौकिक कल्याण मानता है ! संसार में भांति २ के लोग हैं उनकी रुची भी न्यारी है भक्त भी एक प्रकार के नहीं होते कोई बकुला भक्त हैं अर्थात् दिखाने मात्र के भक्त पर मन जैसे का तैसा ! कोई पेटहुन्त भक्त हैं अर्थात् यजमान से दक्षिणा मिलनी चाहिए और काम न किया पूजाही सही !..."(पूरा पढ़ें)


सभी पूर्ण पुस्तकों की सूची देखें। पूर्णपुस्तक संबंधी नियम देखें और सुझाएं।

सहकार्य

रचनाकार
रचनाकार

अनुपम मिश्र (1948 — 19 दिसम्बर 2016), लेखक, पत्रकार और पर्यावरणविद् थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ :

  1. राजस्थान की रजत बूँदें (1995)
  2. आज भी खरे हैं तालाब (2004)
  3. साफ़ माथे का समाज (2006)

आज का पाठ

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

आधुनिक काल प्रकरण ३ (समालोचना) रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।

"इस तृतीय उत्थान मे समालोचना का आदर्श भी बदला। गुण-दोष के कथन के आगे बढ़कर कवियों की विशेषताओं और उनकी अंतःप्रवृत्ति की छानबीन की ओर भी ध्यान दिया गया। तुलसीदास, सूरदास, जायसी, दीनदयाल गिरि और कबीरदास की विस्तृत आलोचनाएँ पुस्तकाकार और भूमिका के रूप में भी निकलीं। इस इतिहास के लेखक ने तुलसी, सूर और जायसी पर विस्तृत समीक्षाएँ लिखीं जिनमें से प्रथम 'गोस्वामी तुलसी' के नाम से पुस्तकाकार छपी है, शेष दो क्रमशः 'भ्रमरगीत-सार’ और 'जायसी-ग्रंथावली' में संमिलित है।..."(पूरा पढ़ें)

सभी आज का पाठ देखें, आज का पाठ सुझाएं और नियम देखें

विषय

आंकड़े
आंकड़े

विकिमीडिया संस्थान

विकिस्रोत गैर-लाभकारी संगठन विकिमीडिया संस्थान द्वारा संचालित है जिसकी अन्य मुक्त-सामग्री परियोजनाएँ निम्नवत हैं:
कॉमन्स विकिपुस्तक विकिडेटा विकिसमाचार विकिपीडिया विकिसूक्ति विकिप्रजाति विकिविश्वविद्यालय विकियात्रा विक्षनरी मेटा-विकि
एक ऐसे विश्व की कल्पना करें, जिसमें हर व्यक्ति ज्ञान को बिना किसी शुल्क के किसी से भी साझा कर सकता है। यह हमारा वादा है। इसमें हमें आपकी सहायता चाहिए। आप हमारे परियोजना में योगदान दे सकते हैं या दान भी कर सकते हैं। यह हमारे जालस्थल के रख रखाव आदि के कार्य आता है।