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साफ़ माथे का समाज

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साफ़ माथे का समाज  (2006) 
अनुपम मिश्र

दिल्ली: पेंगुइन, पृष्ठ — से – विषयसूची तक

 

पेंगुइन बुक्स

साफ़ माथे का समाज


अनुपम मिश्र का जन्म 5 जून, 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में हुआ। एम.ए. करने के तुरंत बाद 1969 से ही गांधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़े रहे।

बाद का, सीखने का सारा काम समाज की असाधारण पाठशाला में हुआ। इसी जानकारी को एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह दूसरों के समक्ष रखते रहे। छोटी-बड़ी 17 पुस्तकें लिखीं, जिनमें से अधिकांश अब अनुपलब्ध हैं।

'आज भी खरे हैं तालाब' और 'राजस्थान की रजत बूंदें' की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चा और प्रशंसा हुई। पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने और जल संरक्षण के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए वर्ष 1996 का इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार मिला।


किशन कालजयी का जन्म 31 दिसंबर, 1961 को झारखंड के गोड्डा ज़िले के मोतिया गांव में हुआ। शिक्षा एम. ए. (हिंदी) तक हुई।

पत्रकारिता, सामाजिक आंदोलन और संस्कृतिकर्म में लगातार सक्रिय रहे हैं। कई नाटकों का लेखन एवं निर्देशन किया, निर्देशन के लिए कई बार पुरस्कृत हुए। कई डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों का निर्माण किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, अनुवाद और संपादन में सक्रिय। अनियतकालीन पत्रिका 'संवेद' का 1991 से संपादन, इन दिनों भारतीय ज्ञानपीठ के वरिष्ठ प्रकाशन अधिकारी।

साफ़ माथे का समाज

 

अनुपम मिश्र

 

संपादक
किशन कालजयी

 

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।