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अक्टूबर की निर्वाचित पुस्तक
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सप्ताह की पुस्तक
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सेवासदन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है जिसका प्रकाशन इलाहाबाद के हंस प्रकाशन द्वारा १९१९ ई॰ में किया गया था। यह प्रेमचंद का हिंदी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास था जिसकी लोकप्रियता ने उन्हें हिंदी का उपन्यासकार बना दिया।

"पश्चाताप के कड़वे फल कभी-न-कभी सभी को चखने पड़ते है, लेकिन और लोग बुराइयों पर पछताते हैं, दारोगा कृष्णचन्द्र अपनी भलाइयों पर पछता रहे थे। उन्हें थानेदारी करते हुए पचीस वर्ष हो गए; लेकिन उन्होंने अपनी नीयत को कभी बिगड़ने न दिया था। यौवनकाल में भी, जब चित्त भोग-विलास के लिए व्याकुल रहता है उन्होंने निस्पृहभाव से अपना कर्तव्य-पालन किया था। लेकिन इतने दिनों के बाद आज वह अपनी सरलता और विवेक पर हाथ मल रहे थे। उनकी पत्नी गंगाजली सती-साध्वी स्त्री थी। उसने सदैव अपने पति को कुमार्ग से बचाया था। पर इस समय वह भी चिन्ता में डूबी हुई थी। उसे स्वयं सन्देह हो रहा था कि वह जीवन भर की सच्चरित्रता बिलकुल व्यर्थ तो नही हो गई?..."(पूरा पढ़ें)


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पूर्ण पुस्तक
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साफ़ माथे का समाज अनुपम मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक है। इसका प्रकाशन "पेंगुइन", (दिल्ली) द्वारा २००६ ई॰ में किया गया।

"इस सृष्टि की रचना जल से हुई है और मनुष्य ही नहीं; समूची सृष्टि को निर्मित करने वाले क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर नामक पंचभूतों में एक जल भी है। मानव जाति का इतिहास भी जल से जुड़ा हुआ है। आदमी की आदि प्रजाति अमीबा की उत्पत्ति जल के बिना संभव ही नहीं थी। अधिकांश सभ्यताओं का विकास भी नदियों के किनारे हुआ है। आज भी महत्वपूर्ण नगर किसी न किसी नदी के किनारे ही अवस्थित हैं। गांवों के भी आस-पास छोटी-बड़ी नदी बहती रही है और पहले तालाबों और बग़ीचों से तो गांव घिरा ही रहता था। तब खेती के लिए किसानों को किसी कीटनाशक या रासायनिक खाद का उपयोग करने की कोई ज़रूरत नहीं होती थी। पेड़-पत्तों और घर के कूड़े से बनी जैविक खाद ही ज़मीन की उर्वरता को लगातार बढ़ाती जाती थी।" ...(पूरा पढ़ें)


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सहकार्य

रचनाकार
रचनाकार

मोहनदास करमचन्द गाँधी (2 अक्टूबर 1869 — 30 जनवरी 1948) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत, दार्शनिक, लेखक एवं पत्रकार। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. हिन्द स्वराज (1907), गाँधी-दर्शन की पहली सैद्धांतिक पुस्तक
  2. सत्य के प्रयोग (1948), आत्मकथा
  3. रामनाम (1949), गाँधी के विचारों का संग्रह

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर 1884 - 2 फरवरी 1941) हिंदी भाषा के आलोचक, निबंधकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. रस-मीमांसा (1949)
  2. चिन्तामणि
  3. कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ
  4. काव्य में रहस्यवाद
  5. हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929)

भारतीय डाक टिकट पर प्रेमचंद प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 — 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू के अत्यंत लोकप्रिय कथाकार एवं विचारक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. सेवासदन (1918), हिंदी में प्रकाशित पहला उपन्यास।
  2. प्रेमाश्रम (1922), किसान आंदोलन की महागाथा
  3. रंगभूमि (1931), मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित
  4. गबन (1931), साधारण स्त्री जालपा के अद्वितीय बनने की गाथा
  5. कर्मभूमि (1932), किसानों की लगान समस्या पर केंद्रित उपन्यास
  6. गोदान (1936), औपनिवेशिक चक्की में पिसते किसान जीवन की महागाथा
  7. पाँच फूल (1929), पाँच कहानियों का संग्रह
  8. नव-निधि (1948), नौ कहानियों का संग्रह
  9. प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (1950), कहानी संग्रह
  10. मानसरोवर १ तथा मानसरोवर २- कहानी संग्रह
  11. कुछ विचार — निबंध और व्याख्यान संग्रह।

आज का पाठ

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स्वामी अग्रदास रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।

"(२) स्वामी अग्रदास–– रामानंदजी के शिष्य अनंतानंद और अनंतानंद के शिष्य कृष्णदास पयहारी थे। कृष्णदास पयहारी के शिष्य अग्रदासजी थे। इन्हीं अग्रदासजी के शिष्य भक्तमाल के रचयिता प्रसिद्ध नाभादासजी थे। गलता (राजपूताना) की प्रसिद्ध गद्दी का उल्लेख पहले हो चुका है। वहीं ये भी रहा करते थे और संवत् १६३२ के लगभग वर्त्तमान थे। इनकी बनाई चार पुस्तकों का पता है..."(पूरा पढ़ें)

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