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साहित्य सीकर महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंधों का संग्रह है जिसका प्रकाशन १९२९ ई॰ में प्रयाग के तरुण-भारत-ग्रन्थावली द्वारा किया गया था।
"वेद शब्द 'विद्' धातु से निकला है। इस धातु से जानने का अर्थ निकलता है। अतएव वेद वह धर्म-ग्रन्थ है जिसकी कृपा से ज्ञान की प्राप्ति होती है—जिससे सब तरह की ज्ञान की बातें जानी जाती हैं।
वेद पर सनातनधर्मावलम्बी हिन्दुओं का अटल विश्वास है। वेद हम लोगों का सब से श्रेष्ठ और सबसे पुराना ग्रन्थ है। वह इतना पुराना है कि किरिस्तानों का बाइबिल, मुसलमानों का क़ुरान, पारसियों का जेन्द-आवेस्ता और बौद्धों के त्रिपिटक आदि सारे धर्म-ग्रन्थ प्राचीनता में कोई उसकी बराबरी नहीं कर सकते। ..."(पूरा पढ़ें)

प्रताप पीयूष प्रतापनारायण मिश्र द्वारा रचित निबंध संग्रह है।
"यदि बेद, बाइबिल, कुरानादि की एक प्रति अग्नि तथा जल में डाल दी जाय तो जलने अथवा गलने से कोई बच न जायगी। फिर एक मतवाला किस शेखी पर अपने को अच्छा और दूसरे को बुरा समझता है ? आप को जिस बात में विश्वास हो उसको मानिये, हम आप की आत्मा के इजारदार नहीं हैं जो यह कहें कि यों नहीं यों कर । यदि आप दृढ़ विश्वासी हैं तो हम अपनी बातों से डिगा नहीं सकते ।" (पूरा पढ़ें
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पहिले करि परनाम नंद सों समाचार सब दीजो।
और वहाँ वृषभानु गोप सों जाय सकल सुधि लीजो॥
श्रीदामा आदिक सब ग्वालन मेरे हुतो भेंटियो।
सुख-संदेस सुनाय हमारो गोपिन को दुख मेटियो॥
मंत्री इक बन बसत हमारो ताहि मिले सचु पाइयो।
सावधान ह्वै मेरे हूतो ताही माथ नवाइयो॥
सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल।
कर मुरली सिर मोरपंख पीताम्बर उर बनमाल॥
जनि डरियो तुम सघन बनन में ब्रजदेवी रखवार।
बृन्दावन सो बसत निरंतर कबहुँ न होत नियार॥
उद्धव प्रति सब कही स्यामजू अपने मन की प्रीति।
सूरदास किरपा करि पठए यहै सकल ब्रज रीति॥१॥
...(पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- इस माह प्रमाणित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
- इस माह शोधित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
- पंचतन्त्र.pdf [२९४ पृष्ठ]
भारतेन्दु हरिश्चंद्र (9 सितंबर 1850 — 6 जनवरी 1885), आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक, निबंधकार, कवि, नाटककार और संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- अंधेर नगरी — नाटक
- भारत दुर्दशा — नाटक
- नीलदेवी — नाटक
- भारतेंदु-नाटकावली — नाटक संग्रह
- भारतेन्दु समग्र — भारतेंदु की रचनाओं का संग्रह
प्रतापनारायण मिश्र (24 सितंबर 1856 — 6 जुलाई 1894) हिंदी भाषा के निबंधकार, कवि, नाटककार और संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- प्रेम पुष्पावली — कविता संग्रह
- प्रताप पीयूष — निबंध संग्रह
- शैवसर्वस्व — 1890 में प्रकाशित शिव भक्तिपरक रचना
बालमुकुंद गुप्त (14 नवंबर 1865 — 18 सितंबर 1907) हिंदी के निबंधकार, कवि, नाटककार और संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- शिवशम्भु के चिट्ठे — पत्र शैली में लिखा गया व्यंग्य संग्रह
आज का पाठ
"वीरगाथा काल के समाप्त होते-होते हमें जनता की बहुत कुछ असली बोलचाल और उसके बीच कहे सुने जानेवाले पद्यों की भाषा के बहुत कुछ असली रूप का पता चलता है। पता देने वाले हैं दिल्ली के खुसरो मियाँ और तिरहुत के विद्यापति। इनके पहले की जो कुछ संदिग्ध असंदिग्ध सामग्री मिलती है उस पर प्राकृत की रूढ़ियों का थोड़ा या बहुत प्रभाव अवश्य पाया जाता है। लिखित साहित्य के रूप में ठीक बोल-चाल की भाषा या जनसाधारण के बीच कहे सुने जानेवाले गीत पद्य आदि रक्षित रखने की ओर मानो किसी का ध्यान ही नहीं था। जैसे पुराना चावल ही बड़े आदमियो के खाने योग्य समझा जाता है वैसे ही अपने समय से कुछ पुरानी पड़ी हुई, परंपरा के गौरव से युक्त,-भाषा ही पुस्तक रचनेवालो के व्यवहार योग्य समझी जाती थी। पश्चिम की बोलचाल, गीत, मुख-प्रचलित पद्य आदि का नमूना जिस प्रकार हम-खुसरो की कृति मे पाते है उसी प्रकार बहुत पूरब का, नमूना, विद्यापति की पदावली में ।..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विधि
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- विविध — ग्रंथावली, संघ लोक सेवा आयोग प्रश्न पत्र, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र
- सभी विषय देखें
- कुल पुस्तकें = ५२२
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,५७,३२८
- प्रमाणित पृष्ठ = १२,१०४, शोधित पृष्ठ = ६०,७१५
- समस्याकारक = १५, अशोधित = ९३,९२२, रिक्त = २,६७६
- सामग्री पृष्ठ = ५,५९९, परापूर्ण पृष्ठ = ४३१७
- स्कैन प्रतिशत = १००%
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