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कहीं आपका मतलब विकास तो नहीं था?
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  • पर नितांत साम्या- वस्था रहती है। प्रकृति तब निर्विकार रहती है; क्योंकि विकार वा नाश तो तब होता है, जब वह चल और परिणाम को प्राप्त होती है। सांख्य के अनुसार...
    ५८६ B (३,७९६ शब्द) - ०२:१७, ११ अगस्त २०२१
  • संयोग होने लगता है और वही विश्व के रूप में व्यक्त हो जाते हैं। उसका पहला विकार महत् है। उससे अहंकार उत्पन्न होता है। सांख्य के अनुसार अहंकार एक तत्व है।...
    ७७१ B (३,१७८ शब्द) - ०२:२०, ११ अगस्त २०२१
  • अर्थात् सम्पदा और आपदाके समय प्रेमका विकार निरतिशय उद्दीप्त और प्रचण्ड होजाता है। अत एव स्पष्ट जान पड़ता है कि, यह विकार केवलमात्र मूर्खताका परिणाम है। प्रेमके...
    ४०० B (८९२ शब्द) - २३:३७, २० जुलाई २०२३
  • मान न लें, हमें विकार का बोध ही नहीं हो सकता। दूसरा पक्ष कहता था कि ऐसा मानना निष्प्रयोजन है। हमें तो केवल उसी का बोध हो रहा है जो विकार को प्राप्त हो जाता...
    ७१५ B (६,५०१ शब्द) - ००:५७, ११ अगस्त २०२१
  • लेना चाहिये। और मन की शान्ति के लिअे रामनाम सबसे बढ़िया अिलाज है। जब कोअी विकार तुम्हें तकलीफ़ दे, तब अपने आप पर संयम रखो। अीश्वर के प्रकाश में चलने का...
    २७२ B (२१६ शब्द) - २१:५८, ३१ जुलाई २०२३
  • इसीलिए हृदय के भीतर सुविचार और चिंतन की आवश्यकता होती है। क्रोध इतना बुरा विकार है कि वह सुविचार को जड़ से नाश करने की चेष्टा करता है। वह विष है; क्योंकि...
    ३८६ B (९१९ शब्द) - १६:०८, ९ नवम्बर २०२१
  • जागृत होने से मृत्यु तृणप्राय होजाता है। अतः मनुष्य में जब इसप्रकार के अनेक विकार जागरूक हैं, तो मृत्यु से इतना कदापि न डरना चाहिये। देखियेः-बदला लेने के...
    ४१२ B (८१३ शब्द) - २३:३९, २० जुलाई २०२३
  • देरही नहीं लगती। जब कोई स्पृहणीय और मनोहर बात दृग्गोचर होती है तब ये दोनों विकार विशेष त्वरा के साथ प्रकट होते हैं। धर्म ग्रन्थों में मत्सर को वक्रदृष्टि...
    ३९८ B (२,२७७ शब्द) - २३:३९, २० जुलाई २०२३
  • है, निर्विकार है। विकार उसीका एक रूपांतर मात्र है। क्योंकि पहले तो आपको यह जान पड़ेगा कि जितने विकारी हैं, वे प्रमेय हैं। सब विकार जो हम देखते वा स्पर्श...
    ५५९ B (४,८३८ शब्द) - ००:५२, ११ अगस्त २०२१
  • नहीं पहुँचती। वे शरीर के विकार प्राप्त होने पर भी बने ही रहते हैं। स्थूल शरीर स्थूल पदार्थों का होता है और यह सदा बनता और विकार को प्राप्त होता रहता है।...
    ५९४ B (२,९३० शब्द) - ०१:४२, ११ अगस्त २०२१
  • दिखाई पड़ता है, वह सब प्राण ही का विकार है। जो हमें भूत, द्रव्य, रूप वा अवरोध के रूप में दिखाई पड़ता है, वह आकाश का ही विकार है। प्राण अकेला रह नहीं सकता और...
    ६४८ B (३,४१२ शब्द) - ०२:०५, ११ अगस्त २०२१
  • स्वस्थचित्त, प्रसन्न और प्रफुल्ल रहना चाहिए। ऐसा करने से आयु बढ़ती है। मानसिक विकारों में से असूया, उत्कटभय, मनका मनही में क्रोध, अत्यन्त गहन और क्लिष्ट शास्त्रीय...
    ४६८ B (७३२ शब्द) - २३:३७, २० जुलाई २०२३
  • करते हैं जिनके सदा, सत्य वचन निर्दोष॥८॥ त्याग शिखर जो है चढ़ा, तजकर सकल विकार। क्षण भर उमके क्रोध को, सहना कठिन अपार॥९॥ मुनि ही ब्राह्मण सत्य हैं, जिनका...
    ४०५ B (४२७ शब्द) - १०:४७, २ सितम्बर २०२१
  • ममता से रहित है सचमुच ही वे कङ्गाल है और उनके सुदिन कभी नहीं फिरते। है ९—विकार ग्रस्त मनुष्य के लिए सत्य को पा लेना जितना सहज है, कठोर हृदय वाले पुरुष...
    ४१७ B (४३२ शब्द) - १०:३५, २ सितम्बर २०२१
  • सर्वोत्तम ग्रथ मानता हू। 'आत्मकथा' से २ नीतिरक्षाका अुपाय मेरे विचारके विकार क्षीण होते जा रहे है। हा, अुनका नाश नही हो पाया है। यदि मै विचारो पर भी...
    २६८ B (९३१ शब्द) - २१:५८, ३१ जुलाई २०२३
  • सुख की यदि कामना, करो सदा तो त्याग॥२॥ जीतो पाँचों इन्द्रियाँ, जिनमें भरा विकार। प्रिय से छोड़ो मोह फिर, त्याग यही क्रमवार॥३॥ सर्वपरिग्रह-त्याग ही, आर्पव्रत्तों...
    ४७७ B (४४९ शब्द) - १०:२८, ३ सितम्बर २०२१
  • ही नृपनीति में, रखता अधिक प्रभाव॥६॥ व्याप्त न होता बाद में, जिसको भीति-विकार। सद्वक्ता उस धीर की, कैसे सम्भव हार॥७॥ वाणी जिसकी ओजमय, परिमार्जित विश्पास्य।...
    ३९१ B (४२० शब्द) - १४:०१, ८ सितम्बर २०२१
  • 154521हिंदी व्याकरण1927कामताप्रसाद गुरु [ १४१ ] चौथा अध्याय। क्रिया। १८७—जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं उसे क्रिया...
    ३४९ B (३,०७६ शब्द) - २०:४५, २६ जुलाई २०२३
  • ––सेवाग्राम, २६-१२-'४४ विकारी विचार भी बीमारीकी निशानी है। अिसलिअे हम सब विकारी विचारसे बचते रहे। ––सेवाग्राम, २७-१२-'४४ विकारी विचारसे बचनेका एक अमोघ...
    २७१ B (६८२ शब्द) - २१:५७, ३१ जुलाई २०२३
  • हो सकती हैं। सामान्य, विशेष और समवाय, इन तीनों का साधर्म्य यह है कि इनका विकार नहीं होता। अपने अपने रूप से ये सदा बने रहते हैं। बुद्धि ही से केवल इनका...
    २७० B (२,७१३ शब्द) - ०९:२७, ४ जुलाई २०२३
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