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- करूँ? अलका—जो अच्छा समझो। मुझे देखने दो ऐसी सुन्दर वेणी-फूलों से गूँथी हुई श्यामा-रजनी की सुन्दर वेणी—अहा! पर्व॰—क्या कह रही हो? अलका—गाने की इच्छा होती...४९४ B (३६८ शब्द) - ०५:५८, ११ सितम्बर २०२१
- उत्सव जो दसहरे के दिन होता है और जिसमें वे एक घास का पुतला लेकर गाते हुए निकलते हैं। कबरी=वेणी, चोटी। कसमीरी=स्फटिक की। झलाऊ=झोलझाल! खूली=खोली, थैली।...५४५ B (१८३ शब्द) - २१:४६, १३ सितम्बर २०२०
- वे लोग रोम को रोमा कहते हैं। अगला पृष्ठ! शर्मा जी की उँगलियाँ काँपने लगी। वेणु काका उन्हें उत्साहित करने लगे। 'पैरिस में जब मैं उससे सौंदर्य लहरी' की चर्चा...२५७ B (२,७९३ शब्द) - १५:०७, २४ अप्रैल २०२१
- 'धरमशाले से आपके मकान में प्रायवेसी कहीं नहीं हैं। कहाँ ठहरायेंगे उन्हें?' वेणु काका का प्रश्न बार-बार जेहन में उभर रहा था। उनके घर ठहराना उचित नहीं होगा।...२५७ B (२,८६० शब्द) - १५:०९, २४ अप्रैल २०२१
- बातें जेहन में घूम गयीं। अब तो उन्हें लगता है, रवि को पैरिस भिजवाकर भूल की। वेणु काका की सलाह पर अखबारों में जो वैवाहिक विज्ञापन देना चाहते थे, उसकी तो अब...२५१ B (२,७८९ शब्द) - १५:०६, २४ अप्रैल २०२१
- मिला। याद आया कि उसने पत्रको अपने जूड़ेमें खोंस लिया था। अतः जूड़ेमें देखा, वेणी खोलकर देखा, लेकिन पत्र न मिला। घरके अन्य स्थानोंको खोजा। अतएव पूर्व स्थानपर...२३१ B (४४२ शब्द) - १२:४९, १५ अक्टूबर २०१९
- । (३१) {{{1}}}„{{{1}}}„दूसरा भाग{{{1}}}„ (३२) महाराज रणजीत सिंह—लेखक वेणी प्रसाद। (३३) विश्वप्रपंच पहला भाग—लेखक रामचंद्र शुक्ल। (३४) {{{1}}}„दूसरा...३१३ B (२८६ शब्द) - ०१:५९, १६ दिसम्बर २०२१
- ललना तथा हरितालिका नाटक लिखा था। पं॰ गदाधर भट्ट मालवीय ने मृच्छकटिक तथा वेणी संहार का अनुवाद किया। इन्होने मुद्राराक्षस का भी अनुवाद किया था पर भारतेन्दु...७५३ B (१,२५२ शब्द) - १४:४८, १७ जुलाई २०२२
- सरस्वती का लोप हो गया।" "हाँ यह ठीक परंतु त्रिवेणी की एक वेणी किधर चली गई?" "भैया, यहाँ तीन वेणियाँ थीं! एक गंगा और दूसरी यमुना प्रगट होकर बहती हैं! उनका...४४४ B (१,७८६ शब्द) - १७:०४, १३ दिसम्बर २०२१
- गूंजा 'यह सौरभ, सौरभ'। 'सान्ध्य गीत' गाते समर्थ कवियों ने सुस्वर, वीणा पर, वेणु पर, तन्त्र पर और यन्त्र पर। 'यामा'-'दीपशिखा' के विशिखों के ज्यों मारे अपल-चित्र...६५७ B (१३२ शब्द) - ०२:०३, २६ अप्रैल २०२३
- टुक मुझको दर्शन दे, में आसमानी के रूप राशि का वृत्तान्त लिखूंगा। आसमानी की वेणी नागिन की भांति पीठ पर लटकती थी उसको देख उर्गिणी मारे भय के बिल में समाय गई...५२५ B (७४६ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
- प्रेमसागर लल्लूलाल जी, संपादक ब्रजरत्नदास 157774प्रेमसागरलल्लूलाल जी बाईसवाँ अध्याय श्रीशुकदेवजी बोले कि हे महाराज, इतनी बात कह श्रीकृष्ण फिर ग्वाल...३८३ B (३०९ शब्द) - १५:४३, २ दिसम्बर २०२१
- थी सव ओर विराजती ।।३१।। बज रहे बहु - श्रृंग विपाण थे करिणत. हो उठता वर-वेणु था । सरस - राग - समूह अलाप से । रसवती - वन थी मुदिता- दिशा ॥३२॥ विविध -...४१९ B (१,००७ शब्द) - ००:३५, १२ अक्टूबर २०२०
- जैसे रूखे लम्बे बाल, जो पीठपर अनियन्त्रित फहराया करते थे अब आपसमें गुँथकर वेणी-रूपमें शोभा पा रहे हैं। वेणीरचनामें भी बहुत कुछ शिल्प-परिपाटी है, केशविन्यासमें...२६६ B (८८४ शब्द) - १२:४८, १५ अक्टूबर २०१९
- हैं।' शर्मा जी ने वही बात फिर दोहराई। XXX वेणु काका के घर पार्टी खत्म होते-होते दस बज गए थे। वेणु- काका और बसँती ने ही नायडू को सुझाया था कि वे रवि...२५७ B (२,७८१ शब्द) - १५:१२, २४ अप्रैल २०२१
- बाऊ, आप काकू को और परेशान क्यों करते हैं? इतना लिख दिया, वहीं बहुत है।' वेणु काका और उनकी बेटी बसंती से जब शर्मा जी विदा लेने लगे, तो काका ने पूछ लिया...२५७ B (२,६६३ शब्द) - १५:०८, २४ अप्रैल २०२१
- नवकुमारने देखा, कपालकुण्डला आलुलायित-कुन्तला है। जब वह उनकी हुई न थी, तबतक भी वेणी बाँधती न थी। उसके बाल इतने लम्बे थे और धीमे स्वरमें बातें करनेके लिये वह...२६३ B (१,१०५ शब्द) - १२:५०, १५ अक्टूबर २०१९
- 'कुछ भी हो, आखिर सभ्यता भी तो कोई चीज है। मुझसे जो बन पड़ा मैंने कर दिया। वेणु काका और बसंती ने भी कहीं-कहीं सुझाव दिए।' वे लोग ऊपर बने कमरे में रखी कुर्सियों...२५७ B (२,८०६ शब्द) - १५:१०, २४ अप्रैल २०२१
- विदेशी लग रही थी बस। विवाह के दिन और उसके बाद के कुछ दिन कुमार और पार्वती वेणु- काका के घर ही रह गए थे, इसलिए कामाक्षी, मीनाक्षी दादी और मौसी के पास अकेली...२६९ B (२,७८३ शब्द) - १५:२०, २४ अप्रैल २०२१
- बिना वहाँ चली गयी तो गले और कनपटी पर खून जम जाएगा।’ बसंती ने समझाया। पहले वेणु काका, रवि और नायडू नहाकर निकले। कमली और बसंती का तो निकलने का मन ही नहीं...२५७ B (२,६५८ शब्द) - १५:१२, २४ अप्रैल २०२१