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कहीं आपका मतलब विनय सिंह तो नहीं था?
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  • पुष्प- माला। कभी सिंह बन जाते हैं, तो कभी सियार। कभी अग्नि के रूप में दिखाई देते हैं, तो कभी जल के रूप में। तीसरे दिन, पिछली रात को, विमल की मानसिक पीड़ा...
    ४०० B (७,०७१ शब्द) - १४:११, २१ सितम्बर २०२१
  • माथे पर औंधाया कि सब दाल वह कर नाक मुंह और संपूर्ण शरीर पर फैल गई। इतने से विमला ने भीतर आकर दिग्गज की यह दशा देखी। दिग्गज उसको देखतेही उठ खड़े हुए बिमला...
    ५५३ B (६१४ शब्द) - १९:४५, २६ जुलाई २०२३
  • विशेष कारण है और तू यदि परिचारिका होती तो यह बात कदापि तुझको न मालूम होती। विमला ने ठंढी सांस ली और कातरस्वर से बोली "आपका संदेह यथार्थ है मैं परिचारिका...
    ५४१ B (१,२३८ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 41764दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​चौथा परिच्छेद। ---------------...
    ५१२ B (८२७ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 41818दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​ अठारहवां परिच्छेद।...
    ५४४ B (८०० शब्द) - १९:४३, २६ जुलाई २०२३
  • यमदूत क्यों न हो। मनमोहनी की बात सुन मन चलायमान होही जाता है। पहिले तो विमला ने नाना प्रकार की बातचीत की फिर उसका नाम धाम आदि गृहस्ती की बातें पूछने...
    ५४७ B (७०६ शब्द) - १९:४५, २६ जुलाई २०२३
  • परिच्छेद। बिमला का मंत्र । अभिराम स्वामी अपनी कुटी में कुशासन पर बैठे थे और विमला ने खड़े २ अपना तिलोत्तमा और जगतसिंह ​ का मन्दिर सम्बन्धी संपूर्ण समचार कह...
    ५०१ B (४७४ शब्द) - १९:४५, २६ जुलाई २०२३
  • प्रियप्रवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 144223प्रियप्रवासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'   ​ ब्रजभाषा-शब्द-प्रयोग आज कल के कतिपय साहित्य-सेवियो का विचार...
    ३९३ B (७५१ शब्द) - ००:२३, १२ अक्टूबर २०२०
  • दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 50648दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​सोलहवां परिच्छेद।...
    ६५८ B (१,२८४ शब्द) - १६:५०, २६ अक्टूबर २०१९
  • अनुवादक गदाधर सिंह 41828दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​ उन्नीसवां परिच्छेद। ----+:+---- खड़ग प्रहार। विमला को देखकर जगतसिंह...
    ४७२ B (१,०२६ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 119229दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​ सोलहवां परिच्छेद।...
    ५६५ B (१,०५६ शब्द) - १९:४५, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 41770दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​आठवां परिच्छेद।...
    ५०६ B (१,२७४ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 50635दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​ उनके शरीर में...
    ६३५ B (१,२९९ शब्द) - १६:३८, २६ अक्टूबर २०१९
  • दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 50631दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​चौथा परिच्छेद।...
    ६२९ B (१,२३० शब्द) - १६:३४, २६ अक्टूबर २०१९
  • अनुवादक गदाधर सिंह 41765दुर्गेशनन्दिनी प्रथम भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​ पांचवां परिच्छेद । अभिराम स्वामी का मंत्र । तिलोत्तमा और विमला दोनों मन्दिर...
    ५०९ B (८३४ शब्द) - १९:४५, २६ जुलाई २०२३
  • दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, अनुवादक गदाधर सिंह 50636दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भागगदाधर सिंहबंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय   ​सातवां परिच्छेद।...
    ६१६ B (१,८२८ शब्द) - १६:४०, २६ अक्टूबर २०१९
  • थी केवल नक्षत्रों के प्रकाश से कुछ कुछ मार्ग सूझता था मैदान में पहुंचकर विमला के मन में शंका हुई किन्तु दोनों सन्नाटे में चले जाते थे। बिमला ने गजपति...
    ५२६ B (१,१६५ शब्द) - १९:४४, २६ जुलाई २०२३
  • कि स्वामी जी बोले ' मैं तो घबरा गया था, दुर्ग में कोलाहल कैसे होता है ?' विमला ने कहा - मैं तो अपना काम कर आई, अब यहां बहुत बात करने का अवकाश नहीं है,...
    ६५८ B (८९६ शब्द) - १६:५१, २६ अक्टूबर २०१९
  • भाषा और उसके साहित्य का विकास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 155668हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'   ​ (ग) इस सत्रहवीं...
    ७१७ B (१,६२८ शब्द) - २०:५८, २४ जुलाई २०२१
  • प्रियप्रवास अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 144231प्रियप्रवासअयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'   ​ ⁠⁠⁠द्रुतविलम्बित छन्द ⁠जब हुप्रा ब्रजजीवन-जन्म था । ⁠ब्रज...
    ३४५ B (१,१७८ शब्द) - ००:४९, १३ अक्टूबर २०२०
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