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अक्टूबर की निर्वाचित पुस्तक
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सप्ताह की पुस्तक
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भारतवर्ष का इतिहास ई॰ मार्सडेन द्वारा रचित तथा लाला सीताराम द्वारा अनूदित इतिहास संबंधी पुस्तक है जिसका प्रकाशन कलकत्ता के मैकमिलन एण्ड कम्पनी लिमिटेड द्वारा १९१९ ई॰ में किया गया था।

"हज़ारों बरस पहिले भारतवर्ष जङ्गली देश था। सारे देश में बड़े बड़े बन खड़े थे जिनमें जङ्गली जीवजन्तु फिरा करते थे। पेड़ों की घनी छांह में अजगर लोटते थे न कहीं शहर थे, न गांव, न घर, न सड़कें।
कहीं कहीं थोड़े से बनमानुस रीछों की तरह खोहों में या बन्दरों की तरह पेड़ों पर रहा करते थे। इनका डील छोटा, रंग काला, चेहरा मोहरा भोंडा था; नंगे और मैले रहते और बन के फल फूल बेर और कन्दमूल खाते थे; कभी कभी बनैले सुअर और हिरन भी मारकर खा जाते थे। इनके पास चाकू छुरे न थे। काटने का काम चकमक पत्थर के पैने टुकड़ों से लिया करते थे। इससे हम इन लोगों को पत्थर के समय के आदमी कहते हैं। यह लोग लकड़ियों को रगड़ कर आग बनाना भी जानते थे।..."(पूरा पढ़ें)


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पूर्ण पुस्तक
पूर्ण पुस्तकें

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प्रताप पीयूष प्रतापनारायण मिश्र द्वारा रचित निबंध संग्रह है। "यदि बेद, बाइबिल, कुरानादि की एक प्रति अग्नि तथा जल में डाल दी जाय तो जलने अथवा गलने से कोई बच न जायगी। फिर एक मतवाला किस शेखी पर अपने को अच्छा और दूसरे को बुरा समझता है ? आप को जिस बात में विश्वास हो उसको मानिये, हम आप की आत्मा के इजारदार नहीं हैं जो यह कहें कि यों नहीं यों कर । यदि आप दृढ़ विश्वासी हैं तो हम अपनी बातों से डिगा नहीं सकते ।" (प्रताप पीयूष पूरा पढ़ें)



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सहकार्य

रचनाकार
रचनाकार

मोहनदास करमचन्द गाँधी (2 अक्टूबर 1869 — 30 जनवरी 1948) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत, दार्शनिक, लेखक एवं पत्रकार। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. हिन्द स्वराज (1907), गाँधी-दर्शन की पहली सैद्धांतिक पुस्तक
  2. सत्य के प्रयोग (1948), आत्मकथा
  3. रामनाम (1949), गाँधी के विचारों का संग्रह

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर 1884 - 2 फरवरी 1941) हिंदी भाषा के आलोचक, निबंधकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. रस-मीमांसा (1949)
  2. चिन्तामणि
  3. कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ
  4. काव्य में रहस्यवाद
  5. हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929)

भारतीय डाक टिकट पर प्रेमचंद प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 — 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू के अत्यंत लोकप्रिय कथाकार एवं विचारक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. सेवासदन (1918), हिंदी में प्रकाशित पहला उपन्यास।
  2. प्रेमाश्रम (1922), किसान आंदोलन की महागाथा
  3. रंगभूमि (1931), मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित
  4. गबन (1931), साधारण स्त्री जालपा के अद्वितीय बनने की गाथा
  5. कर्मभूमि (1932), किसानों की लगान समस्या पर केंद्रित उपन्यास
  6. गोदान (1936), औपनिवेशिक चक्की में पिसते किसान जीवन की महागाथा
  7. पाँच फूल (1929), पाँच कहानियों का संग्रह
  8. नव-निधि (1948), नौ कहानियों का संग्रह
  9. प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (1950), कहानी संग्रह
  10. मानसरोवर १ तथा मानसरोवर २- कहानी संग्रह
  11. कुछ विचार — निबंध और व्याख्यान संग्रह।

आज का पाठ

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रीतिकाल रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।

"हिंदी-काव्य अब पूर्ण प्रौढ़ता को पहुँच गया था। संवत् १५९८ में कृपाराम थोड़ा बहुत रस-निरूपण भी कर चुके थे। उसी समय के लगभग चरखारी के मोहनलाल मिश्र ने 'श्रृंगार सागर' नामक एक ग्रंथ श्रृंगार-संबंधी लिखा ! नरहरि कवि के साथी करनेस कवि ने ‘कर्णाभरण', श्रुति-भूषण' और 'भूप-भूषण” नामक तीन ग्रंथ अलंकार-संबंधी लिखे । रस-निरूपण का इस प्रकार सूत्रपात हो जाने पर केशवदासजी ने काव्य के सब अंगों का निरूपण शास्त्रीय पद्धति पर किया । इसमें संदेह नहीं कि काव्य-रीति का सम्यक् समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया । पर हिंदी में रीतिग्रंथों की अविरल और अखंडित परंपरा का प्रवाह केशव की कवि-प्रिया के प्रायः पचास वर्ष पीछे चला और वह भी एक भिन्न आदर्श को लेकर, केशव के आदर्श को लेकर नहीं।..."(पूरा पढ़ें)

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