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१९ मई २०२४
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३५ १७:२३ +१,८७६ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '८० दिना राति पोखत रहयो वा दुख तें ताहि काढ़ कै जिन जड़ ते जेतन कियो चरन चिकुर कर नख दिये असन बसन बहु विध दये मात पिता भैया मिले सजन कुटुम परिजन बढ़े महामूढ़ विषयी भयो खा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३४ १७:२२ +२,६८९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '७६ सूरदास सुनि परमित पिय प्रेम की खातक चितवत पारि । वन आशा सब दुख सहै अंत न याचै बारि ॥ २ ॥ देखो करनी कमल की कीनों जल सें हेत । सूख्यो सरहि समेत ॥ ३ ॥ परस पतंग | चित न भयो रस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३३ १७:२१ +२,६४१ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '• R दो में एको तो न भई । कविता - कौमुदी आनि भई । दरें ॥ खई । भई ॥ गई ॥ नः हरि भजे न गृह सुख पाये वृथा बिहाय गई ॥ टानी हुती और कछु मन में और अवगत गति कछु समति परत नहि जो कछु करत सु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३२ १७:२० +२,४४८ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'सूरदास जन्म सिरानो ऐसे ऐसे । कै घर घर भरमत यदुपति बिन के सोवत के वैसे || कै कहु खान पान रसनादिक कै बा असे 1 के कहूँ रंक कहूँ ईश्वरता नद बाजीगर जैसे ॥ जैसे । ॥ ४५ ॥ चेत्या नही...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३१ १७:२० +२,५५९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'मधुबन बसत भास दरसन की ओर नैन मग हारे ! सूरज श्याम करी पिय ऐसी मृतकहु ते पुनि मारे ॥ ४० ॥ रुकमिति मोहि ब्रज बिसरत नाहीं । वा क्रीड़ा खेलत यमुना तट विमल कदम की छोहीं ॥ सकल स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३० १७:१८ +२,७७२ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'सूरदास ७५ यदपि वसुदेव देवकी मथुरा सकल राज सुख भोग । सद्यपि मनहि बलत बंशीवट व्रज यमुना संयोग ॥ वे उत रहत प्रेम अवलम्बन इतते पठयो योग । सूर उसास छाँड़ि भरि लोचन बढ्यो वि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२९ १७:१८ +२,६०५ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '* सुनि गोपी गावत के बयन नेम गुण गोल फिरत पाँ परें धन्य खिन गोरी के धाइ घाइ झुम भेटही ऊधो श्रनि गोपी धनि ग्वाल धन्य धनि यह पावन भूमि जहाँ उपदेसन आये हुते मोहि यदुपति पै चल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२८ १७:१७ +२,२६५ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'अब के तो सोई उपदेशो जेहि जिय जाय बारक मिलें जिआयो ! सूर के प्रभु तौ करों आपनों भायो ॥ ३१ ॥ मधुकर इतनी कहियहु जाइ । अति कृष गात भई ये तुम बिन परम दुखारी जल समूह बरसत दोउ आँख...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२७ १७:१७ +२,८०० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'R ऊधो योग योग हम नाहीं । कविता-कौमुदी अबला सार ज्ञान कहा जाने कैसे ध्यान ते ये मूंदन मैन कहत हैं हरि मूरति जा धराहीं ॥ माहीं । पेली कथा कपट की मधुकर हमतें सुनी न आदीं ॥ श्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२६ १७:१६ +२,९४४ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'सरदास ७२ ओ कोउ कोटि करें कैसे हु विधि विद्या व्यवसाउ | तो सुन सूर मीन को जल बिन नाहिन और उपाउ ॥ २४ ॥ ऊधो जी हमहि न योग सिखये । जेहि उपदेश मिले हरि हमको सो व्रत नेम वतैये ॥ म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२५ १७:१४ +२,७७१ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '100 समुझि न परत तुम्हारी ऊधो । कविता-कौमुदी सूधो ॥ देहू । लेहू ॥ वेद । यह कलङ्क है कैद || नहीं । ज्यों त्रिदोष उपजे जक लागत बोलति बचन न आपुन को उपचार करो कछु तब औरन लिख बड़ो र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२४ १७:१४ +२,८१९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'जिन कोउ काह के वश होहि । ६६ ज्यों चकोर दिनकर बश डोलत मोह फिरावत मोहिं ॥ हम तो रीफ लटू भर लालन महा प्रेम जिय जानि । बन्ध अबन्ध अमति निशि वासर को सरभावति आनि ॥ उ सङ्ग अङ्ग अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२३ १७:१२ +२,७१९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '१८ कविता-कौमुदी काहि उठाइ गोद करि लीजै करि करि मन भगना । सूरदास मोहन दरसन बिन सुख संपति सपना ॥ १४ ॥ नम सलोने श्याम हरि कब आवहिंगे । फूल । वे जा देखत राते राते फूलन फूले ड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२२ १७:१२ +२,७१७ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'सुरदास ६७ नैना ढीठ अतिही भए । लाज लकुट दिखाइ त्रासी क न नए # मेटि गए। ॥ मए ॥ ठप । ११ ॥ गई। तोरि पलक कपाट घूँघट ओट मिले हरि को जाइ आतुर जे हैं गुणनि मुकुट कुण्डल पीत पत्र कटि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२० १७:११ +१,९८८ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'घुटुरुचन चलत श्याम मणि मनन ६५ मात पिता दोउ देखत री कबक किलकिलात मुख हेरत, कबहुँ जननि मुख पेलत री ॥ लटकन लटकत ललित भाल पर काजर बिंदु स्रुव ऊपर री । यह सोभा नैननि भरि देखे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११९ १७:११ +२,८२० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '६४ कविता-कौमुदी भाव से इनके थोड़े से पद सूर सागर से सुनकर यहाँ लिखे जाते हैं- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै । जैसे उड़ि जहाज को पच्छी फिरि जहाज पर आवै ॥ कमल नयन को छाँड़ि महा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११८ १७:१० +२,७४५ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'तुरवास ६३ हिन्दी साहित्य में सुरदास का गौरव कितना है, यह इस दोहे से भली भाँति समझा जा सकता है- "सुर सूर तुलसी ससी, उडुगन केशवदास अब के कवि खद्योत सम, जह तह करें प्रकास" गोप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११७ १७:१० +३,२७६ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कविता-कौमुदी लड़ाई में मारे गये । सूरदास अपने को चन्द्र बरदायी का वंशज बतलाते हैं । सूरदास जन्म के अन्धे न थे। ऐसी कहावत है कि एक बार ये एक युवती को देखकर उसपर मुग्ध हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११६ १७:०९ +२,६८८ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'दास ६१ इस से पता चलता है कि सुरसारावली लिखते समय सूरदास की अवस्था ६७ वर्ष को थी । उन्होंने साहित्य लहरी नाम का एक और ग्रन्थ बनाया है । उसमें सूरसागर दृष्ट-कूट पदों का स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११५ १७:०८ +२,४७५ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '६० ears-stat सुख सनेह जो नर दुख में दुख नहिं माने ॥ भरु भय नहि जाके कंचन मादी जाने ॥ नहि निन्दा नहि अस्तुति जाके लोभ मोह अभिमाना ॥ हर्ष शोक में रहे नियारो नाहि मान अपमाना ॥ आसा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११४ १७:०७ +२,३०० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'गुरु नानक हिरदे जिनके हरि बसे से जन कही न आई नानका मन की दुविधा ना मिदै कउड़ी बदले नानका जित बेले अमृत बसे, तिन बेले तू उठि इस दम दा मैनू कीबे या संसार रेन दा बहु ५६ कहियह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११३ १७:०७ +२,९२८ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '५८ कविता-कौमुदी बिहार, बंगाल, आसाम, ब्रह्मा, उड़ीसा, मारवाड़, हैदराबाद, मद्रास, लंका, बद्रीनारायण, नेपाल, सिकम, भूटान, सिंध, मक्का, जद्दा, मदीना, रूम, बग़दाद, ईरान, बिलोचिस्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११२ १७:०६ +२,७४४ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'गुरू नानक ५५ धरमदास यह अरज करतु हैं सुमिरन दै गैलो | सार सबद गुरु नानक रू नानक का जन्म सं० १५२६ वि० कार्तिक की पूर्णिमा के दिन चार घड़ी रात रहे कल्यान- चन्द खत्री की धर्म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१११ १७:०५ +२,५२६ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '५६ कविता-कौमुदी गुरु पैयाँ लागों नाम लखा दीजो रे । दीजो रे ॥ दीजो रे ॥ दीजो रे !! जनम जनम का सोया मनुओं शब्दन मारि जगा घट अँधियार नैन नहिं सूझे ज्ञान का दीपक जगा विष की लहर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११० १७:०४ +२,५७१ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'धर्मदास ५५ धर्मदास जी बालकपन से ही बड़े धर्मात्मा और भगवत चर्चा के प्रेमी थे, साधु, संतों और पंडितों का बड़ा आदर सत्कार करते थे। इन्होंने दूर दूर तक तीथों की यात्रा की...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०९ १७:०३ +२,२५५ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '५४ कविता-कौमुदी जो तुम गोपालहि नहि गैा । में तो तुमका सुख दुख उपजै सुखहि कहाँ ते पैहा ॥ माला नाय सकल जग उहको झूठो भेख बन है।। झूठे ते साँचे तब होइ हो हरि की सरन जब ऐह। ॥ कन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०८ १७:०३ +२,४२८ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'रैदास कह रैदास तेरी भगति दूर है भाग बड़े से पाये । तजि अभिमान मेटि आपा पर पिपलिक है सुनि खावै ॥ ४ पहले पहरे रैन दे बनजरिया तैं जनम लिया संसार वे । सेवा चूकी राम की तेरी ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०७ १७:०२ +२,६३९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '५२ कविता-कौमुदी साधुओं की सेवा में अधिक रहने लगे। जो कुछ कमाते सब साधु सन्तों को खिला पिला दिया करते थे । यह बात इनके पिता रघु को अच्छी नहीं लगी। उसने स्त्री सहित रैदास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०६ १७:०२ +१,९७९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'रैदास जङ्गल जाय जोगी धुनिया रमौल ५१ काम जराय जोगी बनि गेलें हिजरा ॥ मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ा रंगोल गीता बाँचि के होइ गैले लवरा ॥ कहत कबीर सुनो भाई साधो जम दरवजयाँ बाँधल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास छो पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९८ १७:०२ +२,४३८ सौरभ तिवारी 05 वार्ता योगदान
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०५ १७:०१ +२,५९७ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '५० राहु केतु भौ भानु चन्द्रमा विधि संजोग परी । कहत कबीर सुनो भाई साधा होनी होके रही ॥ १८७ ॥ सतो राह दोऊ हम डीठा । बाँग पुकारै । हिन्दू तुरुक हटा नहिं मान स्वाद सबन को मीठ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०४ १६:५७ +२,५२० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब योगी के योगिन ह बैठी राजा के घर रानी । काहू के हीरा है भक्तन के भक्तिनि बैठी काहू के कौड़ी कानी ॥ हूँ बैठी ब्रह्मा के ब्रह्मानी । कहै कबीर सुनों हो सन्तो यह सब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०३ १६:५७ +१,७८४ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '४८ कविता कौमुदी सूर संग्राम को देख भागे नहीं, देखि भागै सोई सूर नाहीं । काम औ क्रोध मद लोभ से जूझना, मँडा घमसान तह खेत माहीं ॥ सील म साच संतोष साही भये, नाम समसेर तह खूब बा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०२ १६:५६ +१,९०४ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब जाग पियारी अब का सोधै । ४७ रैन गई दिन काहे को खोयें ॥ जिन जागा तिन मानिक पाया । तैं बोरी सब सोय गँवाया ॥ पिय तेरे चतुर तू मूरख नारी । कबहुँ न पिय की सेज सवारी ॥ ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०१ १६:५६ +२,६३९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '४६ लख चौरासी जोनि में मानुष जन्म अनूप । शाहि पाय नर चेतत नाहीं कहा र्रक कहा भूप ।। सुघर ॥ गर्भ पास में रह्यो की मैं भजिहौं तोहीं। निस दिन सुमिरौं नाम कष्ट से काढ़ौ मोही...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०० १६:५६ +२,५७१ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब विधिगति बाम कछु समझ परत ना बैरी भई महतारी । रोय पेय अँखियाँ मोर पोंछत घरवों से देत निकारी । भई सब को हम भारी गवन कराय पिया ले चाले इत उत बाट छूटत गाँव नगर से ना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९९ १६:५५ +२,६९९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'heart पेट पकरि के भाता रोवै बाँह पकरि के भाई । कपटि झपटि के तिरिया रोवे हंस अकेला जाई ॥ जब लगि माता जीवै रोवै तेरह दिन तक तिरिया रोवै बहिन रोवे दस माला । फेर करें घर बासा || चा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९८ १६:५४ ० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: रिक्त पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९७ १६:५३ +२,६०० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '४२ कबीर जोगी जगत गुरु सर्जे जगत को जो जग की आसा करे तो जगत गुरू वह दास तन नुरंग असवार मन कर्म पियादा frent चली सिकार को कबिता-कौमुदी आस । ॥१५२॥ साथ । विषे बाज लिये हाथ ॥ १५३ ॥...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९६ १३:०५ +२,६३२ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'ठौर । १४० ॥ इरी भया तो क्या भया जो करता हरता होय । साधू ऐसा चाहिये जो हरि भज निरमल होय ।। १३६ ।। बिरमल भया तो क्या भया निरमल भाँगे मल निरमल ते रहित हैं ते साधू कोइ और ॥ तप न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९५ १३:०४ +२,६०३ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'मधुर वचन है औषधी स्वयम द्वार है सघरै बोलत ही कटुक वचन है तीर । सालै सकल सरीर ॥ पहिचानिये साहु चोर को १२६ ॥ घाट । अन्तर की करनी सबै जिन हूँढ़ा तिन पाइयाँ निकसे मुख की वाट...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९४ १३:०४ +२,६०६ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'बीर साहब चन्दन गया बिदेसड़े सब कोइ कहै ज्यों ज्यों चूल्हे झांकिया ३२ पलास । त्यों त्यों अधिकी बास ॥११३॥ मैं भी हो गई लाल ॥ बारह लाल । ११४ ॥ मास बिलास । लाली मेरे लाल को ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९३ १३:०३ +२,६५३ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '३८ कविता- कौमुदी कस्तूरी कुंडल बसै ऐसे घट में पीव है द्वार धनी के पड़ि रहे कबहुँक धनी निवाजई जरा मोच व्यापै नहीं चलु कबीर वा देस को साथ सती औ सूरमा एते निकसि न बहुरैं सि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९२ १३:०२ +२,५८१ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहेब समदृष्टी सतगुरू किया मेटा ३७ भरम बिकार । जहें दखों तह एकही सहज मिलै सो दूध सम साहिब का दीदार ॥ माँगा मिलै सो ८७ ॥ पानि । जा में पैंचातानि ॥ ८८ ॥ सूप सुभाय । उड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९१ १३:०२ +२,५७२ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '३६ सिहों के लेहड़े नहीं हंसों को लाखों की नहि बोरियाँ साधु कहावन कठिन हैं डगमगाय तो गिरि पर गाँठी दाम न बाँधई कह कबीर ता साधु के साधु हमारी आतमा हम साधुन के साधु न चलें'...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९० १२:४० +२,६७० प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब ३५ जहाँ प्रम तह नेम नहि तहाँ न बुधि ब्यौहार | भया कौन गिने तिथि वार ।। ६२ ।। प्रेम मगन जब मन प्रेम छिपाया ना जो पै मुख बोलै छिपे जा घट परघट होय | नहीं नन । देत हैं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/८९ ०८:३८ +२,५८९ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '३४ पावक रूपी नाम है सब घट रहा समाय । चित चकमक चहुदैं नहीं जो जन बिरही नाम के देही से उद्यम करें धूवाँ है है जाय ॥ ४८ ॥ तिनकी गति हैं येह । सुमिरन करें विदेह ॥ ४६ ॥ बिरहा बि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/८८ ०८:३८ +२,६७२ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब भक्ति भाव भादों नदी सबै चली ३३ घहराय । सरिता सोई सराहिये जो जेठ मास ठहराय ॥ ३५ ॥ जब लगि भक्ति सकाम है कह कबीर वह क्यों मिले तब लगि निष्फल निःकामी निज सेव । देव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/८७ ०८:३६ +२,६०२ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: '३२ कहा चुनावै मेड़ियाँ लम्बी भीति कविता-कौमुदी उसारि । मोहिं । ॥ २३ ॥ साथ । घर तो साढ़े तीन हथ घना तो पौने चारि ॥ २२ ॥ माटी कहें कुम्हार को तू क्या रूँदै इक दिन ऐसा होइगा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- अंतरइतिहास न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/८६ ०८:३६ +२,६१६ प्रथम 07 वार्ता योगदान (→अशोधित: 'कबीर साहब सुमिरन की सुधि यों करै ज्यों हालै डोलै सुरति में माला तो कर में फिर मनुवाँ तो दहु दिस फिर गगन मंडल के बीच में अनाहद ३१ गागर पनिहार 1 कहे कबीर विचार ॥ ६ ॥ जीभ फिर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं