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२१ मई २०२४
- ०६:४००६:४०, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,७९५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४६ →अशोधित: 'नन्ददास - ६१ भँवर गीत ऊधव को उपदेश सुना ब्रजनागरी । रूप सील गुन लावन्य सबै आगरी ॥ प्रेम धुजा रस रूपिनी उपजावन सुख पुंज । सुन्दर स्याम विलासिनी नव वृन्दाबन कुंज ॥ सुनो ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३५०६:३५, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६६२ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४५ →अशोधित: 'to कविता-कौमुदी लगि रही जगमग ज्योती । तिन महँ इक जु कल्पतरु पात मूल फल फूल सकल हीरा सह मुतियन के गन्ध लुब्ध अस गान घर किन्नर गन्धर्व अपच्छर तिन पर सुख गुही अति सुही सुन्द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३५०६:३५, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६७९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४४ →अशोधित: 'मन्ददास ct अति सुदेस कटि देस सिंह सोभित सघनन अल । आकरसत बरसत प्रेम सुधारस ॥ जोवन मद गूढ़ जानु आजानुबाहु गङ्गादिकन पवित्र करत जब दिन मनि श्रीकृष्ण द्रुगन तें दूरि भये प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३४०६:३४, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,४९८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४३ →अशोधित: '८८ कविता-कौमुदी रास पंचाध्यायी और भंवरीत के कुछ सुन्दर पद हम यहाँ उधृत करते हैं- वन्दन करों रास पंचाध्यायी कृपानिधान सुद्ध ज्योतिमय रूप सदा हरि लीला रस मत्त मुदित श्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३४०६:३४, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +३,०६० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४२ →अशोधित: 'नन्ददास न नन्ददास न्दिदास तुलसीदास जी के सगे भाई और स्वामी विट्ठलनाथ जी के शिष्य थे । अष्ट छाप में इनका भी नाम है । २५२ वैष्णवों की वार्ता में लिखा है कि शिष्य होने के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३४०६:३४, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५७५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४१ →अशोधित: '८६ कविता-कौमुदी * स्वामी हरिदास मी हरिदास ललिता सखी के अवतार समझे जाते थे । मुलतान के समीप सारस्वत स्वा ब्राह्मण कुल में इनका जन्म हुआ था । ये ******* बड़े त्यागी और विरक्त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३४०६:३४, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५३० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१४० →अशोधित: '८५ नरहरि सरवर नीर न पीवहीँ स्वाति बुंद की केहरि कबहुँ न तृन चरं जो प्रत करै आस । पचास ॥ जो अत करें पचास बिपुल गज्जूह बिदारै । धन हूँ गर्व न करै निधन नहि दीन उचार ॥ नरहरि क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३३०६:३३, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,८४९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३९ →अशोधित: '८४ कुलवंत पुरुष कुलविधि तजै सन्यास धारि धन संग्रहै को सिखवत हंसन को सज्जन को सिंहन को बन्धु न मानै बन्धु हित । ये जग में मूरख विदित ॥ २ ॥ लाज गृह काज रङ्ग रति । सिक्खवत क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३३०६:३३, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६९९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३८ →अशोधित: 'नरहरि ८३ न नरहरि रहरि का जन्म सं० १५६२ में फतेहपुर जिले के असनी गाँव में हुआ। ये १०५ वर्ष तक जीवित रहे । अकबर के दरबार में इनका अच्छा मान था । इन्होंने एक छप्पय लिख कर एक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३३०६:३३, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,४९७ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३७ →अशोधित: '८२ हित हरिवंस प्रसंखित श्यामा कीरति कविता- कौमुद free धनी । मावत स्त्रवननि सुनत सुखाकर विस्व दुरित दवनी ॥ १ ॥ चलहि किन मानिनि कुञ्ज कुटीर । तो बिन कुंवर कोटि वनिता जुत मथ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- ०६:३२०६:३२, २१ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७३९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३६ →अशोधित: 'हितहरिवंश द गो हितहरिवंश (स्वामी हितहरिवंश का जन्म वैशाख बदी ११ * सं० १५५६ में देवबंद (सहारनपुर) में हुआ । इनके पिता का नाम हरिराम और माता का *** तारावती था, इनकी स्त्री का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
१९ मई २०२४
- १७:२३१७:२३, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,८७६ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३५ →अशोधित: '८० दिना राति पोखत रहयो वा दुख तें ताहि काढ़ कै जिन जड़ ते जेतन कियो चरन चिकुर कर नख दिये असन बसन बहु विध दये मात पिता भैया मिले सजन कुटुम परिजन बढ़े महामूढ़ विषयी भयो खा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:२२१७:२२, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६८९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३४ →अशोधित: '७६ सूरदास सुनि परमित पिय प्रेम की खातक चितवत पारि । वन आशा सब दुख सहै अंत न याचै बारि ॥ २ ॥ देखो करनी कमल की कीनों जल सें हेत । सूख्यो सरहि समेत ॥ ३ ॥ परस पतंग | चित न भयो रस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:२११७:२१, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६४१ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३३ →अशोधित: '• R दो में एको तो न भई । कविता - कौमुदी आनि भई । दरें ॥ खई । भई ॥ गई ॥ नः हरि भजे न गृह सुख पाये वृथा बिहाय गई ॥ टानी हुती और कछु मन में और अवगत गति कछु समति परत नहि जो कछु करत सु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:२०१७:२०, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,४४८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३२ →अशोधित: 'सूरदास जन्म सिरानो ऐसे ऐसे । कै घर घर भरमत यदुपति बिन के सोवत के वैसे || कै कहु खान पान रसनादिक कै बा असे 1 के कहूँ रंक कहूँ ईश्वरता नद बाजीगर जैसे ॥ जैसे । ॥ ४५ ॥ चेत्या नही...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:२०१७:२०, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५५९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३१ →अशोधित: 'मधुबन बसत भास दरसन की ओर नैन मग हारे ! सूरज श्याम करी पिय ऐसी मृतकहु ते पुनि मारे ॥ ४० ॥ रुकमिति मोहि ब्रज बिसरत नाहीं । वा क्रीड़ा खेलत यमुना तट विमल कदम की छोहीं ॥ सकल स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१८१७:१८, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७७२ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१३० →अशोधित: 'सूरदास ७५ यदपि वसुदेव देवकी मथुरा सकल राज सुख भोग । सद्यपि मनहि बलत बंशीवट व्रज यमुना संयोग ॥ वे उत रहत प्रेम अवलम्बन इतते पठयो योग । सूर उसास छाँड़ि भरि लोचन बढ्यो वि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१८१७:१८, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६०५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२९ →अशोधित: '* सुनि गोपी गावत के बयन नेम गुण गोल फिरत पाँ परें धन्य खिन गोरी के धाइ घाइ झुम भेटही ऊधो श्रनि गोपी धनि ग्वाल धन्य धनि यह पावन भूमि जहाँ उपदेसन आये हुते मोहि यदुपति पै चल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१७१७:१७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,२६५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२८ →अशोधित: 'अब के तो सोई उपदेशो जेहि जिय जाय बारक मिलें जिआयो ! सूर के प्रभु तौ करों आपनों भायो ॥ ३१ ॥ मधुकर इतनी कहियहु जाइ । अति कृष गात भई ये तुम बिन परम दुखारी जल समूह बरसत दोउ आँख...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१७१७:१७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,८०० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२७ →अशोधित: 'R ऊधो योग योग हम नाहीं । कविता-कौमुदी अबला सार ज्ञान कहा जाने कैसे ध्यान ते ये मूंदन मैन कहत हैं हरि मूरति जा धराहीं ॥ माहीं । पेली कथा कपट की मधुकर हमतें सुनी न आदीं ॥ श्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१६१७:१६, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,९४४ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२६ →अशोधित: 'सरदास ७२ ओ कोउ कोटि करें कैसे हु विधि विद्या व्यवसाउ | तो सुन सूर मीन को जल बिन नाहिन और उपाउ ॥ २४ ॥ ऊधो जी हमहि न योग सिखये । जेहि उपदेश मिले हरि हमको सो व्रत नेम वतैये ॥ म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१४१७:१४, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७७१ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२५ →अशोधित: '100 समुझि न परत तुम्हारी ऊधो । कविता-कौमुदी सूधो ॥ देहू । लेहू ॥ वेद । यह कलङ्क है कैद || नहीं । ज्यों त्रिदोष उपजे जक लागत बोलति बचन न आपुन को उपचार करो कछु तब औरन लिख बड़ो र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१४१७:१४, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,८१९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२४ →अशोधित: 'जिन कोउ काह के वश होहि । ६६ ज्यों चकोर दिनकर बश डोलत मोह फिरावत मोहिं ॥ हम तो रीफ लटू भर लालन महा प्रेम जिय जानि । बन्ध अबन्ध अमति निशि वासर को सरभावति आनि ॥ उ सङ्ग अङ्ग अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१२१७:१२, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७१९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२३ →अशोधित: '१८ कविता-कौमुदी काहि उठाइ गोद करि लीजै करि करि मन भगना । सूरदास मोहन दरसन बिन सुख संपति सपना ॥ १४ ॥ नम सलोने श्याम हरि कब आवहिंगे । फूल । वे जा देखत राते राते फूलन फूले ड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१२१७:१२, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७१७ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२२ →अशोधित: 'सुरदास ६७ नैना ढीठ अतिही भए । लाज लकुट दिखाइ त्रासी क न नए # मेटि गए। ॥ मए ॥ ठप । ११ ॥ गई। तोरि पलक कपाट घूँघट ओट मिले हरि को जाइ आतुर जे हैं गुणनि मुकुट कुण्डल पीत पत्र कटि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१११७:११, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,९८८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१२० →अशोधित: 'घुटुरुचन चलत श्याम मणि मनन ६५ मात पिता दोउ देखत री कबक किलकिलात मुख हेरत, कबहुँ जननि मुख पेलत री ॥ लटकन लटकत ललित भाल पर काजर बिंदु स्रुव ऊपर री । यह सोभा नैननि भरि देखे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१११७:११, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,८२० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११९ →अशोधित: '६४ कविता-कौमुदी भाव से इनके थोड़े से पद सूर सागर से सुनकर यहाँ लिखे जाते हैं- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै । जैसे उड़ि जहाज को पच्छी फिरि जहाज पर आवै ॥ कमल नयन को छाँड़ि महा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१०१७:१०, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७४५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११८ →अशोधित: 'तुरवास ६३ हिन्दी साहित्य में सुरदास का गौरव कितना है, यह इस दोहे से भली भाँति समझा जा सकता है- "सुर सूर तुलसी ससी, उडुगन केशवदास अब के कवि खद्योत सम, जह तह करें प्रकास" गोप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:१०१७:१०, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +३,२७६ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११७ →अशोधित: 'कविता-कौमुदी लड़ाई में मारे गये । सूरदास अपने को चन्द्र बरदायी का वंशज बतलाते हैं । सूरदास जन्म के अन्धे न थे। ऐसी कहावत है कि एक बार ये एक युवती को देखकर उसपर मुग्ध हो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०९१७:०९, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६८८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११६ →अशोधित: 'दास ६१ इस से पता चलता है कि सुरसारावली लिखते समय सूरदास की अवस्था ६७ वर्ष को थी । उन्होंने साहित्य लहरी नाम का एक और ग्रन्थ बनाया है । उसमें सूरसागर दृष्ट-कूट पदों का स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०८१७:०८, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,४७५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११५ →अशोधित: '६० ears-stat सुख सनेह जो नर दुख में दुख नहिं माने ॥ भरु भय नहि जाके कंचन मादी जाने ॥ नहि निन्दा नहि अस्तुति जाके लोभ मोह अभिमाना ॥ हर्ष शोक में रहे नियारो नाहि मान अपमाना ॥ आसा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०७१७:०७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,३०० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११४ →अशोधित: 'गुरु नानक हिरदे जिनके हरि बसे से जन कही न आई नानका मन की दुविधा ना मिदै कउड़ी बदले नानका जित बेले अमृत बसे, तिन बेले तू उठि इस दम दा मैनू कीबे या संसार रेन दा बहु ५६ कहियह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०७१७:०७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,९२८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११३ →अशोधित: '५८ कविता-कौमुदी बिहार, बंगाल, आसाम, ब्रह्मा, उड़ीसा, मारवाड़, हैदराबाद, मद्रास, लंका, बद्रीनारायण, नेपाल, सिकम, भूटान, सिंध, मक्का, जद्दा, मदीना, रूम, बग़दाद, ईरान, बिलोचिस्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०६१७:०६, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,७४४ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११२ →अशोधित: 'गुरू नानक ५५ धरमदास यह अरज करतु हैं सुमिरन दै गैलो | सार सबद गुरु नानक रू नानक का जन्म सं० १५२६ वि० कार्तिक की पूर्णिमा के दिन चार घड़ी रात रहे कल्यान- चन्द खत्री की धर्म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०५१७:०५, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५२६ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१११ →अशोधित: '५६ कविता-कौमुदी गुरु पैयाँ लागों नाम लखा दीजो रे । दीजो रे ॥ दीजो रे ॥ दीजो रे !! जनम जनम का सोया मनुओं शब्दन मारि जगा घट अँधियार नैन नहिं सूझे ज्ञान का दीपक जगा विष की लहर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०४१७:०४, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५७१ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११० →अशोधित: 'धर्मदास ५५ धर्मदास जी बालकपन से ही बड़े धर्मात्मा और भगवत चर्चा के प्रेमी थे, साधु, संतों और पंडितों का बड़ा आदर सत्कार करते थे। इन्होंने दूर दूर तक तीथों की यात्रा की...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०३१७:०३, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,२५५ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०९ →अशोधित: '५४ कविता-कौमुदी जो तुम गोपालहि नहि गैा । में तो तुमका सुख दुख उपजै सुखहि कहाँ ते पैहा ॥ माला नाय सकल जग उहको झूठो भेख बन है।। झूठे ते साँचे तब होइ हो हरि की सरन जब ऐह। ॥ कन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०३१७:०३, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,४२८ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०८ →अशोधित: 'रैदास कह रैदास तेरी भगति दूर है भाग बड़े से पाये । तजि अभिमान मेटि आपा पर पिपलिक है सुनि खावै ॥ ४ पहले पहरे रैन दे बनजरिया तैं जनम लिया संसार वे । सेवा चूकी राम की तेरी ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०२१७:०२, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६३९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०७ →अशोधित: '५२ कविता-कौमुदी साधुओं की सेवा में अधिक रहने लगे। जो कुछ कमाते सब साधु सन्तों को खिला पिला दिया करते थे । यह बात इनके पिता रघु को अच्छी नहीं लगी। उसने स्त्री सहित रैदास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०२१७:०२, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,९७९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०६ →अशोधित: 'रैदास जङ्गल जाय जोगी धुनिया रमौल ५१ काम जराय जोगी बनि गेलें हिजरा ॥ मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ा रंगोल गीता बाँचि के होइ गैले लवरा ॥ कहत कबीर सुनो भाई साधो जम दरवजयाँ बाँधल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १७:०११७:०१, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५९७ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०५ →अशोधित: '५० राहु केतु भौ भानु चन्द्रमा विधि संजोग परी । कहत कबीर सुनो भाई साधा होनी होके रही ॥ १८७ ॥ सतो राह दोऊ हम डीठा । बाँग पुकारै । हिन्दू तुरुक हटा नहिं मान स्वाद सबन को मीठ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५७१६:५७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५२० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०४ →अशोधित: 'कबीर साहब योगी के योगिन ह बैठी राजा के घर रानी । काहू के हीरा है भक्तन के भक्तिनि बैठी काहू के कौड़ी कानी ॥ हूँ बैठी ब्रह्मा के ब्रह्मानी । कहै कबीर सुनों हो सन्तो यह सब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५७१६:५७, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,७८४ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०३ →अशोधित: '४८ कविता कौमुदी सूर संग्राम को देख भागे नहीं, देखि भागै सोई सूर नाहीं । काम औ क्रोध मद लोभ से जूझना, मँडा घमसान तह खेत माहीं ॥ सील म साच संतोष साही भये, नाम समसेर तह खूब बा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५६१६:५६, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +१,९०४ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०२ →अशोधित: 'कबीर साहब जाग पियारी अब का सोधै । ४७ रैन गई दिन काहे को खोयें ॥ जिन जागा तिन मानिक पाया । तैं बोरी सब सोय गँवाया ॥ पिय तेरे चतुर तू मूरख नारी । कबहुँ न पिय की सेज सवारी ॥ ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५६१६:५६, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६३९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०१ →अशोधित: '४६ लख चौरासी जोनि में मानुष जन्म अनूप । शाहि पाय नर चेतत नाहीं कहा र्रक कहा भूप ।। सुघर ॥ गर्भ पास में रह्यो की मैं भजिहौं तोहीं। निस दिन सुमिरौं नाम कष्ट से काढ़ौ मोही...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५६१६:५६, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,५७१ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१०० →अशोधित: 'कबीर साहब विधिगति बाम कछु समझ परत ना बैरी भई महतारी । रोय पेय अँखियाँ मोर पोंछत घरवों से देत निकारी । भई सब को हम भारी गवन कराय पिया ले चाले इत उत बाट छूटत गाँव नगर से ना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५५१६:५५, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६९९ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९९ →अशोधित: 'heart पेट पकरि के भाता रोवै बाँह पकरि के भाई । कपटि झपटि के तिरिया रोवे हंस अकेला जाई ॥ जब लगि माता जीवै रोवै तेरह दिन तक तिरिया रोवै बहिन रोवे दस माला । फेर करें घर बासा || चा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १६:५४१६:५४, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास ० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९८ →अशोधित: रिक्त पृष्ठ बनाया टैग: शोधित नहीं
- १६:५३१६:५३, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६०० न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९७ →अशोधित: '४२ कबीर जोगी जगत गुरु सर्जे जगत को जो जग की आसा करे तो जगत गुरू वह दास तन नुरंग असवार मन कर्म पियादा frent चली सिकार को कबिता-कौमुदी आस । ॥१५२॥ साथ । विषे बाज लिये हाथ ॥ १५३ ॥...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं
- १३:०५१३:०५, १९ मई २०२४ अंतर इतिहास +२,६३२ न पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/९६ →अशोधित: 'ठौर । १४० ॥ इरी भया तो क्या भया जो करता हरता होय । साधू ऐसा चाहिये जो हरि भज निरमल होय ।। १३६ ।। बिरमल भया तो क्या भया निरमल भाँगे मल निरमल ते रहित हैं ते साधू कोइ और ॥ तप न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया वर्तमान टैग: शोधित नहीं