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- १३:२०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/७४ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ विद्यापति ठाकुर १६ नन्दक नन्दन कदम्बेरि तरु तरे धिरे धिरे मुरलि बलाब । समय संकेत निकेतन बरसल वेरि बेरि बोलि पठाव ॥ सामरी तोरा लागि अनुखने विकल मुरारि 1 जमुना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:२०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/७३ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ve प्रकट होता है कि विद्यापति को राजा शिवसिंह बहुत मानते थे । विद्यापति प्रतिभाशाली कवि और संस्कृत के अच्छे विद्वान् थे । इन्होंने संस्कृत भाषा में पाँच उत्त...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:२०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/७२ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ विद्यापति ठाकुर १७ पता नहीं चलता । बाबू नगेन्द्रनाथ गुप्त द्वारा संकलित विद्या- पति की पदावलो में राजा शिवसिंह के सिंहासनारोहण विषयक एक कविता है । उसके ऊपर क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/७१ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ २६ चन्द बरदाई दूहा चढ़े राज दुग्गह नृपति सुमत अति अनन्द राज प्रथिराज आनन्द से हिंदवान सिरताज ॥ ६७ ॥ नंद के अन्य दोहे रविये सरस काव्य रचना स्त्रौं खल जन सुनिन ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/७० पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ दबरदाई करी चोह चिक्कार कार कलप भग्गे, मदं तंजियं लाज ऊमंग दौरे गजं अध चहुअन केरो, करीयं गिर चिहो चक्क गिद्द उड़ी भान अधार रैन', सूधि सिरं नाय कम्मान प्रथिराज रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१८, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६९ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ રક कविता कौमुद इले रूप से फौज बरनाय जापं ॥ ८१ ॥ तिन' घेरियं राज प्रथिराज राजं, चिहौ ओर घनघोर नीसान बाजं ॥ ८२ ॥ कवित्त बजिय घोर निसान रान हुआन चिहौ दिल | सकल सुर सा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१७, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६८ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ १३ पदमावति इस लै चल्यो हरखि राज प्रथिराज । एते परिपतिसाह की भई जु आनि अवाज ॥ ७२ ॥ कवित्त आज ग भई जु आनि अवाज आय साहाब दीन सुर । प्रथिराज बोल बुल्लंत गजत धुर ॥ क्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१७, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६७ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ १२ कर पकरि पीठ हय पर चढ़ाय, लै चल्यो नृपति दिल्ली सुराय ॥ ६० ॥ भइ खबरि नगर बाहिर सुनाय पद्मावतीय हरि लीय जाय ॥ ६१ ॥ पहुँचे सु जाय तत्ते तुरंग, बाजी सुबंध हय गय पला...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१६, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६६ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ दबरदाई ११ धर धर्मकि भजि सेस गगन रवि लुप्पि रैन हुअ ॥ उलटि प्रवाह मनौ सिंधु सर रुक्कि राह अड्डौ रहिय । तिहि घरिय राज प्रथिराज सौं बंद बचन इहि विधि कहिये ॥ ५०॥ नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१६, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६५ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ दिष्यंत दिष्ट उच्चरिय वर इक्क पलक विलम्ब न करिय । अलगार रयन दिन पंच महि ज्यों रुकमनि कन्हर वरिय ॥ ४४ ॥ दूहा ज्यों रुकमनि कन्हर वरी शिव मँडप पच्छिम दिसा लै पत्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१५, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६४ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ६ चले दस सहस्स' असव्वार जन, परियं पैदलं तेतीस थानं ॥ ३५ ॥ मदं गलितं मत्त से पंच दंती, मनो साम पाहार बुग पंति पंती ॥ ३६ ॥ चलै अग्गि तेजी जु तत्तं तुखारं, चावर चौरास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१४, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६३ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ - दूहा कामदेव अवतार हुअ सहस किरन झलहल कमल सुनत श्रवन प्रथिराज जस तन मन चित चहुवॉन पर सुअ सोमेसर नंद | रिति समीप वर विंद ॥ २७ ॥ उमग बाल विधि अङ्ग । बस्यो सुरतह रङ्ग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १३:१४, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६२ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ चन्द बरदाई पदमावतीहि कुंवरी पद्धरी सँघल, दुज कथा कहत सुनि सुनि सुवन्त ॥ १६ ॥ हिंदवान थान उत्तम सुदेश, तह उदत दुग्ग दिल्ली सुदेस ॥ १७ ॥ संभरि नरेस चहुआन थान, प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३४, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६१ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ६ कविता-कौमुद हरपत अनन्द मन महि हुलस लै ज महल भीतर गई । पंजर अनूप नग मनि जटित सो तिहिं महँ रष्यत भई ॥ ६ ॥ दूहा राम खेल सब भुल्ल । पड़ावत फुल ॥ १० ॥ नख सिख लौं यह रूप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३३, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/६० पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ चन्दबरदाई ५ डमर । दस पुत्र पुत्रिय एक सम रथ सुरंग उम्मर भंडार लछिय अगनित पदम सो पद्म सेन कुँवर सुघर ॥३॥ दूहा पद्म सेन कुँवर सुघर ता घर नारि सुजान । ता उर एक पुत्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३२, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५९ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ४ aftaar saat ज्ञान हो । साधारण हिन्दी जानने वालों की समझ में वह अच्छी तरह नहीं आ सकती । " रासो " बहुत बड़ा ग्रन्थ है । समय समय पर चंद जो कविताये' रचता था, उसे वह कण्ठस्थ रख...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३१, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५८ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ चन्दबरदाई। ३ लिखकर चंद अपने घर आया और उसे जल्द को दकर वह गजनी गया । वहाँ गोरी को प्रसन्न करके वह पृथ्वीराज से मिला । उसने कौशल से पृथ्वीराज के हाथ से शहाबुद्दी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३१, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५७ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ २ था । उसके ग्यारह सन्तति हुई, दस लड़के और एक लड़की ; लड़की का नाम राजबाई था। चंद के दस पुत्रों में जल्ह बड़ा योग्य था । पृथ्वीराज को बहन पृथाबाई का विवाह, "रासो" क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५६ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ कविता - कौमुदी चंदबरदाई द बरदाई का नाम राजपूताने में बहुत प्रसिद्ध है । वह भारतवर्ष के अन्तिम हिन्दू सम्राट महाराज पृथ्वीराज चौहान का राजकवि, ***** मित्र और सामन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५५ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ कfa १३- जुल्फिकार १४- अनवर खाँ ( ५४ ) ग्रन्थ सतसई की टीका अनवर चंद्रिका १५ – प्रेमी यमन १६- आजम १७- - सैयद गुलाब नबी १८ - तालिब अली १६- नबी २०- आलम अनेकार्थ नाम माला नखशि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:३०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५४ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ५३ ) शबाने हिजरौँ दराज़ खू जुल्फ़ी रोज़े बसलत चु उम्र कोतह । सखी पिया को जो मैं न देखू तो कैसे का अंधेरी रतियाँ ॥ इसमें जितना अंश हिन्दी में कहा गया है, वह कितना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:२९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५३ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ५२ ) हो राग रागिनियाँ गाते थे। हिन्दू गवैयों का तो कहना हो क्या हैं, मुसलमान गवैये अब तक भी हिन्दी राग रागिनियाँ गाते हैं । मुसलमानी राजत्वकाल का इतिहास और हिन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:२९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५२ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ L ( ५१ ) रक्खा था। उनकी तवारीखों से इन बातों का साफ साफ पता चलता है । हसन गाँगूँ" ब्राह्मणी ने गांगू ब्राह्मण को अपने हिसाब का दहर सौंपा था । अकबर के समय में तो हिन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:२८, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५१ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ५० ) है। इससे गुजरात में धार्मिक भाव के साथ ब्रजभाषा का भी प्रभाव बढ़ गया । गुजराती कवियों ने हिन्दी के बहुत से छंदों को अपनाया है और उनमें रचनाएँ की हैं। हिन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:२६, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/५० पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४६ ) गुजरात में गुजराती भाषा के साहित्य का जन्म वरसी मेहता और मोराबाई के समय से हुआ । मीराबाई को जोवनी और कुछ कविता कविता-कौमुदी में दी हुई हैं। उससे यह साफ प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:१२, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४९ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( 8 ) उन्होंने ही की है। यह सिक्खों का धर्म ग्रंथ है, और अब तक करतार पुर में मौजूद है । गुरु तेग बहादुरने औरंगजेब को हिन्दी ही में संसार की असारता का उपदेश दिया था।...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:११, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४८ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४७.. ) . ऊँच नीच कोऊ न पहिचान चोरी धारि दिसे कहूँ नाहि धनी दरिद्रो भये समान | योंहों अपभय लोग डराहि । एक बार बनारसी दास परदेश में अपने साथियों के सहित कहीं ठहरे, इत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:१०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४७ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४६ ) इस छंद में हिन्दी भाषा की एक स्पष्ट मूर्ति निकल आने बहुत थाड़ी कसर दिखाई पड़ती है । सत्रहवीं शताब्दी में सुप्रसिद्ध जैन कवि बनारसीदास हुये । इनका जन्म सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:१०, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४६ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ५५ ) हरे हरे केसवा हरु रे कलेसवा तोरे नाम जपत बा पुजत बा जल बरसैला धान सरसैला भागदास प्रहलदवा के कारन तोरा के रटत महेसवा रे । सबसे प्रथम गनेस वा रे ॥ रे। सुख उपज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४५ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४४ मुसलमान सम्राट अकबर के दरबार तक फैला दिया। इसी शताब्दी में दक्षिण देश से आकर स्वामी वल्लभाचार्य ने कृष्ण- भक्ति को और भी चमत्कृत कर दिया । सूरदास और वल्लभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४४ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४३ ) का " मति " था । मध्वाचार्य गुजराती थे। इनका जन्म गुज- रात में सं० १९६६ में हुआ । वल्लभाचार्य का जन्म सं० १५३५ आन्ध्रदेश (दक्षिण) में हुआ । इन्होंने भागवत दशम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४३ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४२ ) भाव प्रकट किये हैं; किन्तु घनाक्षरी और सवैया लिखने वाले कवियों की ही संख्या अधिक है । आजकल इन छंदों की उतनी क़दर नहीं रही। अब कितने ही नये छंदों का प्रचार ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०७, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४२ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४१ ) गद्य-रचना आसान है, क्योंकि वही प्रतिदिन की बोलचाल- है । उसमें उन्नति करना सर्व साधारण के लिये सुगम है । गद्य की अपेक्षा पद्य में जो विशेषताएँ हैं, संस्कृत-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०७, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४१ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ४० ) पद्य हिन्दी गद्य से पद्य में विशेष उन्नति हुई हैं। पद्य के द्वारा थोडे समय और थोड़े शब्दों में अधिक प्रभावोत्पादक बातें कही जा सकती हैं। उसके कंठस्थ रखन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०६, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/४० पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३६ ) कथा सोल से अस्सी के साल रोज बनाई । फागुन सुदी पूनम के सं० १७६७ - सूरति मिश्र ( कवि प्रिया की टीका से ) सीस फूल सुहाग अरु बेंदा भाग ए दोऊ आये पावड़े सोह सोने के क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०६, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३९ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३८ ) सेवक की दासी करि जो इनके प्रेमामृत में डूब के इनके मंदहास्य ने जीते हैं अमृत समूह ता करि निकुज विषै श्रृंगार रस श्रेष्ठ रसना कीनी से पूर्ण होत भई । सं० १६२...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०५, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३८ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३७ ) ताकीद जानकर जल्दी आओ । जो तुम्हारे मंदिर की स्था- पना जल्दी स्थिर हुई हैं, सो हम लोगों के दिल्ली से लौटने पर होगी। इतनी जल्दी आओ कि दिन का सबेरा वहाँ हो तो शा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०४, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३७ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३६ ) गंदा हिन्दी गद्य के उदाहरण महाराज पृथ्वीराज के समय के मिलते हैं । यहाँ उस समय के दो एक पत्रों की प्रतिलिपि दी जाती है श्रीहरी एकलिगो जयति श्री श्री चित्रक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०४, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३६ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३५ ) "" नाम " हिन्दुषी " लिखा है } पदार्थ विद्यासार " नामक पुस्तक में, जो सं० १६०३ में छपी है, "हिन्दी भाषा नाम आया है । मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी पद्मावत में लिखा तु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०३, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३५ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३४ ) हिन्दी भी है। उसका एक नमूना देखिये- कहाँ लगि लघुता बरनवों कविन दास कवि चंद | उन कहि ते जो उम्बरी सोऽब कहौं करि छंद ॥ हमारी सम्मति में चंद ही हिन्दी का सब से प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०२, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३४ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३३ ) समझने लगे, विदेशी विजेताओं के पैर जमे, और भारत की फूट से वे लाभ उठाने लगे । इस राज्य क्रांति का प्रभाव भाषा पर भी पड़ा। परस्पर ईर्ष्या द्वेष के कारण व्यावहा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:०१, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३३ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३२ ) विक्रम संवत् के लगभग बाट नौ सौ वर्ष तक प्राकृत भाषा का प्रचार रहा। बौद्ध और जैन धर्म के संस्थापकों ने अपने सिद्धान्त ग्रंथ उम्र समय की बोलचाल प्राकृत भाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- १२:००, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३२ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३१ ) कितनी ही विदेशी जातियाँ इस देश में भाई और मिल- जुल कर एक हो गई, इसी तरह यह हिन्दू नाम भी विदेश से भाया और यहाँ हमारा हो गया । अतएव हिन्दू नाम को घृणा की दृष्टि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:५९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३१ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( ३० ) मिलता है, और इसी से इंडिया शब्द की उत्पति हुई जान पड़ती है। उच्चारण-भेद से सिंधु का किसी ने हिन्द बना "लिया, किसी ने इंडस । मेरी राय में अब इस बात में संदेह नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:५९, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/३० पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( २७ ) पता देखकर इतनी बड़ी एक सुसभ्य जाति ने उसे ग्रहण कर लिया ? इस प्रश्न का उत्तर देना सहज नहीं । मेन्त्र में एक स्थान पर "हिन्दू" शब्द आया है। इस :- सम्बंध के कुछ श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:५८, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२९ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( २६ ) कर्ण कन घृतम् त्रिअम् मेहा गहिरम् मेघः गम्भीरम् कान घी मेह गहिरा कुछ संस्कृत शब्द ऐसे हैं जो हिन्दी में ज्यों के त्यों व्यवहृत होते हैं। जैसे- बल, हल, बन, म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:५८, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२८ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( २५ ) और पातंजलि के ग्रन्थों से भी पता चलता है कि आज से कोई बाईस सौ बरस पहले उत्तर भारत में एक ऐसी भाषा प्रच- लित थी, जो कई बोलियों से मिलकर बनी थी । कालिदास ने भी शक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:५७, २१ अप्रैल २०२४ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/२७ पृष्ठ बनाया (अशोधित: '________________ ( २४ ) करते हैं, जिनका अर्थ एक है परन्तु विद्वानों और ग्रामीणों के उच्चारण में अंतर है । जैसे- उच्चारण-भेद शुद्ध शब्द शुद्ध शब्द भूमि भुई आकाश पानीय पानी सूर्य श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) टैग: शोधित नहीं
- ११:२०, २३ मई २०२३ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१६७ पृष्ठ बनाया (शोधित नहीं) टैग: शोधित नहीं
- ११:२०, २३ मई २०२३ हृषिकेश कुमार सिंह वार्ता योगदान ने पृष्ठ:Hathras Case judgment.pdf/१६६ पृष्ठ बनाया (शोधित नहीं) टैग: शोधित नहीं